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पर्यावरण सुरक्षा के लिए सजग शिक्षक, सूख रहे पौधों के लिए लगवाया ड्रिप इरिगेशन सिस्टम

आगर मालवा के मॉडल स्कूल में शिक्षक पर्यावरण सुरक्षा के लिए बेहद सजग हैं. उन्होंने स्कूल में बागवानी की और अब सूख रहे पौधों के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम भी लगवाया है.

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Published : Dec 13, 2019, 12:55 PM IST

Updated : Dec 13, 2019, 1:39 PM IST

drip irrigation system
सूख रहे पौधों के लिए लगवाया ड्रिप इरिगेशन सिस्टम

आगर मालवा। मॉडल स्कूल के शिक्षक पढ़ाई के साथ-साथ बागवानी में भी आगे हैं. पानी की कमी के कारण सूख रहे पौधों को जीवित करने के लिए अब यहां के शिक्षकों ने खुद के खर्च पर पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगा दिया है.

सूख रहे पौधों के लिए लगवाया ड्रिप इरिगेशन सिस्टम
बता दें कि मॉडल स्कूल परिसर में पिछले साल विदेशी प्रजातियों के सैकड़ों पौधे लगाए गए थे. धीरे-धीरे यह पौधे बड़े हुए, लेकिन पानी के अभाव में यह पौधे सूखने की कगार पर पहुंच गए. ऐसे में स्कूल के शिक्षकों ने इन पौधों को जीवित करने की ठानी. शिक्षकों ने बगैर किसी शासकीय मदद के पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगा दिया. इस ड्रिप को हर पौधे के पास से निकाला गया है. दिनभर में कई बार इन पौधों को पानी दिया जाता है. वहीं जब स्कूल की छत पर बनाई गई पानी की टंकी ओवरफ्लो होती है, तब इन पौधों को पानी मिलता रहता है. ड्रिप इरिगेशन सिस्टम में सहयोग करने वाले शिक्षक विक्रम सिंह पवार ने बताया कि पानी के अभाव में पौधे सूखने लगते हैं, इसलिए ऐसी व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पौधे बेहतर स्थिति में हैं, इसलिए सरकारी मदद नहीं ली गई है.

आगर मालवा। मॉडल स्कूल के शिक्षक पढ़ाई के साथ-साथ बागवानी में भी आगे हैं. पानी की कमी के कारण सूख रहे पौधों को जीवित करने के लिए अब यहां के शिक्षकों ने खुद के खर्च पर पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगा दिया है.

सूख रहे पौधों के लिए लगवाया ड्रिप इरिगेशन सिस्टम
बता दें कि मॉडल स्कूल परिसर में पिछले साल विदेशी प्रजातियों के सैकड़ों पौधे लगाए गए थे. धीरे-धीरे यह पौधे बड़े हुए, लेकिन पानी के अभाव में यह पौधे सूखने की कगार पर पहुंच गए. ऐसे में स्कूल के शिक्षकों ने इन पौधों को जीवित करने की ठानी. शिक्षकों ने बगैर किसी शासकीय मदद के पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगा दिया. इस ड्रिप को हर पौधे के पास से निकाला गया है. दिनभर में कई बार इन पौधों को पानी दिया जाता है. वहीं जब स्कूल की छत पर बनाई गई पानी की टंकी ओवरफ्लो होती है, तब इन पौधों को पानी मिलता रहता है. ड्रिप इरिगेशन सिस्टम में सहयोग करने वाले शिक्षक विक्रम सिंह पवार ने बताया कि पानी के अभाव में पौधे सूखने लगते हैं, इसलिए ऐसी व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पौधे बेहतर स्थिति में हैं, इसलिए सरकारी मदद नहीं ली गई है.
Intro:आगर मालवा
-- मॉडल स्कूल के शिक्षक पढ़ाई के साथ-साथ बागवानी में भी आगे हैं। पानी के अभाव में सूख रहे पौधों को जीवित करने के लिए यहां के शिक्षकों ने स्वयं के खर्च पर पौधों को पानी पिलाने के लिए ड्रिप सिस्टम लगा दिया अब स्कूल परिसर में लगाए गए इन पौधों को दिन में कई बार पानी मिलता है जिसके कारण यह पौधे और निखर रहे हैं। शिक्षकों के पौधों के प्रति इस प्रेम से हर कोई प्रभावित हो रहा है।


Body:बता दे कि मॉडल स्कूल परिसर में गत वर्ष विदेशी प्रजातियों के सेंकडो पौधे लगाए गए थे धीरे-धीरे यह पौधे बड़े हुवे लेकिन कम पानी के अभाव में यह पौधे सूखने के कगार पर पहुंच गए ऐसे में स्कूल के शिक्षकों ने इन पौधों को जीवित करने की ठानी। शिक्षकों ने बगैर किसी शासकीय मदद के पौधों को पानी पिलाने के लिए ड्रीप सिस्टम लगा दिया इस ड्रीप को हरेक पौधे के पास से निकाला गया है। दिनभर में कई बार इन पौधों को पानी दिया जाता है वही जब-जब स्कूल की छत पर बनाई गई पानी की टंकी ओवरफ्लो होती है तब भी इन पौधों को पानी मिलता रहता है। बता दे कि ड्रीप सिस्टम लगाने में जो खर्च आया है वह शिक्षकों ने आपसी समन्वय बनाकर एकत्रित किया और इस कार्य को अंजाम दिया। शिक्षकों के इस कार्य से पौधों को नया जीवन मिला है।
बता दे कि इस स्कूल के शिक्षक हर काम में आगे है गत माह ही शिक्षकों ने पुस्तक दान अभियान चलाकर स्कूल में बच्चों के लिए निशुल्क रूप से एक लाइब्रेरी बना दी लाइब्रेरी बनाने में जो फर्नीचर आदि समान लगे है उनका खर्च भी शिक्षकों ने ही किया है इस लाइब्रेरी में सभी प्रकार की किताबें व आगे की तैयारी करने के लिए नोट्स उपलब्ध कराए गए है।


Conclusion:ड्रीप सिस्टम में सहयोग करने वाले शिक्षक विक्रमसिंह पंवार ने बताया कि पानी के अभाव में सुख रहे पौधों के ड्रीप सिस्टम लगाया गया है। वर्तमान में पौधे बेहतर स्थिति में है इस कार्य मे शासकीय मद का उपयोग नही किया गया है सारा खर्च शिक्षकों ने ही किया है।
Last Updated : Dec 13, 2019, 1:39 PM IST
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