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आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं मालवाहक वाहनों के संचालक, फाइनेंसर डाल रहे किश्त चुकाने का दबाव - आर्थिक तंगी से जूझ रहे मालवाहक संचालक

लॉकडाउन के चलते सारा कारोबार ठप पड़ा है. जिसकी वजह से छोटे मालवाहक वाहनों के संचालक बेरोजगार हो गए हैं. आलम ये है कि उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. इसके बाद भी पिकअप वाहन के फाइनेंसर उन पर लोन चुकाने का दबाव बना रहे हैं. जिससे वाहन संचालक काफी परेशान हैं.

Pressure on freight operators to pay installment of financier in aagar
आर्थिक तंगी से जूझ रहे मालवाहक संचालक
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Published : May 19, 2020, 2:27 PM IST

आगर मालवा। जिले के सुसनेर में लॉकडॉउन के चलते सारा कारोबार ठप्प पड़ा है. जिसके चलते छोटे पिकअप वाहनों में भाड़ा ढोने वाले बेरोजगार हो गए हैं. आलम ये है कि, पिछले दो महीने में इनकी कोई कमाई नहीं हुई है, जिससे वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

अब सरकार ने लॉकडाउन में छूट दी है, जिससे वाहन संचालक रोजाना अपने वाहनों को लेकर के सांई तिराहे पर काम की आस में खड़े हो जाते हैं. लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिलता है. जिसके चलते उन्हें परिवार पालने में भी काफी परेशानी हो रही है. इसके बाद भी फाइनेंसर उन्हें लोन की राशि ब्याज सहित जमा करने का दबाव बना रहे हैं. वाहन संचालकों का कहना है कि, उन्होंने लोन लेकर पिकअप खरीदे थे, लेकिन लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ दी है. इनको अपनी अजीविका चलाने में भी मुश्किल हो रही है. ऐसे में वे तीन महीने की किश्त कैसे जमा करेंगे.

सरकार ने लॉकडाउन की वजह से छूट देते हुए किसी भी प्रकार की ईएमआई को तीन महीने बाद जमा करने की बात कही है, इसके बाद भी फाइनेंसर लगातार किश्त जमा करने का दबाव बना रहे हैं. जिससे पिकअप वाहन संचालक काफी परेशान हैं.

आगर मालवा। जिले के सुसनेर में लॉकडॉउन के चलते सारा कारोबार ठप्प पड़ा है. जिसके चलते छोटे पिकअप वाहनों में भाड़ा ढोने वाले बेरोजगार हो गए हैं. आलम ये है कि, पिछले दो महीने में इनकी कोई कमाई नहीं हुई है, जिससे वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.

अब सरकार ने लॉकडाउन में छूट दी है, जिससे वाहन संचालक रोजाना अपने वाहनों को लेकर के सांई तिराहे पर काम की आस में खड़े हो जाते हैं. लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिलता है. जिसके चलते उन्हें परिवार पालने में भी काफी परेशानी हो रही है. इसके बाद भी फाइनेंसर उन्हें लोन की राशि ब्याज सहित जमा करने का दबाव बना रहे हैं. वाहन संचालकों का कहना है कि, उन्होंने लोन लेकर पिकअप खरीदे थे, लेकिन लॉकडाउन ने उनकी कमर तोड़ दी है. इनको अपनी अजीविका चलाने में भी मुश्किल हो रही है. ऐसे में वे तीन महीने की किश्त कैसे जमा करेंगे.

सरकार ने लॉकडाउन की वजह से छूट देते हुए किसी भी प्रकार की ईएमआई को तीन महीने बाद जमा करने की बात कही है, इसके बाद भी फाइनेंसर लगातार किश्त जमा करने का दबाव बना रहे हैं. जिससे पिकअप वाहन संचालक काफी परेशान हैं.

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