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आगर विधानसभाः बीजेपी सहानुभूति तो कांग्रेस रणनीति के सहारे, जनता किसे चुनेगी अपना नेता

आगर विधानसभा सीट पर बीजेपी विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन से उपचुनाव की स्थिति बनी है. आगर में यह दूसरा उपचुनाव है. बीजेपी ने यहां मनोहर के बेटे मनोज ऊंटवाल को प्रत्याशी बनाया है. तो कांग्रेस ने भी युवा विपिन वानखेड़े को मौका दिया है. आगर विधानसभा सीट से देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट....

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आगर विधानसभा सीट
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Published : Oct 14, 2020, 2:06 PM IST

आगर-मालवा। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में आगर-मालवा जिले की आगर विधानसभा सीट भी शामिल है. यह सीट बीजेपी विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन से खाली हुई थी. जहां उपचुनाव में बीजेपी ने मनोहर ऊंटवाल के बेटे मनोज ऊंटवाल को प्रत्याशी बनाया है. तो तो कांग्रेस ने युवा चेहरे विपिन वानखेड़े पर एक बार फिर भरोसा जताया है. दो युवा चेहरे होने से यहां मुकाबला रोचक होने वाला है.

आगर विधानसभा में दूसरा उपचुनाव

आगर विधानसभा सीट पर यह दूसरा उपचुनाव हो रहा है और दोनों ही बार उपचुनाव की वजह बने बीजेपी के दिवगंद नेता मनोहर ऊंटवाल. पहली बार 2013 में बीजेपी से जीत हासिल करने वाले मनोहर ऊंटवाल ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायकी से इस्तीफा दे दिया था जिससे यहां उपचुनाव की स्तिथि बनी थी. जबकि दूसरी बार उनके निधन से यह सीट खाली हो गयी. 2018 में मनोहर ऊंटवाल कांग्रेस के विपिन वानखेड़े को करीबी अंतर से चुनाव हराया था.

ये भी पढ़ेंः सुरखी विधानसभाः यहां दल बदलकर मैदान में उतरे प्रत्याशी, दांव पर सिंधिया के सिपाही की साख

बीजेपी के दबदबे वाली सीट है आगर

आगर विधानसभा सीट के सियासी इतिहास की जाए तो संघ की प्रयोग शाला कहे जाने वाले मालवांचल में इस सीट पर बीजेपी का दबदबा माना जाता है. अब तक हुए 15 आम चुनावों में से इस सीट पर 11 बार जनसंघ और बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. तो चार बार कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा है. इस सीट पर बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल दो बार चुनाव जीते थे. लेकिन दोनों ही बार वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

आगर में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं
आगर में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं

आगर सीट के जातिगत समीकरण

आगर विधानसभा सीट पर वैसे तो जातिगत समीकरण का कोई खास प्रभाव अब तक देखा नहीं गया. अनुसूचित जातिवर्ग प्रभावी भूमिका में होने से यह सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है. 60 हजार मालवीय और 50 हजार मेघवाल समाज के वोटर होने की वजह से पार्टियां इन दोनों वर्ग से आने प्रत्याशियों पर ही दांव लगाती हैं. बाकी बचे मतदाता सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक समुदाय से आते है.

अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है आगर सीट
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है आगर सीट

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर विधानसभा सीटः चेहरा वही निशान नया, दांव पर है सिंधिया के सच्चे सिपाही की साख

आगर सीट के मतदाता

आगर विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 17 हजार 335 मतदाता है. जिनमें एक लाख 11 हजार 980 पुरुष मतदाता, तो एक लाख 5 हजार 370 महिला मतदाता है. जो अपने नए विधायक का चयन करेंगे.

आगर विधानसभा सीट के मतदाता
आगर विधानसभा सीट के मतदाता

मनोहर ऊंटवाल के बेटे हैं बीजेपी प्रत्याशी मनोज ऊंटवाल

बीजेपी ने दिवगंत मनोहर ऊंटवाल के बेटे मनोज ऊंटवाल को प्रत्याशी बनाया है. मनोज ऊंटवाल कहते है कि वह अपने पिता के कामकाज और शिवराज सरकार के विकास कार्यों पर जनता के बीच जा रहे हैं. क्योंकि उनके पिता ने इस क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है. जिससे जनता उन पर हमेशा भरोसा जताती थी. मनोज ऊंटवाल को उम्मीद है कि अपने पिता की तरह वे भी चुनाव में जीत दर्ज करेंगे.

मनोज ऊंटवाल, बीजेपी प्रत्याशी
मनोज ऊंटवाल, बीजेपी प्रत्याशी

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर पूर्व विधानसभाः पुरानी जोड़ी में फिर मुकाबला, लेकिन दल बदल कर उतरे प्रत्याशी

कांग्रेस के युवा लीडर है विपिन वानखेड़े

कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े की युवा लीडरों में होती है. विपिन एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष हैं. लिहाजा छात्र संगठनों में विपिन की अच्छी पकड़ मानी जाती है. पिछले चुनाव में उन्होंने मनोहर ऊंटवाल को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि इंदौर का निवासी होने की वजह से उन पर बाहरी प्रत्याशी का आरोप भी लगता रहता है. बावजूद इसके वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और इस बार अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.

विपिन वानखेड़े, कांग्रेस प्रत्याशी
विपिन वानखेड़े, कांग्रेस प्रत्याशी

राजनीतिक जानकारों की राय

वही आगर विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों पर राजनीतिक जानकार बसंत गुप्ता कहते है कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही आगर को जिला बनाया गया था. जिसका फायदा बीजेपी को मिला है. जबकि पिछले 15 महीने की कमलनाथ सरकार के दौरान दिग्विजय सिंह के बेटे यहां के प्रभारी मंत्री रहे. लिहाजा कांग्रेस ने भई यहां विकास काम कराने के दावे किए हैं. हालांकि सड़क यहां अभी एक बड़ा मुद्दा है. जिससे मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ेंः बदनावर में पहला उपचुनावः बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण, बीजेपी-कांग्रेस में ही रहता है मुकाबला

सीएम शिवराज पर दारमोदार

मनोहर ऊंटवाल बीजेपी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते थे. लिहाजा उनके समर्थन के चलते ही मनोहर के बेटे मनोज को टिकिट मिला. जिससे बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कंधों पर ही है. शिवराज सिंह चौहान यहां आगर में सभा को भी संबोधित कर चुके हैं.

आगर विधानसभा सीट
आगर विधानसभा सीट

कांग्रेस में जयवर्धन सिंह आगर के प्रभारी

वही कांग्रेस में पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को आगर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी दी गयी है. जयवर्धन सिंह चुनाव की घोषणा होने से पहले ही आगर में चुनावी मैदान संभाल रहे हैं. वे लगातार यहां कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़ें के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं. जिससे विपिन वानखेड़े को जीत दिलाने का जिम्मा जिम्मा उन्हीं के कंधों पर है. ऐसे में दोनों युवा प्रत्याशियों में पहली बार विधानसभा का सफर कोन तय करता है. इसका पता तो 10 नवंबर को ही चलेगा.

आगर-मालवा। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में आगर-मालवा जिले की आगर विधानसभा सीट भी शामिल है. यह सीट बीजेपी विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन से खाली हुई थी. जहां उपचुनाव में बीजेपी ने मनोहर ऊंटवाल के बेटे मनोज ऊंटवाल को प्रत्याशी बनाया है. तो तो कांग्रेस ने युवा चेहरे विपिन वानखेड़े पर एक बार फिर भरोसा जताया है. दो युवा चेहरे होने से यहां मुकाबला रोचक होने वाला है.

आगर विधानसभा में दूसरा उपचुनाव

आगर विधानसभा सीट पर यह दूसरा उपचुनाव हो रहा है और दोनों ही बार उपचुनाव की वजह बने बीजेपी के दिवगंद नेता मनोहर ऊंटवाल. पहली बार 2013 में बीजेपी से जीत हासिल करने वाले मनोहर ऊंटवाल ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायकी से इस्तीफा दे दिया था जिससे यहां उपचुनाव की स्तिथि बनी थी. जबकि दूसरी बार उनके निधन से यह सीट खाली हो गयी. 2018 में मनोहर ऊंटवाल कांग्रेस के विपिन वानखेड़े को करीबी अंतर से चुनाव हराया था.

ये भी पढ़ेंः सुरखी विधानसभाः यहां दल बदलकर मैदान में उतरे प्रत्याशी, दांव पर सिंधिया के सिपाही की साख

बीजेपी के दबदबे वाली सीट है आगर

आगर विधानसभा सीट के सियासी इतिहास की जाए तो संघ की प्रयोग शाला कहे जाने वाले मालवांचल में इस सीट पर बीजेपी का दबदबा माना जाता है. अब तक हुए 15 आम चुनावों में से इस सीट पर 11 बार जनसंघ और बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. तो चार बार कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा है. इस सीट पर बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल दो बार चुनाव जीते थे. लेकिन दोनों ही बार वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

आगर में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं
आगर में अब तक 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं

आगर सीट के जातिगत समीकरण

आगर विधानसभा सीट पर वैसे तो जातिगत समीकरण का कोई खास प्रभाव अब तक देखा नहीं गया. अनुसूचित जातिवर्ग प्रभावी भूमिका में होने से यह सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है. 60 हजार मालवीय और 50 हजार मेघवाल समाज के वोटर होने की वजह से पार्टियां इन दोनों वर्ग से आने प्रत्याशियों पर ही दांव लगाती हैं. बाकी बचे मतदाता सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक समुदाय से आते है.

अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है आगर सीट
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है आगर सीट

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर विधानसभा सीटः चेहरा वही निशान नया, दांव पर है सिंधिया के सच्चे सिपाही की साख

आगर सीट के मतदाता

आगर विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 17 हजार 335 मतदाता है. जिनमें एक लाख 11 हजार 980 पुरुष मतदाता, तो एक लाख 5 हजार 370 महिला मतदाता है. जो अपने नए विधायक का चयन करेंगे.

आगर विधानसभा सीट के मतदाता
आगर विधानसभा सीट के मतदाता

मनोहर ऊंटवाल के बेटे हैं बीजेपी प्रत्याशी मनोज ऊंटवाल

बीजेपी ने दिवगंत मनोहर ऊंटवाल के बेटे मनोज ऊंटवाल को प्रत्याशी बनाया है. मनोज ऊंटवाल कहते है कि वह अपने पिता के कामकाज और शिवराज सरकार के विकास कार्यों पर जनता के बीच जा रहे हैं. क्योंकि उनके पिता ने इस क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है. जिससे जनता उन पर हमेशा भरोसा जताती थी. मनोज ऊंटवाल को उम्मीद है कि अपने पिता की तरह वे भी चुनाव में जीत दर्ज करेंगे.

मनोज ऊंटवाल, बीजेपी प्रत्याशी
मनोज ऊंटवाल, बीजेपी प्रत्याशी

ये भी पढ़ेंः ग्वालियर पूर्व विधानसभाः पुरानी जोड़ी में फिर मुकाबला, लेकिन दल बदल कर उतरे प्रत्याशी

कांग्रेस के युवा लीडर है विपिन वानखेड़े

कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े की युवा लीडरों में होती है. विपिन एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष हैं. लिहाजा छात्र संगठनों में विपिन की अच्छी पकड़ मानी जाती है. पिछले चुनाव में उन्होंने मनोहर ऊंटवाल को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि इंदौर का निवासी होने की वजह से उन पर बाहरी प्रत्याशी का आरोप भी लगता रहता है. बावजूद इसके वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और इस बार अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.

विपिन वानखेड़े, कांग्रेस प्रत्याशी
विपिन वानखेड़े, कांग्रेस प्रत्याशी

राजनीतिक जानकारों की राय

वही आगर विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों पर राजनीतिक जानकार बसंत गुप्ता कहते है कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही आगर को जिला बनाया गया था. जिसका फायदा बीजेपी को मिला है. जबकि पिछले 15 महीने की कमलनाथ सरकार के दौरान दिग्विजय सिंह के बेटे यहां के प्रभारी मंत्री रहे. लिहाजा कांग्रेस ने भई यहां विकास काम कराने के दावे किए हैं. हालांकि सड़क यहां अभी एक बड़ा मुद्दा है. जिससे मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ेंः बदनावर में पहला उपचुनावः बड़ा फैक्टर है जातिगत समीकरण, बीजेपी-कांग्रेस में ही रहता है मुकाबला

सीएम शिवराज पर दारमोदार

मनोहर ऊंटवाल बीजेपी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाते थे. लिहाजा उनके समर्थन के चलते ही मनोहर के बेटे मनोज को टिकिट मिला. जिससे बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कंधों पर ही है. शिवराज सिंह चौहान यहां आगर में सभा को भी संबोधित कर चुके हैं.

आगर विधानसभा सीट
आगर विधानसभा सीट

कांग्रेस में जयवर्धन सिंह आगर के प्रभारी

वही कांग्रेस में पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को आगर विधानसभा सीट की जिम्मेदारी दी गयी है. जयवर्धन सिंह चुनाव की घोषणा होने से पहले ही आगर में चुनावी मैदान संभाल रहे हैं. वे लगातार यहां कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़ें के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं. जिससे विपिन वानखेड़े को जीत दिलाने का जिम्मा जिम्मा उन्हीं के कंधों पर है. ऐसे में दोनों युवा प्रत्याशियों में पहली बार विधानसभा का सफर कोन तय करता है. इसका पता तो 10 नवंबर को ही चलेगा.

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