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लोगों की इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत लाई रंग, बिना किसी सरकारी मदद के बंजर पहाड़ी को बनाया हरा-भरा - आगर

थानीय लोगों ने पर्यावरण संरक्षण की बेहतरीन मिसाल पेश की है. गुफा बरडा के सामने स्थित मौला अली टेकरी वाली पहाड़ी पिछले कई सालों से वीरान दिखाई देती थी, लेकिन जनभागीदारी और लोगों की कड़ी मेहनत ने इसे हरा-भरा कर दिया.

people planted plants
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Published : Feb 27, 2019, 1:35 PM IST

आगर। शहर के स्थानीय लोगों ने पर्यावरण संरक्षण की बेहतरीन मिसाल पेश की है. गुफा बरडा के सामने स्थित मौला अली टेकरी वाली पहाड़ी पिछले कई सालों से वीरान दिखाई देती थी, लेकिन जनभागीदारी और लोगों की कड़ी मेहनत ने इसे हरा-भरा कर दिया.


मौला अली टेकरी पर पानी की व्यवस्था नहीं होने से पेड़-पौधे विकसित नहीं हो पा रहे थे. ऐसी हालत में कुछ युवाओं ने आपस में राशि जमा कर एक ट्यूबवेल लगवाया और पहाड़ी पर पौधे लगाने शुरू किए. अब 13 साल की मेहनत के बाद यह पहाड़ी हरी-भरी हो गई है.

आगर


यहां के लोगों ने वीरान पहाड़ी पर पौधे लगाने के लिए न तो किसी तरह का प्रचार-प्रसार किया और न ही सरकारी खजाने से कोई मदद ली. स्वप्रेरणा से पर्यावरण संरक्षण करने के लिहाज से ग्रामीण अपने काम में जुट गए और उसके सकारात्मक परिणाम भी अब दिखाई दे रहे हैं. बता दें कि इस 200 फीट ऊंची पहाड़ी पर आम, बादाम, अनार, इमली, खिरनी, सागौन, शीशम सहित दूसरे छायादार पौधे लगाए गए थे, जिन्होंने अब पेड़ का रूप ले लिया है.

आगर। शहर के स्थानीय लोगों ने पर्यावरण संरक्षण की बेहतरीन मिसाल पेश की है. गुफा बरडा के सामने स्थित मौला अली टेकरी वाली पहाड़ी पिछले कई सालों से वीरान दिखाई देती थी, लेकिन जनभागीदारी और लोगों की कड़ी मेहनत ने इसे हरा-भरा कर दिया.


मौला अली टेकरी पर पानी की व्यवस्था नहीं होने से पेड़-पौधे विकसित नहीं हो पा रहे थे. ऐसी हालत में कुछ युवाओं ने आपस में राशि जमा कर एक ट्यूबवेल लगवाया और पहाड़ी पर पौधे लगाने शुरू किए. अब 13 साल की मेहनत के बाद यह पहाड़ी हरी-भरी हो गई है.

आगर


यहां के लोगों ने वीरान पहाड़ी पर पौधे लगाने के लिए न तो किसी तरह का प्रचार-प्रसार किया और न ही सरकारी खजाने से कोई मदद ली. स्वप्रेरणा से पर्यावरण संरक्षण करने के लिहाज से ग्रामीण अपने काम में जुट गए और उसके सकारात्मक परिणाम भी अब दिखाई दे रहे हैं. बता दें कि इस 200 फीट ऊंची पहाड़ी पर आम, बादाम, अनार, इमली, खिरनी, सागौन, शीशम सहित दूसरे छायादार पौधे लगाए गए थे, जिन्होंने अब पेड़ का रूप ले लिया है.

Intro:गुफा बरडा के सामने स्थित मौला अली टेकरी वाली पहाड़ी कुछ वर्षों पूर्व विरान दिखाई देती थी लेकिन अब यह पहाड़ी हरे-भरे पेड़-पौधों से आच्छादित नजर आती है। इस पहाड़ी को हरा भरा करने के लिए कोई सरकारी अभियान नहीं चलाया गया यहां कुछ युवाओं ने स्वप्रेरणा से समयदान कर पेड़-पौधों को विकसित कर दिखाई जिसके कारण अब यह पहाड़ी दूर से ही हरी-भरी दिखाई देती है। मौला अली टेकरी पर पानी की व्यवस्था ना होने से पेड़ पौधे विकसित नहीं हो पा रहे थे ऐसी दशा में कुछ युवाओं ने आपस में राशि एकत्रित कर एक ट्यूबवेल लगवाया और पहाड़ी पर पौधे लगाने का काम आरम्भ कर दिया। पौधे विकसित करने के लिए बकायदा युवाओं ने अलग-अलग पाली में उनकी देखभाल करने का निर्णय लिया पौधों की देखभाल की गई समय-समय पर उन्हें पानी पिलाया गया करीब 13 वर्षों में पौधे के रूप में अब यही पौधे हरे-भरे वृक्षों के रूप में दिखाई देते हैं। शहर के लक्ष्मण पूरा निवासी ईश्वर सिंह सहित अन्य युवाओं ने बगैर किसी प्रचार-प्रसार के यह कार्य कर दिखाया जबकि पर्यावरण संरक्षण को लेकर तरह-तरह के कसीदे पड़े जाते हैं


Body:और तरह-तरह के प्रचार-प्रसार कर पौधे लगाने का गुणगान कर लाखो रुपये खर्च भी कर दिए जाते है उसके बावजूद भी न तो वे पौधे विकसित हो पाते है और न ही पर्यावरण का समुचित संरक्षण हो पाता है। इसके विपरीत इन युवाओं ने इस विरान पहाड़ी पर पौधे लगाने के लिए न तो किसी तरह का प्रचार-प्रसार किया और न ही सरकारी खजाने से कोई मदद ली। स्वप्रेरणा से पर्यावरण संरक्षण करने के लिहाज से अपने काम मे जुट गए और उसके सकारात्मक परिणाम भी अब धरातल पर दिखाई देते है।


Conclusion:बता दे कि इस पहाड़ी पर आम, बादाम, अनार, इमली, खिरनी, सागौन, शीशम, सहित अन्य छायादार पौधे लगये गए थे इनमे से सेंकडो पौधे वृक्षो का रूप ले चुके है।
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