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अच्छी बारिश न होने से ग्रामीण परेशान, बागरसोई कर इंद्रदेव को मनाने की कर रहे कोशिश

बारिश नहीं होने से लोगो की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है. किसानों की फसलें पानी की कमी के कारण सूखने लगी हैं. रूठे देवराज इंद्र को मनाने के लिए लोग जगह-जगह हवन- पूजन और उज्जैनी का आयोजन कर रहें हैं.

बागरसोई कर इंद्रदेव को मनाने की कर रहे कोशिश
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Published : Jul 27, 2019, 10:42 PM IST

आगर मालवा। सावन के महीने के एक सप्ताह से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक तेज बारिश नहीं हुई है. बारिश नहीं होने से लोगों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है. किसानों की फसलें पानी की कमी के कारण सूखने लगी हैं. ऐसे में लोग रूठे देवराज इंद्र को मनाने के लिए जगह-जगह हवन- पूजन और उज्जैनी का आयोजन कर रहें हैं.

Organizing Ujjaini to impress Indra Dev


देवराज इंद्र को मनाने के लिए लोग बागरसोई जिसे उज्जमनी या उज्जैनी भी कहा जाता है का आयोजन कर रहे हैं. इस आयोजन में लोग अपने खेत खलिहान में खुले आसमान के नीचे भोजन बनाते है. भोजन बनाने के बाद जल के देवता इंद्र को आव्हान करते है और दाल- बाटी व चुरमा का भोग लगाकर विधि-विधान से पूजा करते हैं.


शनिवार को लोगों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंदकर घर की बजाय खेत-खलिहानो और मंदिरो में भोजन बनाया. महिलाओं ने इंद द्रेव को भोग लगाया और मंदिरों में भजन कीर्तन किया. भोग लगाने के बाद बच्चों के साथ सभी ने भोजन किया और बारिश के लिए इंद्रदेव से प्रार्थना की.

Organizing Ujjaini  to impress Indra Dev
Organizing Ujjaini to impress Indra Dev

आगर मालवा। सावन के महीने के एक सप्ताह से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक तेज बारिश नहीं हुई है. बारिश नहीं होने से लोगों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है. किसानों की फसलें पानी की कमी के कारण सूखने लगी हैं. ऐसे में लोग रूठे देवराज इंद्र को मनाने के लिए जगह-जगह हवन- पूजन और उज्जैनी का आयोजन कर रहें हैं.

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देवराज इंद्र को मनाने के लिए लोग बागरसोई जिसे उज्जमनी या उज्जैनी भी कहा जाता है का आयोजन कर रहे हैं. इस आयोजन में लोग अपने खेत खलिहान में खुले आसमान के नीचे भोजन बनाते है. भोजन बनाने के बाद जल के देवता इंद्र को आव्हान करते है और दाल- बाटी व चुरमा का भोग लगाकर विधि-विधान से पूजा करते हैं.


शनिवार को लोगों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंदकर घर की बजाय खेत-खलिहानो और मंदिरो में भोजन बनाया. महिलाओं ने इंद द्रेव को भोग लगाया और मंदिरों में भजन कीर्तन किया. भोग लगाने के बाद बच्चों के साथ सभी ने भोजन किया और बारिश के लिए इंद्रदेव से प्रार्थना की.

Organizing Ujjaini  to impress Indra Dev
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Intro:क्षेत्र में मानसून एक बार फिर रूठ गया है, जिसके चलते कई हिस्से में न केवल फसलें सूखने लगी हैं, बल्कि बारिश की खेंच के कारण हालत गंभीर भी होने लगे है। किसान चिंतित है, परेशान है। ऐसे में रूठे देवराज इंद्र को मनाने के लिए जगह-जगह हवन- पूजन के साथ ही उज्जैनी का आयोजन हो रहा है। धार्मिक कार्यक्रम हो रहे है, जिसमें भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थनाएं हो रही है।Body:बागरसोई जिसे गांवों में बोलचाल की भाषा में उज्जमनी या उज्जैनी कहा जाता है का आयोजन हो रहा है। ग्रामीण अपने-अपने घरों से दूर खेत खलिहान में प्रकृति के आंचल में खुले गगन तले भोजन बनाते है, फिर जल के देवता इंद्र को आव्हान करते है कि है जलदेव हमारे क्षेत्र में आपकी बेरूखी के कारण फंसले सुखने की कगार पर पहुंच गई है। है कृपानिधान, है दया निधान, अपनी कृपारूपी जीवनदायी अमृत की बुंदों को बरसाकर इस प्यासी भूमि को तृप्त करें। इसके पश्चात दाल- बाटी व चुरमा का भोग लगाकर विधि-विधान से पूजा करते है

शनिवार को पूरा शहर बंद रहा लोगो ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर घर की बजाय खेतो-खलिहानो और मंदिरो में भोजन बनाया और इंद द्रेव को भोग लगाया। मंदिरों में भजन कीर्तन किए गए। शनिवार को नगर के बाहर मेला ग्राउण्ड क्षेत्र में इतवारीय बाजार क्षेत्र की महिलाओं के द्वारा सामुहिक रूप से भोजन बनाया गया और इंद देव को दाल-बाटी का भोग लगाकर बारिश के लिए प्रार्थना की गई। साथ ही ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, नगर से 3 िकलोमीटर दूर स्थित मोरूखेडी स्थित शिव मंदिर, माधव विलास वे अपने-अपने खेतो खलिहानों पर नगरवासियो ने पहुंचकर अच्छी बारिश की कामना को लेकर उज्जैनी मनाई गई।Conclusion:वैसे तो सावन का महिना बारिश के लिए जाना जाता है, लेकिन एक सप्ताह से भी अधिक का समय बीत जाने के बाद भी मेघ अभी तक तेज नहीं बरसे है। जिससे किसान परेशान होने लगा है। खेतों में उगी फसले बारिश की बूंदो का बेसब्री से इंतजार कर रही है। लेकिन इंद राजा है की पानी बरसाने का नाम ही नही ले रहे है। ऐसे में शहर से लेकर गांवो में उज्जैनी का आयोजन किया जा रहा है।

विजुअल व फ़ोटो-
उज्जैनी के दौरान नगर से बाहर बाग रसोई बनाते हुवे महिलाएं।
शहर से बाहर भोजन करते हुवे बच्चे व महिलाएं।
उज्जैनी के दौरान मन्दिर में भजन कीर्तन करते हुवे महिलाएं।

बाईट- गीता बाई, अध्यक्ष, राधे कृष्णा महिला मंडल, सुसनेर
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