आगर। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक लॉकडाउन के चलते कामगारों के काम धंधे पूरी तरह से चौपट हो चुके है. सरकार ने गांवो में रोजगार के साधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से मनरेगा के तहत कार्य करवाने पर जोर दिया जरूर है, लेकिन गांवों में पहुंचे मजदूरो की जो स्थिति है. इसका एक उदाहरण आगर जिले के सुसनेर में बुधवार को सामने आया.
यहां गुजरात और राजस्थान राज्य से श्यामपुरा गांव लौटे मजदूरों को मनरेगा के तहत कार्य पर तो रखा गया. 3 से 4 दिन तक उन से मजदूरी भी करवाई गई, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया और अब मशीनों के माध्यम से कार्य करवाया जा रहा है.
यहां तक कि उनकी मजदूरी भी नहीं दी गई है, ये आरोप लगाते हुए बुधवार को श्यामपुरा के सैकडों मजदूरों ने स्थानीय रेस्ट हाऊस पर जनपद पंचायत सीईओ को जिला कलेक्टर के नाम एक शिकायती आवेदन भी दिया है. साथ ही मामले में जांच की मांग की है.
शिकायत के बाद यह बात भी सामने आ रही है कि ग्राम पंचायत में 210 मजदूरों से मनरेगा के तहत कार्य करवाए जाने की जानकारी जनपद पंचायत के पास है. जबकि इतने मजदूर कार्य नहीं कर रहे हैं. श्यामपुरा गांव के मजदूरों ने शिकायत में बताया कि ग्राम पंचायत में पूरे साल ही यही स्थिति रहती है, यहां के मजदूरों को मनरेगा के तहत कार्य नहीं करवाया जाकर मशीनों के माध्यम से काम करवाया जाता है.
ग्रामीणों ने आवेदन के माध्यम से यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें योजना के तहत काम पर लगाया गया, लेकिन 3 से 4 दिन बाद हटा दिया गया, जिससे वह अब बेरोजगार होकर घर पर बैठे हैं.
लॉकडाउन के बाद शहरो में काम बंद कर दिया गया है, जिसके बाद मजदूर अपने गांव वापस लौटे हैं. कुछ समय के लिए घर पर खाली रहने के बाद अब गांव में काम की तलाश में हैं, लेकिन मनरेगा के अंतर्गत जॉब कार्ड नहीं बनने और काम नहीं मिलने जैसी समस्याऐं सामने आ रही हैं, जिससे परिवार की रोजी-रोटी को लेकर संकट खडा होने लगा है.
जनपद पंचायत सुसनेर के सीईओ पराग पंथी का कहना है कि मजदूरों को मनरेगा के तहत कार्य को लेकर शिकायत मिली है. मामले कि जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत श्यामपुरा में वर्तमान में 210 मजदूर कार्य कर रहे हैं.