आगर-मालवा। सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को लेकर आम लोगों में धारणा गलत रहती है, लेकिन आगर का मॉडल स्कूल ऐसी तमाम धारणाओं को सिरे से खारिज करता हुआ दिखाई दे रहा है. छात्रों को अच्छे मुकाम तक पहुंचाने के लिए यहां के शिक्षक आये दिन नवाचार करते रहते हैं. बच्चों का भविष्य संवारने और बारहवीं कक्षा के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए स्कूल में पदस्थ शिक्षकों ने एक अभिनव पहल किया है वो भी बगैर किसी सरकारी मदद के.
इस पहल के जरिए बच्चों के लिए स्कूल परिसर में ही एक लाइब्रेरी बनाई गई, जिसमें प्राचीन भारत, भूगोल, महापुरुषों की जीवन गाथा पर आधारित तथा प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकें रखी गई हैं. साथ ही पुस्तक दान अभियान चलाया, जिसका सार्थक परिणाम भी सामने आया है.
लाइब्रेरी में मौजूद है प्रतियोगी परीक्षाओं के नोट्स
बड़े-बड़े अधिकारी और प्रतिष्ठित लोग जिनके बच्चों ने महंगे संस्थानों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की वो लोग भी अब इस मॉडल स्कूल में पुस्तकें दान कर रहे हैं. जिसका फायदा यहां के छात्रों को मिल रहा है. छात्र भी इस लाइब्रेरी के खुलने से उत्साहित हैं. छात्रों का कहना है कि अब उन्हें महंगे संस्थानों में दाखिला लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि स्कूल में मौजूद लाइब्रेरी में उन्हें वो हर पुस्तक मिल रही है जिसकी उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए जरूरत है.
छात्रों को मिल रही सभी सुविधाएं
प्राचार्य संजीव उपाध्याय ने बताया कि स्कूल में लाइब्रेरी खोलने का विचार लंबे समय से चल रहा था. फिर शिक्षकों ने एकमत होकर इसे जनजागृति अभियान के रूप में लाने की कोशिश की. संजीव उपाध्याय ने कहा कि स्कूल के बच्चों और अन्य रिश्तेदारों के बच्चों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा के दौरान तैयार किये गए नोट्स और पुस्तकें यहां लाकर रखी गई हैं. बच्चे आगामी परीक्षाओं की तैयारी यहीं से कर सकेंगे, उन्हें कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.