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थाने की 8 बीघा जमीन भू-माफिया ने खुद की बताकर बेची, नामांतरण के बाद जांच शुरू

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Published : Nov 24, 2019, 3:03 PM IST

Updated : Nov 24, 2019, 3:24 PM IST

इंदौर-कोटा राजमार्ग पर थाना भवन निर्माण के लिए आवंटित 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन में से 8 बीघा जमीन भू-माफियाओं ने बेच दी.

भूमाफिया ने शासकीय भूमि को निजी बताकर बेचा

आगर। भू-माफियाओं ने इंदौर-कोटा राजमार्ग पर थाने के भवन निर्माण के लिए आवंटित 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन में से 8 बीघा जमीन बेच दी और इतना ही नहीं उसका नामांतरण भी जमीन खरीदने वालों के पक्ष में करवा दिया. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की शिकायत पर कलेक्टर ने प्रशासन से जांच कराई तो पूरा सच सामने आ गया.

थाने की 8 बीघा जमीन भू-माफिया ने खुद की बताकर बेची

इस मामले का खुलासा होते ही कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए, जिसके बाद प्रशासन ने जांच दल गठित किया है. इंदौर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर नगरीय क्षेत्र में मुख्य सड़क से लगी हुई शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 2003/2 वर्ष 1975 में शाजापुर के तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन पुलिस थाना भवन और अन्य कार्यों के लिए पुलिस विभाग को आंवटित की गई थी. इस जमीन पर थाने का निर्माण होना था, लेकिन उस समय जमीन के नगर से बाहर होने के चलते हाथी दरवाजे के समीप संचालित पुलिस थाना वहां शिफ्ट नहीं किया जा सका था.

सुसनेर पुलिस विभाग को पुलिस थाना निर्माण के लिए साल 1975 में शाजापुर के तत्कालीन कलेक्टर के आदेश से आंवटित हुई 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन में से 8 बीघा जमीन निजी हाथों को बेच दिया गया.

आगर। भू-माफियाओं ने इंदौर-कोटा राजमार्ग पर थाने के भवन निर्माण के लिए आवंटित 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन में से 8 बीघा जमीन बेच दी और इतना ही नहीं उसका नामांतरण भी जमीन खरीदने वालों के पक्ष में करवा दिया. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की शिकायत पर कलेक्टर ने प्रशासन से जांच कराई तो पूरा सच सामने आ गया.

थाने की 8 बीघा जमीन भू-माफिया ने खुद की बताकर बेची

इस मामले का खुलासा होते ही कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए, जिसके बाद प्रशासन ने जांच दल गठित किया है. इंदौर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर नगरीय क्षेत्र में मुख्य सड़क से लगी हुई शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 2003/2 वर्ष 1975 में शाजापुर के तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन पुलिस थाना भवन और अन्य कार्यों के लिए पुलिस विभाग को आंवटित की गई थी. इस जमीन पर थाने का निर्माण होना था, लेकिन उस समय जमीन के नगर से बाहर होने के चलते हाथी दरवाजे के समीप संचालित पुलिस थाना वहां शिफ्ट नहीं किया जा सका था.

सुसनेर पुलिस विभाग को पुलिस थाना निर्माण के लिए साल 1975 में शाजापुर के तत्कालीन कलेक्टर के आदेश से आंवटित हुई 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन में से 8 बीघा जमीन निजी हाथों को बेच दिया गया.

Intro:आगर मालवा। जिलें की सुसनेर तहसील में भूमाफिया राजस्व विभाग को तो हमेशा अपनी कलाकारियां दिखाते ही आ रहे थे किन्तु इस बार ये लोग पुलिस विभाग पर भी भारी पड गए। क्षेत्र के भूमाफियाअों ने पुलिस विभाग को इंदौर-कोटा राजमार्ग पर थाना भवन निर्माण के लिए आवंटित 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन में से 8 बीघा जमीन बेच डाली। और इतना ही नही उसका नामांतरण भी जमीन खरीदने वालों के पक्ष में करवा डाला। पुलिस के वरीष्ठ अधिकारीयों की शिकायत पर कलेक्टर ने प्रशासन के जिम्मैदारों का दल बनाकर उनसे जांच कराई तो जांच में यह सच सामने आया। और सच सामने आने के बाद राजस्व विभाग के जिम्मैदार कारवाई करने के नाम पर रिपोर्ट को दबाकर बैठ गए। और मामले को कफन पहनाने में जूटे है।Body:बता दें कि सुसनेर पुलिस विभाग को पुलिस थाना निर्माण के लिए वर्ष 1975 में शाजापुर के तत्कालिन कलेक्टर के आदेश से अांवटित हुई 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन में से 8 बीघा जमीन निजी हाथो में बेच देने का कारनामा कर दिखाया है। ये खुलासा आगर के कलेक्टर द्वारा दिए गए जांच के आदेश के बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा गठित जांच दल के प्रतिवेदन से हुआ है। यह प्रतिवेदन जिला कलेक्टर को भेज भी दिया गया है। इंदौर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर नगरीय क्षेत्र में मुख्य सड़क से लगी हुई शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 2003/2 वर्ष 1975 में शाजापुर के तत्कालिन कलेक्टर के आदेश से 16 बीघा 9 बिस्वा जमीन पुलिस थाना भवन और अन्य कार्यो के लिए पुलिस विभाग को आंवटित की गई थी। इस जमीन पर थाने का निर्माण होना था। किन्तु उस समय जमीन के नगर से बाहर होने के कारण हाथी दरवाजे के समीप संचालित पुलिस थाना वहां शिफ्ट नहीं किया जा सका। कई वर्षो तक इस सर्वे क्रमांक की पुलिस विभाग को आंवटित जमीन पुलिस विभाग के नाम पर राजस्व रिकार्ड में दर्ज थी। इसके बाद इस जमीन पर राजस्व विभाग के कर्मचारीयों से साठगांठ करके 1985 में ढाई बीघा जमीन पर लोगों को पट्टे बनाकर दे दिए गए। ये पट्टे बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के जारी किए गए। इसके बाद जिन लोगों को पट्टे दिए गए थे। उन लोगो के नाम से इस सर्वे नम्बर की जमीनों को बेचने का काम शुरू हुआ। राजस्व विभाग के कर्मचारीयों से मिली भगत करके इस जमीन के सर्वे नम्बर के टुकडे 2003/3, 2003/4, 2003/5 में करके बेचते रहे। मजे की बात यह रही कि जिन लोगों के नाम से जमीन बेची गई उनका रकबा कम नहीं हुआ। और उसके बाद पुन: जमीन को बेच दिया गया।Conclusion:बेशकीमती है हाईवे की यह जमीन

पुलिस विभाग को आंवटित यह जमीन इंदौर-कोटा राजमार्ग पर जिस जगह स्थित है, उस जगह पर जमीनों के भाव आगे के हिस्से के 2200 रूपये स्केयरफीट है। तथा पीछे के हिस्से का रेट शासकीय गाइड लाइन के अनुसार 1100 रूपये स्केयरफीट है। इस हिसाब से इस जमीन का भाव जोडा जाए तो 8 बीघा जमीन कम से कम 20 करोड रूपये तो होंगे ही। शासकीय रिकार्ड में पुलिस विभाग को आंवटित जमीन की रजिस्ट्री और उसके बाद खरीदने वाले के पक्ष में जमीन का नामांतरण आखिर कैसे हो गया। राजस्व विभाग के जिम्मैदार बढे अधिकारीयों की मिली भगत के बगैर यह कार्य हो ही नहीं सकता।

थाना प्रभारी ने एसडीएम न्यायालय में नामांतरण निरस्ती का प्रकरण दायर किया

नवंबर माह में इस मामले के उजागर हो जाने के बाद सुसनेर थाना प्रभारी विवेक कानोडिया के द्वारा एसडीएम न्यायालय में वाद दायर करके पुलिस विभाग को आंवटित सर्वे क्रमांक 2003/2 की जमीन पर रजिस्ट्री के बाद दो लोगों के पक्ष में किए गए नामांतरण को निरस्त करने की मांग की है। इस आवेदन पर 21 नवंबर काे सुनवाई होनी है।

राजस्व विभाग ने दबाई जांच रिपोर्ट, मामले को पहनाया कफन, जिम्मैदारों ने साधी चुप्पी

इंदौर-कोटा राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पुलिस विभाग को आंवटित बेशकीमति 20 करोड से भी अधिक की 8 बीघा जमीन को भूमाफियाओं के जरीए निजी हाथो में बेच देने के मामले में राजस्व विभाग ने जांच रिपोर्ट पूरी तरह से दबाकर मामले को कफन पहनाने का प्रयास शुरू कर दिया है। राजस्व विभाग के जिम्मैदार मामले में कुछ भी बोलने से बचते हुएं चुप्पी साधे बैठे है। मामले में जांच प्रतिवेदन देने वाली महिला राजस्व निरीक्षक के द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद सुसनेर से उनका स्थानांतरण कर दिया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि जुलाई 2019 में जब इस मामले की जांच शुरू हो चुकी थी। तब तत्कालिन तहसीलदार ने जांच के दौरान ही इस जमीन के एक हिस्से का निजी व्यक्ति के पक्ष में नामांतरण कर दिया था। जबकि मामले की जांच चल रही थी। तो नामांतरण की कारवाई रोकी जा सकती थी।

विज्युअल- पुलिस थाना भवन व इंदौर-कोटा राजमार्ग के किनारे पुलिस थाने की बेशकिमती जमीन।

बाईट- आलोक परेटीया, थाना प्रभारी, सुसनेर।
Last Updated : Nov 24, 2019, 3:24 PM IST
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