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Jaya Ekadashi 2022 : जया एकादशी का विशिष्ट महत्व, व्रत विधि और पारण का नियम

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Published : Feb 10, 2022, 5:27 PM IST

जया एकादशी (jaya ekadashi vrat muhurta) की विधिवत पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान विष्णु की कृपा मिलने से अनजाने में किये गए पापों, सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. (Jaya ekadashi 2022)

Jaya ekadashi 2022
जया एकादशी व्रत मुहूर्त

ईटीवी भारत डेस्क : सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. प्रत्येक मास में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की. एक वर्ष में कुल 24 से 27 तक एकादशी हो सकती हैं जो अलग अलग नामों से जानी जाती हैं. माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से अप्सरा को पिशाच योनि के श्राप से मुक्ति मिली थी.

जया एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने पर मनुष्य को प्रेत आदि की योनि से मुक्ति मिलती है. विधिवत पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान विष्णु की कृपा मिलने से अनजाने में किये गए पापों, सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें : सभी राशियों का वार्षिक राशिफल

इस दिन (Jaya ekadashi 2022) प्रातः काल में सूर्योदय से पहले स्नान कर नवीन या साफ धुले हुए वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) और माता एकादशी का पूजन किया जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा कर उसकी जड़ में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण होंगी और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. इस दिन भगवान विष्णु के द्वादश अक्षर मंत्र महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम, श्री नारायण स्त्रोत (Vishnu Sahastranama Shree Narayana stotra) आदि का भी पाठ करना शुभ माना गया है. पुरुष सूक्त, लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना भी विशेष फल देता है. इस शुभ दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का पाठ करना चाहिए. इस दिन पीले, सफेद आदि शुभ वस्त्रों को धारण करना चाहिए. भगवान श्री हरि विष्णु को पीले पुष्पों की माला आदि चढ़ाई जानी चाहिए.

जया एकादशी व्रत का मुहूर्त और पारण समय (Jaya ekadashi vrat muhurta)

जया एकादशी व्रत – 12 फरवरी 2022

पारण का समय और तिथि– 13 फरवरी 2022 को सुबह 06:50 से 9:00 बजे तक

व्रत पारण का नियम

इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि लगने के बाद किया जाता है और व्रत का पारण द्वादशी तिथि (13 फरवरी शाम 6:42 बजे ) खत्म होने से पहले ही किया जाना चाहिए. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले खत्म हो गई है तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद होगा.

ईटीवी भारत डेस्क : सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. प्रत्येक मास में एकादशी दो बार आती है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कहलाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की. एक वर्ष में कुल 24 से 27 तक एकादशी हो सकती हैं जो अलग अलग नामों से जानी जाती हैं. माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से अप्सरा को पिशाच योनि के श्राप से मुक्ति मिली थी.

जया एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने पर मनुष्य को प्रेत आदि की योनि से मुक्ति मिलती है. विधिवत पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान विष्णु की कृपा मिलने से अनजाने में किये गए पापों, सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें : सभी राशियों का वार्षिक राशिफल

इस दिन (Jaya ekadashi 2022) प्रातः काल में सूर्योदय से पहले स्नान कर नवीन या साफ धुले हुए वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) और माता एकादशी का पूजन किया जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा कर उसकी जड़ में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण होंगी और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. इस दिन भगवान विष्णु के द्वादश अक्षर मंत्र महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम, श्री नारायण स्त्रोत (Vishnu Sahastranama Shree Narayana stotra) आदि का भी पाठ करना शुभ माना गया है. पुरुष सूक्त, लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना भी विशेष फल देता है. इस शुभ दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का पाठ करना चाहिए. इस दिन पीले, सफेद आदि शुभ वस्त्रों को धारण करना चाहिए. भगवान श्री हरि विष्णु को पीले पुष्पों की माला आदि चढ़ाई जानी चाहिए.

जया एकादशी व्रत का मुहूर्त और पारण समय (Jaya ekadashi vrat muhurta)

जया एकादशी व्रत – 12 फरवरी 2022

पारण का समय और तिथि– 13 फरवरी 2022 को सुबह 06:50 से 9:00 बजे तक

व्रत पारण का नियम

इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि लगने के बाद किया जाता है और व्रत का पारण द्वादशी तिथि (13 फरवरी शाम 6:42 बजे ) खत्म होने से पहले ही किया जाना चाहिए. यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले खत्म हो गई है तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद होगा.

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