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हितग्राहियों के लिए बने शोपीस जनधन खातों के कार्ड, सरकारी योजनाओं का नहीं मिलता लाभ

आगर मालवा में शासन की योजनाओं से वंचित लोगों ने अपना दर्द ईटीवी भारत को बताया. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जनधन खातों में पैसे डालने की बात खोखली साबित हुई. अभी तक खाते में कोई भी रकम नहीं आई है.

Showpiece Jan Dhan Accounts Cards made for the beneficiaries
सरकारी योजनाओं का नहीं मिलता लाभ
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Published : Aug 20, 2020, 4:21 PM IST

आगर मालवा। 20 लाख करोड़, 5 हजार करोड़, 3 हजार करोड़, एक हजार करोड़ ऐसे ही बहुत से आंकड़े हैं, जो समय-समय पर सरकार जारी करती है. ऐसा ही एक आंकड़ा अब आया है, एक लाख 30 हजार करोड़ रुपए का. सरकार का दावा है कि यह राशि जनधन खातों में जमा की है. लेकिन, जब ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि केंद्र सरकार की इस योजना के 6 माह बीतने के बाद अभी तक इसका किसी को फायदा नहीं मिल पाया है, यहां तक की कई लोगों का तो खाता भी नहीं खुल पाया है. जिन लोगों के खाते खुले हैं, वे लोग सरकारी रुपए की आस में बैंकों के बाहर घंटो इंतजार करते हैं. वहीं जब नंबर आता है तो पता चलता है कि किसी का खाता बंद हो गया है, तो किसी के खाते में कोई राशि नहीं आई है.

जिला मुख्यालय से महज तीन किमी की दूरी पर स्थित आवर गांव में जनधन खातों की स्थिति का जायजा लिया गया. ग्रामीण बहादुर सिंह अपने परिजनों के साथ बैंक के चक्कर लगाते हैं कि शायद कोई राशि सरकारी मदद मिली हो. बहादुर सिंह के मुताबिक अभी तक जनधन खाते में सरकार से कोई मदद नहीं मिली है. इसी गांव की निवासी कमला बाई अपनी वृद्ध साथियों के साथ वृद्धावस्था पेंशन और विधवा पेंशन का इंतजार करते निराश और हताश दिखाई दी. कमला के पास 3 बीघा जमीन है, जिससे वह अपना गुजर-बसर करती है. जनधन खाते में सरकारी योजनाओं की राशि के ऐलान से कमला बाई और गांव की कई सारी बुजुर्ग-विधवा महिलाओं की आंखों में चमक आई थी, लेकिन उनकी चमक तब उड़ी जब उनके खाते में कोई रुपया नहीं आया.

बहुत सारी तकनीकी खामियां

इस संबंध में अग्रणी बैंक प्रबंधक सरदार सिंह कटारा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जनधन खातों के संचालन में बहुत सारी तकनीकी खामियां हैं. जिसको ज्यादातर हितग्राही नहीं जानते हैं. वर्ल्ड बैंक की 2017 की रिपोर्ट में बताया गया कि 40 प्रतिशत खाते ही एक्टिव बैंक खाते के रूप में संचालित है. हितग्राही इन खातों में लगातार लेनदेन नहीं करते हैं. वे यही सोचते है कि केवल सरकार ही इस खाते में रुपया डालेगी. ऐसे में कई खाते लेनदेन के अभाव में बन्द हो जाते है. खाता चालू कराने के लिए हितग्राही आधार को खाते से लिंक कराकर दोबारा एक्टिव कर सरकारी योजना का लाभ ले सकते हैं.

40 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते


बता दें कि 28 अगस्त 2014 को नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के तहत जनधन योजना शुरू की थी. जिसका मकसद हर व्यक्ति का बुनियादी बचत खाता खोलना और जरूरत के मुताबिक कर्ज लेने की सुविधा, बीमा और पेंशन सुविधा का लाभ देना था. सरकारी दावे के मुताबिक यह योजना प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को बढ़ावा देने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हुई है. इस योजना के तहत अब तक 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के जनधन खाता खोल दिए गए हैं.

आगर मालवा। 20 लाख करोड़, 5 हजार करोड़, 3 हजार करोड़, एक हजार करोड़ ऐसे ही बहुत से आंकड़े हैं, जो समय-समय पर सरकार जारी करती है. ऐसा ही एक आंकड़ा अब आया है, एक लाख 30 हजार करोड़ रुपए का. सरकार का दावा है कि यह राशि जनधन खातों में जमा की है. लेकिन, जब ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि केंद्र सरकार की इस योजना के 6 माह बीतने के बाद अभी तक इसका किसी को फायदा नहीं मिल पाया है, यहां तक की कई लोगों का तो खाता भी नहीं खुल पाया है. जिन लोगों के खाते खुले हैं, वे लोग सरकारी रुपए की आस में बैंकों के बाहर घंटो इंतजार करते हैं. वहीं जब नंबर आता है तो पता चलता है कि किसी का खाता बंद हो गया है, तो किसी के खाते में कोई राशि नहीं आई है.

जिला मुख्यालय से महज तीन किमी की दूरी पर स्थित आवर गांव में जनधन खातों की स्थिति का जायजा लिया गया. ग्रामीण बहादुर सिंह अपने परिजनों के साथ बैंक के चक्कर लगाते हैं कि शायद कोई राशि सरकारी मदद मिली हो. बहादुर सिंह के मुताबिक अभी तक जनधन खाते में सरकार से कोई मदद नहीं मिली है. इसी गांव की निवासी कमला बाई अपनी वृद्ध साथियों के साथ वृद्धावस्था पेंशन और विधवा पेंशन का इंतजार करते निराश और हताश दिखाई दी. कमला के पास 3 बीघा जमीन है, जिससे वह अपना गुजर-बसर करती है. जनधन खाते में सरकारी योजनाओं की राशि के ऐलान से कमला बाई और गांव की कई सारी बुजुर्ग-विधवा महिलाओं की आंखों में चमक आई थी, लेकिन उनकी चमक तब उड़ी जब उनके खाते में कोई रुपया नहीं आया.

बहुत सारी तकनीकी खामियां

इस संबंध में अग्रणी बैंक प्रबंधक सरदार सिंह कटारा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जनधन खातों के संचालन में बहुत सारी तकनीकी खामियां हैं. जिसको ज्यादातर हितग्राही नहीं जानते हैं. वर्ल्ड बैंक की 2017 की रिपोर्ट में बताया गया कि 40 प्रतिशत खाते ही एक्टिव बैंक खाते के रूप में संचालित है. हितग्राही इन खातों में लगातार लेनदेन नहीं करते हैं. वे यही सोचते है कि केवल सरकार ही इस खाते में रुपया डालेगी. ऐसे में कई खाते लेनदेन के अभाव में बन्द हो जाते है. खाता चालू कराने के लिए हितग्राही आधार को खाते से लिंक कराकर दोबारा एक्टिव कर सरकारी योजना का लाभ ले सकते हैं.

40 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते


बता दें कि 28 अगस्त 2014 को नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के तहत जनधन योजना शुरू की थी. जिसका मकसद हर व्यक्ति का बुनियादी बचत खाता खोलना और जरूरत के मुताबिक कर्ज लेने की सुविधा, बीमा और पेंशन सुविधा का लाभ देना था. सरकारी दावे के मुताबिक यह योजना प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण को बढ़ावा देने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हुई है. इस योजना के तहत अब तक 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के जनधन खाता खोल दिए गए हैं.

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