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लॉकडाउन: सूने पड़े हैं धार्मिक स्थल, भक्तों को है मंदिरों के ताले खुलने का इंतजार

लॉकडाउन के चलते जहां लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है, तो वहीं आगर मालवा जिले में भी मंदिरों के पट बंद हैं. जहां दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारे लगती थी, तो वहीं अब धार्मिक स्थल सूने नजर आ रहे हैं.

events are not organizing in temples
लॉकडाउन के चलते मंदिरों में नहीं हो रहा आयोजन
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Published : May 7, 2020, 9:14 AM IST

आगर मालवा। लॉकडाउन की वजह से जहां लोग घरों में कैद हैं, तो वहीं धार्मिक स्थलों भी सूने नजह आ रहे हैं. बीते 43 दिनों से भक्तों का आना-जाना पूरी तरह से बंद हो गया है. सुसनेर मुख्यालय समेत क्षेत्र के सभी प्रमुख मंदिरों के पट बंद हैं, जिन मंदिरों में दर्शन के लिए रोज लंबी लाइन लगती थी, वहां अब कोई नजर नहीं आ रहा है. केवल महंत और पुजारी ही इन मंदिरों में पूजा-आरती कर रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है, जब भक्तों को भगवान के दर्शन के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

खेड़ापति हनुमान मठ मंदिर में कोरोना वायरस के चलते इस बार कोई आयोजन नहीं हुआ है. हालाकि यहां पर 365 दिवसीय अखंड रामायण का पाठ समिति द्वारा जरूर जारी रखा गया है, जिसमें कोरोना से मुक्ति की अर्जी भक्तों द्वारा लगाई जा रही है. यहां मंदिर के पुजारी दीपक गिरी द्वारा सुबह- शाम पट खोलकर भगवान हनुमान की पूजा-आरती की जा रही है.

पिपलिया खेड़ा बालाजी में निरस्त हुआ मेला

इस साल 8 अप्रैल 2020 को हनुमान जंयती पर मेले का आयोजन होना था, जो कोरोना महामारी के चलते स्थगित कर दिया गया. यह मंदिर प्राचीन होने के साथ ही पूरे क्षेत्रवासियों के लिए आस्था का केंद्र है. करीब डेढ़ क्विंटल से भी अधिक गहनों और जेवरातों से भगवान हनुमान की प्रतिमा का शृंगार किया जाता था, लेकिन बीते कुछ सालों ये आभूषण शाजापुर जिला कोषालय में जमा हैं. हालांकि 3- 4 साल पहले एसडीएम एस डावर कुछ मंदिर का छत्र और आभूषण लेकर आए थे, लेकिन शेष बचे आभूषण आज भी जिला कोषालय शाजापुर में ही जमा हैं, जिसके चलते हर साल आयोजित होने वाले मेले में अब उन गहनों से प्रतिमा का शृंगार नहीं हो पा रहा है.

मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारी पट खोलकर नियमानुसार प्रतिदिन पूजा करते हैं. नगर से 10 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में विध्यांचल पर्वतमाला पर पांडवकालीन पंचदेहरीया महादेव विराजमान हैं. महाभारतकालीन यह मंदिर पहाड़ी पर स्थित होने के चलते सालों से श्रद्धालुओं सहित साधु-संतों के लिए भी आराधना का केन्द्र बिंदु बना हुआ है. इस मंदिर की स्थापना भीम ने भगवान शिव की आराधना करने के दौरान की थी. यहां सालों से रह रहे चित्रकुट के शिवरामानंदजी महाराज भगवान शिव की आराधना कर रहे हैं.

लॉकडाउन के इन 43 दिनों में मंदिरों में ना तो कोई उत्सव मनाया गया और ना ही मेले का आयोजन हुआ. सुसनेर तहसील के पिपलिया खेड़ा बालाजी मंदिर में हनुमान जयंती से शुरू होने वाला मेला इस बार निरस्त कर दिया गया, तो वहीं मार्च-अप्रैल माह में नगर परिषद द्वारा आयोजित किया जाने वाला 15 दिवसीय श्रीराम नवमीं मवेशी मेला भी कोरोना वायरस के चलते शुरुआत के समय में ही निरस्त कर दिया गया था.

क्षेत्र में कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां पर हर साल सैकडों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से श्रद्धालुओं को घरों में कैद होना पड़ रहा है.

आगर मालवा। लॉकडाउन की वजह से जहां लोग घरों में कैद हैं, तो वहीं धार्मिक स्थलों भी सूने नजह आ रहे हैं. बीते 43 दिनों से भक्तों का आना-जाना पूरी तरह से बंद हो गया है. सुसनेर मुख्यालय समेत क्षेत्र के सभी प्रमुख मंदिरों के पट बंद हैं, जिन मंदिरों में दर्शन के लिए रोज लंबी लाइन लगती थी, वहां अब कोई नजर नहीं आ रहा है. केवल महंत और पुजारी ही इन मंदिरों में पूजा-आरती कर रहे हैं. ऐसा पहली बार हुआ है, जब भक्तों को भगवान के दर्शन के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.

खेड़ापति हनुमान मठ मंदिर में कोरोना वायरस के चलते इस बार कोई आयोजन नहीं हुआ है. हालाकि यहां पर 365 दिवसीय अखंड रामायण का पाठ समिति द्वारा जरूर जारी रखा गया है, जिसमें कोरोना से मुक्ति की अर्जी भक्तों द्वारा लगाई जा रही है. यहां मंदिर के पुजारी दीपक गिरी द्वारा सुबह- शाम पट खोलकर भगवान हनुमान की पूजा-आरती की जा रही है.

पिपलिया खेड़ा बालाजी में निरस्त हुआ मेला

इस साल 8 अप्रैल 2020 को हनुमान जंयती पर मेले का आयोजन होना था, जो कोरोना महामारी के चलते स्थगित कर दिया गया. यह मंदिर प्राचीन होने के साथ ही पूरे क्षेत्रवासियों के लिए आस्था का केंद्र है. करीब डेढ़ क्विंटल से भी अधिक गहनों और जेवरातों से भगवान हनुमान की प्रतिमा का शृंगार किया जाता था, लेकिन बीते कुछ सालों ये आभूषण शाजापुर जिला कोषालय में जमा हैं. हालांकि 3- 4 साल पहले एसडीएम एस डावर कुछ मंदिर का छत्र और आभूषण लेकर आए थे, लेकिन शेष बचे आभूषण आज भी जिला कोषालय शाजापुर में ही जमा हैं, जिसके चलते हर साल आयोजित होने वाले मेले में अब उन गहनों से प्रतिमा का शृंगार नहीं हो पा रहा है.

मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारी पट खोलकर नियमानुसार प्रतिदिन पूजा करते हैं. नगर से 10 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में विध्यांचल पर्वतमाला पर पांडवकालीन पंचदेहरीया महादेव विराजमान हैं. महाभारतकालीन यह मंदिर पहाड़ी पर स्थित होने के चलते सालों से श्रद्धालुओं सहित साधु-संतों के लिए भी आराधना का केन्द्र बिंदु बना हुआ है. इस मंदिर की स्थापना भीम ने भगवान शिव की आराधना करने के दौरान की थी. यहां सालों से रह रहे चित्रकुट के शिवरामानंदजी महाराज भगवान शिव की आराधना कर रहे हैं.

लॉकडाउन के इन 43 दिनों में मंदिरों में ना तो कोई उत्सव मनाया गया और ना ही मेले का आयोजन हुआ. सुसनेर तहसील के पिपलिया खेड़ा बालाजी मंदिर में हनुमान जयंती से शुरू होने वाला मेला इस बार निरस्त कर दिया गया, तो वहीं मार्च-अप्रैल माह में नगर परिषद द्वारा आयोजित किया जाने वाला 15 दिवसीय श्रीराम नवमीं मवेशी मेला भी कोरोना वायरस के चलते शुरुआत के समय में ही निरस्त कर दिया गया था.

क्षेत्र में कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां पर हर साल सैकडों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से श्रद्धालुओं को घरों में कैद होना पड़ रहा है.

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