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Burhanpur Incident: पक्की सड़क के अभाव में खटिया पर शव ले जाने को मजबूर हुए आदिवासी, चुनाव से पहले की सड़क की मांग

मध्यप्रदेश में सरकार की अनदेखी अब आदिवासी इलाकों में मुश्किल हालात पैदा कर रही है. एक घटना ने फिर बुरहानुपुर के इन इलाकों के दावों की पोल खोल कर रखी दी है. दरअसल, आदिवासी धुलकोट इलाके में एक मजदूर की मौत हो गई थी. जब उनके शव को गांव तक एंबुलेंस के सहारे लाया गया, तो रास्ता बदहाल स्थिति में था, इसके बाद शव को कंथे पर बाकी दूरी के रास्ते पर ले जाना पड़ा.

Burhanpur Adivasi Death Incident
खराब सड़क के चलते शव को कंधे पर ले जाने को मजबूर आदिवासी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 24, 2023, 4:01 PM IST

Updated : Sep 24, 2023, 4:08 PM IST

सड़क न होने की वजह से शव को कंथे पर ले जाने को मजबूर आदिवासी

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश में सरकार की अनदेखी के कारण आदिवासी समाज मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं. आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र के फालियाओं के मार्ग कच्चे और पथरीले होने से चार पहिया वाहन गांवों तक नही पहुंचते है. रास्ते इतने बदतर है कि यहां वाहन से पहुंचना तो दूर लोग पैदल भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते है. रात के अंधेरे में हालात इससे ज्यादा बदहाल हो जाते है. यहां किसी की मौत होती है तो शव को खटिया के सहारे कई किमी दूर पैदल चलकर ले जाना पड़ता, लेकिन अब तक फालियाओं तक जाने के लिए पक्की सड़कें बनाने की किसी ने भी सुध नहीं ली है.

दरअसल, जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र में सरकार विकास कार्यो के बड़े बड़े दावे कर रही है. सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. मामला ग्राम पंचायत धुलकोट के माफी फालिया का है, यहां के आदिवासी परिवार रोजगार के अभाव में मजदूरी के लिए महाराष्ट्र पलायन करने को मजबूर है, ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके.

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क्या है पूरा मामला: रोजगार के लिए माफी फालिया के भी कई परिवार महाराष्ट्र में गए है. इस बीच माफी फालिया निवासी एक आदिवासी मजदूर की महाराष्ट्र में मौत हो गई. इसके बाद शव को एम्बुलेंस की मदद से धुलकोट लाया गया, लेकिन पहुंच मार्ग के अभाव में एम्बुलेंस को फालिया तक नही ले जाया सका. ऐसे में आदिवासी समाज के लोगों ने शव को रात के अंधेरे ऊबड़ खाबड़ पथरिले रास्तो से दो किलो मीटर दूर तक पैदल ही ले गए. इससे सरकार के गांव-गांव तक हुए विकास के दावों की पोल खुलकर सामने आ गई.

आदिवासी समाज के लोगों ने का कहना- चुनाव के समय वोट मांगने के लिए नेताओ की भीड़ लगती है. जब फालियाओं के विकास की बात आती है तो यही नेता अपने वादे दावों से पलट जाती है. इसका खामियाजा भोले भाले आदिवासियों को भुगतना पड़ता है. आदिवासियों ने सरकार से चुनाव के पहले क्षेत्र में पक्की सड़क बनाने की मांग की है.

जब इस पूरे मामले में नेपानगर एसडीएम अजमेर सिंह गौड़ से चर्चा की, तो उन्होंने कहा- मामला मेरे संज्ञान में आया है, वनग्राम से जुड़ा मामला है, इसके लिए वन विभाग से चर्चा की जाएगी.

सड़क न होने की वजह से शव को कंथे पर ले जाने को मजबूर आदिवासी

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश में सरकार की अनदेखी के कारण आदिवासी समाज मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने को मजबूर हैं. आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र के फालियाओं के मार्ग कच्चे और पथरीले होने से चार पहिया वाहन गांवों तक नही पहुंचते है. रास्ते इतने बदतर है कि यहां वाहन से पहुंचना तो दूर लोग पैदल भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते है. रात के अंधेरे में हालात इससे ज्यादा बदहाल हो जाते है. यहां किसी की मौत होती है तो शव को खटिया के सहारे कई किमी दूर पैदल चलकर ले जाना पड़ता, लेकिन अब तक फालियाओं तक जाने के लिए पक्की सड़कें बनाने की किसी ने भी सुध नहीं ली है.

दरअसल, जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र में सरकार विकास कार्यो के बड़े बड़े दावे कर रही है. सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. मामला ग्राम पंचायत धुलकोट के माफी फालिया का है, यहां के आदिवासी परिवार रोजगार के अभाव में मजदूरी के लिए महाराष्ट्र पलायन करने को मजबूर है, ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके.

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क्या है पूरा मामला: रोजगार के लिए माफी फालिया के भी कई परिवार महाराष्ट्र में गए है. इस बीच माफी फालिया निवासी एक आदिवासी मजदूर की महाराष्ट्र में मौत हो गई. इसके बाद शव को एम्बुलेंस की मदद से धुलकोट लाया गया, लेकिन पहुंच मार्ग के अभाव में एम्बुलेंस को फालिया तक नही ले जाया सका. ऐसे में आदिवासी समाज के लोगों ने शव को रात के अंधेरे ऊबड़ खाबड़ पथरिले रास्तो से दो किलो मीटर दूर तक पैदल ही ले गए. इससे सरकार के गांव-गांव तक हुए विकास के दावों की पोल खुलकर सामने आ गई.

आदिवासी समाज के लोगों ने का कहना- चुनाव के समय वोट मांगने के लिए नेताओ की भीड़ लगती है. जब फालियाओं के विकास की बात आती है तो यही नेता अपने वादे दावों से पलट जाती है. इसका खामियाजा भोले भाले आदिवासियों को भुगतना पड़ता है. आदिवासियों ने सरकार से चुनाव के पहले क्षेत्र में पक्की सड़क बनाने की मांग की है.

जब इस पूरे मामले में नेपानगर एसडीएम अजमेर सिंह गौड़ से चर्चा की, तो उन्होंने कहा- मामला मेरे संज्ञान में आया है, वनग्राम से जुड़ा मामला है, इसके लिए वन विभाग से चर्चा की जाएगी.

Last Updated : Sep 24, 2023, 4:08 PM IST
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