उज्जैन। प्रदेश भर में पंचायत व निकाय चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. कई पंचायतों में सरपंच निर्विरोध चुन लिए गए, तो कई जगह सरपंच प्रत्याशियों को ग्रामीण विकास कार्य पूरे नहीं करने की नाराजगी के चलते वोट मांगने हेतु गांव में प्रवेश तक नहीं देना चाहते. घट्टिया तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम हरिगढ़ की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जहां के 8 से 10 परिवारों ने सड़क नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद कर मोर्चा खोल रखा है. ग्रामीणों का कहना है कि हमने पिछले कुछ सालों में एक सड़क के कारण परिवार के सदस्यों को जान गंवाते देखा. गर्भवती महिलाओं को घायल होते देखा, पैसा एकत्रित कर कच्चा निर्माण तक हमने किया, लेकिन न प्रशासन ने शिकायत पर सुध ली और ना ही सरपंच ने, तो क्यों दे हम वोट.
सड़क निर्माण पर विवाद: ग्रामीणों ने गांव के दबंग परिवार पर भी आरोप लगाया कि इसका मुख्य कारण दबंग भी हैं, जो सड़क नहीं बनने दे रहे. वहीं सरपंच से कहते है, तो वो भी दबंग द्वारा धमकाने की बात कहकर मना कर देते हैं. जब सरपंच ही डरने लगेंगे, तो हम कहा जाएंगे. पूरे मामले में दबंग का कहना है कि, ग्रामीण गांव की जगह अपने खेतों तक पक्का निर्माण चाहते हैं, जोकि संभव नहीं है. निर्माण गांव तक हो, कोई आपत्ति नहीं लेकिन खेत तक कैसे संभव है.
जानिए कौन है दबंग: घट्टिया तहसील क्षेत्र अंतर्गत हरिगढ़ गांव है, जहां की आबादी मात्र 60 करीब लोगों की है. 8 से 10 परिवार खेती मजदूरी कर अपना गुजर बसर करते हैं. चूंकि गांव में प्रवेश हेतु सड़क की समस्या है, सिर्फ मिट्टी का कच्चा रास्ता है. वर्ष 2005 में ग्रामीणों व गांव के ही दंबग व सक्षम परिवार रामेश्वर शर्मा उर्फ रमेश गुरु जिस पर आरोप है, आपसी सहमति से तय हुआ कि ये सड़क से गांव में प्रवेश करने के लिए समस्या आती है तो हमारी जमीन में से आप कुछ हिस्से का उपयोग कर लो और इस पर मिट्टी डालकर मार्ग को शुरू करो. मार्ग तो ग्रामीणों व सक्षम परिवार की सहमति से शुरु हो गया, लेकिन आज 17 से 18 साल बाद भी गांव में पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाया. जिसके पीछे का कारण ग्रामीण उसी दबंग व सक्षम परिवार को बता रहे हैं और कह रहे हैं कि जमीन के भाव बढ़ गए तो परिवार लालच के चलते रास्ते पर पक्का निर्माण नहीं होने दे रहा, जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
आरोपी ने रखा अपना पक्ष: ग्रामीण जो आरोप मुझ पर लगा रहे हैं, यह निराधार है. क्योंकि जब हम ग्रामीणों को गांव में आने जाने के लिए जगह दे सकते हैं, तो हम उनके साथ इस तरह का व्यवहार क्यों करेंगे. ग्रामीणों की संख्या यहां पर चार से पांच परिवार की ही है, जिन्होंने अपने घर कुछ ही दूरी पर खेत में बसा लिए और अब वह चाहते हैं कि खेत तक पक्का निर्माण हो, जोकि हमारी निजी जमीन के बीच मे आने के चलते संभव नहीं है. ग्रामीण उनके गांव तक सीमित है, जब तक ठीक था हमने आने जाने के लिए मार्ग भी दिया. लेकिन खेत तक का निर्माण करवा पाना कहीं ना कहीं हमारे लिए भी नुकसानदायक है.
ग्रामीणों की एक ही मांग: इस पूरे विवाद के बाद ग्रामीणों का यही कहना है कि, हमें किसी भी तरह सड़क का निर्माण गांव में प्रवेश हेतु करवाया जाए, वरना हम किसी को भी चाहे कोई भी चुनाव हो वोट नहीं देंगे. क्योंकि हम सरपंच के पास जाते हैं, तो सरपंच भी उस दबंग परिवार द्वारा डराने धमकाने की बात कहकर हमारी बात नहीं सुनता. जब सरपंच ही ऐसे दबंगों से डरेगा, तो हम किसके पास अपनी मांगों को रखेंगे और ना ही कोई प्रशासनिक अमला आज तक इस और ध्यान देने आया. सड़क निर्माण के कारण बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ हो रहा है, वह स्कूल नहीं जा पाते और अब बारिश में तो और समस्याएं सामने आने वाली है.