उज्जैन। रक्षा बंधन पर्व को विश्व भर में बड़े हर्ष उल्लास के साथ आज मनाया जा रहा है. लेकिन हमेशा की तरह विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में इस पर्व को अल सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मनाया गया. जिसके बाद पर्व की शुरुआत हुई. बाबा महाकाल को भस्मार्ती करने वाले महेश पुजारी के परिवार की महिलाओं ने राखी बांधी. जिसके बाद भस्मार्ती सम्पन्न हुई. श्रद्धालुओं के सहयोग व मंदिर समिति की और से बाबा को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया. मान्यता है की विश्व भर में सबसे पहले त्योहार की शुरुआत बाबा महाकाल से की जाती है.
देश विदेश से भक्तों ने पहुंचाई बाबा महाकाल को राखी: रक्षा बंधन के दिन सुबह 3:30 बजे से 5 बजे तक होने वाली भस्म आरती में बाबा का सबसे पहले विशेष पंचामृत अभिषेक पूजन कर आकर्षक श्रंगार किया जाता है. बाद में नैवेद्य में सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया गया. कहा जाता है कि रक्षा बंधन ही एकमात्र ऐसा पर्व है जिस दिन राखी बांधने के बाद बाबा महाकाल की भस्मार्ती की जाती ह, और ये सबसे बड़ी राखी होती है जो भस्मार्ती करने वाले पुजारी परिवार की महिलाएं बाबा को बांधती हैं. इस विशेष राखी को सावन में रखे गए उपवास के दौरान मंगल गान गाते हुए बनाया जाता है. भगवान महाकाल को बांधी जाने वाली राखी के भी दर्शन करने जन्मष्ठमी तक श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिर आते हैं. आज गुरुवार को त्योहार के दिन भी बड़ी संख्या में तेज बारिश के बावजूद श्रद्धालू मंदिर पहुंचे और बाबा के दर्शन लाभ लिए. जय श्री महाकाल की जयकारों से अवंतिका नगरी गूंज उठी.
बाबा का खास पंचामृत पूजन अभिषेक: मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने देश वासियों को रक्षा बंधन की शुभकामनाएं और बधाई दी है. उन्होंने बताया कि ''पर्व की शुरुआत विश्व भर में बाबा महाकाल के धाम से होती है. अल सुबह बाबा महाकाल की पूजा, अभिषेक व आरती की जाती है. आज गुरुवार सुबह बाबा महाकाल को परंपरा के अनुसार सबसे पहले राखी बांधी गई. बाबा महाकाल का खास पंचामृत पूजन अभिषेक किया गया. देश के अलग अलग राज्यों व विदेशों से भी राखियां आईं है. जिन्हें बाबा को अर्पित किया गया. साथ ही सवा लाख लड्डुओं का बाबा को भोग लगाया गया है''.
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