उज्जैन। कोरोना काल में अस्पतालों के हाल बेहाल हैं. ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवा की बेहद कमी है. गंभीर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मरीजों को तत्काल मदद की जरूरत है. कई लोग जी-जान से मरीजों की सेवा में लगे हैं, तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें 'दिखावे' से फुर्सत नहीं. खास तौर पर जब जिम्मेदारी की कुर्सी पर बैठे लोग अपना फर्ज़ निभाने की बजाय दूसरे कामों में समय बिता रहे हैं. कोरोना जैसी विपदा में जहां एक-एक मिनट की देरी मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है, ऐसे में जिले का मुखिया सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लगा है.
उज्जैन में कोरोना से जा चुकी हैं 100 से ज्यादा जानें
हम बात कर रहे हैं उज्जैन की. यहां इस समय कोरोना एक्टिव केस 2746 हो गए हैं. आज भी यहां 2 लोगों की मौत हो गई.अब तक दूसरी लहर में यहां 132 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. आज भी नए 255 केस सामने आए हैं.
क्या कलेक्टर साहब के पूजा करने से मरीजों तक जल्दी मदद पहुंचेगी ?
उज्जैन में कोरोना के हालात कैसे हैं, ये किसी से छिपे नहीं हैं. ऐसे में उज्जैन कलेक्टर ने आज नवरात्रि की पूजा की. चौबीस खंबा माता मंदिर में शराब का भोग लगाया. इसी के साथ कलेक्टर आशीष सिंह ने नगर पूजा की शुरुआत की. ये अलग बात है कि उस समय कितने मरीजों के परिजन अस्पताल में ऑक्सीजन के लिए जूझ रहे होंगे. कितने मरीज अस्पताल में बेड नहीं होने के कारण बाहर तड़प रहे होंगे.
महाकाल मंदिर के 2 पुजारियों की हो चुकी कोरोना से मौत
उज्जैन की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां महाकाल मंदिर में भी कोरोना दस्तक दे चुका है. यहां एक के बाद एक दो पुजारियों की मौत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि उज्जैन महाकाल मंदिर के पुजारी, पुरोहित कोरोना नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. मंदिर प्रशासन को अंधेरे में रखकर कई पुजारी, पुरोहित मंदिर में चल रहे अतिरूद्र अनुष्ठान में भी शामिल हो रहे हैं. ऐसे में कलेक्टर की जिम्मेदारी बनती है कि कोरोना की गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाएं.
मरीजों के परिजनों के निकल रहे आंसू, कलेक्टर पूजा में व्यस्त
उज्जैन की बिगड़ती स्थिति का एक और उदाहरण सामने आया है. शहर के माधव नगर अस्पताल में एक महिला की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया. परिवार के लोगों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन महिला को पॉजिटिव बताकर उसका इलाज करता रहा और जब उसकी मौत हो गई, तो अस्पताल का कहना है कि महिला की रिपोर्ट नेगेटिव थी. अस्पतालों में ऐसी समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी से उज्जैन कलेक्टर बच नहीं सकते.
विपक्ष भी उठा रहा व्यवस्थाओं पर सवाल, कलेक्टर साहब के पास है जवाब?
उज्जैन के अस्पतालों में ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवा की कमी किसी से छिपी नहीं है. विपक्ष भी इस बात को लगातार उठाता रहा है. दो दिन पहले ही कांग्रेस नेत्री नूरी खान माधव नगर अस्पताल में फर्श पर लेटे मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों से भिड़ गई थीं. यानि अस्पतालों में समस्याएं इतनी हैं कि कलेक्टर साहब को एक-एक पल मरीजों तक मदद पहुंचाने में बीतना चाहिए.
इंदौर में शादियों पर लगी रोक, क्या सबक लेंगे उज्जैन कलेक्टर
कोरोना संक्रमण के कारण पड़ौस के ही जिले इंदौर में शादियों पर रोक लगा दी गई है. इंदौर कलेक्टर ने साफ कहा था, कि हालात को अभी काबू में नहीं किया तो कोरोना की सुनामी आ सकती है. भीड़ होने की इजाजत अब नहीं दी जा सकती. जब इंदौर कलेक्टर ऐसा सोचते हैं, तो उज्जैन कलेक्टर क्या ऐसा नहीं मानते. क्या उज्जैन में ALL IS WELL है.
अस्पतालों में लूटखसोट! cash वाले आ जाओ, card वाले भाग जाओ
मरीजों तक तुरंत मदद पहुंचाइए कलेक्टर साहब
कलेक्टर जिले का मुखिया होता है और मुखिया की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा मानी जाती है. क्या उज्जैन में शांति है. क्या यहां मरीज ऑक्सीजन के लिए नहीं जूझ रहे. क्या यहां के अस्पतालों में बेड पर्याप्त हैं. इन सब बातों की चिंता कलेक्टर साहब से ज्यादा किसे होनी चाहिए. ऐसे में खुद पूजा करवाने या धार्मिक यात्रा को हरी झंडी दिखाने से अस्पताल में तड़प रहे मरीजों को मदद मिलेगी.