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सतना में है कालका मां का अनोखा मंदिर, सूर्य की दिशा के साथ बदलता है मां का स्वरूप

सतना के अमरपाटन रोड स्थित भटनवारा ग्राम में मां कालका का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां मां की अद्भुत प्रतिमा विराजमान है. सूर्य की दिशा के साथ उनका स्वरूप बदलता है. नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. भक्त जो भी मन्नत मांगते हैं उसे मां पूरा करती हैं. (unique temple of Maa Kalka in Satna)

unique temple of Maa Kalka in Satna
मां कालका का अनोखा मंदिर
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Published : Apr 9, 2022, 5:03 PM IST

सतना। देवी कालका का दर्शन-पूजन किस्मत खोलने वाला माना गया है. हिंदू धर्म में उन्हें सबसे जाग्रत देवी कहा जाता है. प्रदेश में वैसे तो मां के कई मंदिर हैं. लेकिन सतना में उनका एक अनोखा मंदिर है. अमरपाटन रोड स्थित भटनवारा ग्राम में मां कालका का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां मां की अद्भुत प्रतिमा विराजमान है. सूर्य की दिशा के साथ उनका स्वरूप बदलता है. मां की आंखें, चेहरे के भाव बदलते हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से जानिए क्या है देवी की महिमा.

नवरात्रि पर श्रद्धालुओं का लगता है तांता: नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में मध्यप्रदेश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. नौ दिनों तक यहां भंडारा चलता है. भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. श्रद्धालुओं ने बताया कि मां कालका अद्भुत शक्ति का स्वरूप मानी जाती हैं, भक्त हर नवरात्रि यहां मां की पूजा अर्चना करने आते हैं. भक्तों का कहना है कि हमारी हर मनोकामनाएं मां के दरबार में पूरी होती हैं.

सूर्य की दिशा के साथ बदलता है मां कालका का स्वरूप

बाबा महाकाल को आज भांग से राजा के रूप में किया गया तैयार, मस्तक पर धारण किया त्रिशूल, तस्वीरों में करें दर्शन

7 सौ साल पुरानी है प्रतिमा: भटनवारा के मंदिर में विराजमान देवी मां को कलकत्ता में विराजमान देवी की बहन कालका का स्वरूप माना जाता है. यह मूर्ति करीब 7 सौ साल पुरानी है. पहने यह प्रतिमा गांव की करारी नदी के पास थी, ऐसा माना जाता हैं कि राजा मनह सिंह को यह मूर्ति करारी नदी के किनारे मिली थी, तब उन्होंने नदी के किनारे एक छोटा सा मंदिर बना कर स्थापित करने का प्रयास किया था. कहते है कि मां ने उस मंदिर में प्रवेश नहीं किया. अंत में बिना मंदिर के ही मां की मूर्ति नदी किनारे रखी रही. 70 के दशक में मां की प्रमिता यहां लाई गई. तब से लेकर आज तक माँ की पूजा अर्चना के लिए भक्त यहां आते हैं.

क्या हैं इस मंदिर की किवदंती: लोगो की मानें तो यह मूर्ति मौर्य- शुंग वंश कालीन है. कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारी लोग यहां आए हैं, उन्होंने बताया था कि यह मूर्ति यक्षिणी है. यहां के पुजारी का कहना है कि देवी मां के नेत्र सूर्य की दिशा के अनुरूप बदलते हैं. जो अपने आप में अद्भुत स्वरूप है. यह परिवर्तन पूर्व से पश्चिम की ओर होता है, जिससे मां के चेहरे के भाव में भी परिवर्तन देखने को मिलता है, मां कभी वात्सल्य, कभी रौद्र तो कभी एकदम शांत भाव में दिखती हैं. (unique temple of Maa Kalka in Satna)

सतना। देवी कालका का दर्शन-पूजन किस्मत खोलने वाला माना गया है. हिंदू धर्म में उन्हें सबसे जाग्रत देवी कहा जाता है. प्रदेश में वैसे तो मां के कई मंदिर हैं. लेकिन सतना में उनका एक अनोखा मंदिर है. अमरपाटन रोड स्थित भटनवारा ग्राम में मां कालका का प्रसिद्ध मंदिर है. यहां मां की अद्भुत प्रतिमा विराजमान है. सूर्य की दिशा के साथ उनका स्वरूप बदलता है. मां की आंखें, चेहरे के भाव बदलते हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से जानिए क्या है देवी की महिमा.

नवरात्रि पर श्रद्धालुओं का लगता है तांता: नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में मध्यप्रदेश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. नौ दिनों तक यहां भंडारा चलता है. भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है. श्रद्धालुओं ने बताया कि मां कालका अद्भुत शक्ति का स्वरूप मानी जाती हैं, भक्त हर नवरात्रि यहां मां की पूजा अर्चना करने आते हैं. भक्तों का कहना है कि हमारी हर मनोकामनाएं मां के दरबार में पूरी होती हैं.

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7 सौ साल पुरानी है प्रतिमा: भटनवारा के मंदिर में विराजमान देवी मां को कलकत्ता में विराजमान देवी की बहन कालका का स्वरूप माना जाता है. यह मूर्ति करीब 7 सौ साल पुरानी है. पहने यह प्रतिमा गांव की करारी नदी के पास थी, ऐसा माना जाता हैं कि राजा मनह सिंह को यह मूर्ति करारी नदी के किनारे मिली थी, तब उन्होंने नदी के किनारे एक छोटा सा मंदिर बना कर स्थापित करने का प्रयास किया था. कहते है कि मां ने उस मंदिर में प्रवेश नहीं किया. अंत में बिना मंदिर के ही मां की मूर्ति नदी किनारे रखी रही. 70 के दशक में मां की प्रमिता यहां लाई गई. तब से लेकर आज तक माँ की पूजा अर्चना के लिए भक्त यहां आते हैं.

क्या हैं इस मंदिर की किवदंती: लोगो की मानें तो यह मूर्ति मौर्य- शुंग वंश कालीन है. कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारी लोग यहां आए हैं, उन्होंने बताया था कि यह मूर्ति यक्षिणी है. यहां के पुजारी का कहना है कि देवी मां के नेत्र सूर्य की दिशा के अनुरूप बदलते हैं. जो अपने आप में अद्भुत स्वरूप है. यह परिवर्तन पूर्व से पश्चिम की ओर होता है, जिससे मां के चेहरे के भाव में भी परिवर्तन देखने को मिलता है, मां कभी वात्सल्य, कभी रौद्र तो कभी एकदम शांत भाव में दिखती हैं. (unique temple of Maa Kalka in Satna)

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