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चलाते हैं साइकिल, बनाते हैं बीड़ी, सांसद का कार्यकाल पूरा होने के बाद पार्टी ने नहीं ली सुध, बोले- नहीं मिला सम्मान

रामसिंह अहिरवार उन नेताओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत हैं जो राजनीतिक पद पाते ही उसका गलत उपयोग करते हैं. आज भी जीते हैं सादगी भरा जीवन.

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Published : Apr 5, 2019, 3:37 PM IST

बीड़ी बनाते राम सिंह अहिरवार

सागर। जब-जब राजनेताओं की बात होती है, तब-तब सभी के जहन में ग्लैमर के चकाचौंध और वीवीआईपी छवि वाले चेहरों की तस्वीर बनने लगती है. मौजूदा सियासत में देखा जाए तो कमोवेश रजानीति में ऐसे नेताओं की भरमार है. लेकिन भारतीय जनसंघ की टिकट पर सागर लोकसभा सीट से संसद पहुंचने वाले राम सिंह अहिरवार का ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं है. तस्वीरों में बीड़ी बनाते दिख रहे राम सिंह अहिरवार एक सामान्य जीवन जीते हैं.

सांसद रहे राम सिंह अहिरवार जीते हैं सादगी भरा जीवन

सांसद रहते हुये राम सिंह अहिरवार ने अपना कार्यकाल पूरा किया लेकिन, बाद में राजनीति से वह दूर हो गये. कुछ साल पहले लकवा लगने की वजह से वह ठीक ढंग से बोल नहीं पाते हैं, बावजूद इसके पार्टी ने उनकी पूछ परख तक नहीं की. इस बात से उनकी आंखें नम हो जाती हैं. ईटीवी से खास बातचीत में उनका दर्द झलक गया. उनका कहना है कि बीजेपी ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया. हालांकि, सागर लोकसभा सीट से वर्तमान बीजेपी सांसद, रामसिंह अहिरवार के प्रति सहानुभूति का दावा करने से नहीं चूके.

एक छोटे से घर में रहने और साइकिल से चलने वाले राम सिंह, सागर के डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में थे, तभी उन्हें भारतीय जनसंघ से टिकट मिला और वह चुनाव जीत गये. बावजूद इसके रामसिंह की जीवन शैली सादगी भरी रही. पेंशन नहीं मिलने से कुछ साल पहले तक उन्होंने बीड़ी बनाकर परिवार का भरण पोषण किया. उनकी पत्नी बताती हैं कि गरीबी से मेहनत मजदूरी कर उन्होंने बच्चों को पढ़ाया. पड़ोसी बताते हैं कि शुरू से ही उनका स्वाभाव सादगी भरा रहा.


राम सिंह अहिवार की बेटी की शादी हो चुकी है, जबकि उनका बेटा शहर से बाहर पन्ना में नौकरी करता है. राम सिंह आज भी अपने पुराने घर में पुराने तौर-तरीकों से ही जीते हैं. उम्र 82 साल हो चुकी है, टीवी वगैरह नहीं देखते हैं, मनोरंजन के लिये वह मोबाइल भी नहीं रखते. ओशो से प्रभावित राम सिंह को दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ना अच्छा लगता है. रामसिंह अहिरवार उन नेताओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो राजनीतिक पद पाते ही उसका गलत उपयोग करते हैं.

सागर। जब-जब राजनेताओं की बात होती है, तब-तब सभी के जहन में ग्लैमर के चकाचौंध और वीवीआईपी छवि वाले चेहरों की तस्वीर बनने लगती है. मौजूदा सियासत में देखा जाए तो कमोवेश रजानीति में ऐसे नेताओं की भरमार है. लेकिन भारतीय जनसंघ की टिकट पर सागर लोकसभा सीट से संसद पहुंचने वाले राम सिंह अहिरवार का ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं है. तस्वीरों में बीड़ी बनाते दिख रहे राम सिंह अहिरवार एक सामान्य जीवन जीते हैं.

सांसद रहे राम सिंह अहिरवार जीते हैं सादगी भरा जीवन

सांसद रहते हुये राम सिंह अहिरवार ने अपना कार्यकाल पूरा किया लेकिन, बाद में राजनीति से वह दूर हो गये. कुछ साल पहले लकवा लगने की वजह से वह ठीक ढंग से बोल नहीं पाते हैं, बावजूद इसके पार्टी ने उनकी पूछ परख तक नहीं की. इस बात से उनकी आंखें नम हो जाती हैं. ईटीवी से खास बातचीत में उनका दर्द झलक गया. उनका कहना है कि बीजेपी ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया. हालांकि, सागर लोकसभा सीट से वर्तमान बीजेपी सांसद, रामसिंह अहिरवार के प्रति सहानुभूति का दावा करने से नहीं चूके.

एक छोटे से घर में रहने और साइकिल से चलने वाले राम सिंह, सागर के डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में थे, तभी उन्हें भारतीय जनसंघ से टिकट मिला और वह चुनाव जीत गये. बावजूद इसके रामसिंह की जीवन शैली सादगी भरी रही. पेंशन नहीं मिलने से कुछ साल पहले तक उन्होंने बीड़ी बनाकर परिवार का भरण पोषण किया. उनकी पत्नी बताती हैं कि गरीबी से मेहनत मजदूरी कर उन्होंने बच्चों को पढ़ाया. पड़ोसी बताते हैं कि शुरू से ही उनका स्वाभाव सादगी भरा रहा.


राम सिंह अहिवार की बेटी की शादी हो चुकी है, जबकि उनका बेटा शहर से बाहर पन्ना में नौकरी करता है. राम सिंह आज भी अपने पुराने घर में पुराने तौर-तरीकों से ही जीते हैं. उम्र 82 साल हो चुकी है, टीवी वगैरह नहीं देखते हैं, मनोरंजन के लिये वह मोबाइल भी नहीं रखते. ओशो से प्रभावित राम सिंह को दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ना अच्छा लगता है. रामसिंह अहिरवार उन नेताओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो राजनीतिक पद पाते ही उसका गलत उपयोग करते हैं.

Intro:एक नेता ऐसा भी

सागर का पूर्व सांसद सादगी है जिसकी पहचान




सागर। राजनीति में आमतौर पर सांसद या विधायक की कल्पना करें तो जहन में ग्लैमर चकाचौंध और वीआईपी छवि उभरने लगती है, और हो भी क्यों ना, वर्तमान परिवेश में कमोवेश सत्ता के किसी भी सोपान पर राज नेता ऐसे ही तो होते हैं , लेकिन सागर लोकसभा सीट पर चौथी लोकसभा में जनसंघ पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले पूर्व सांसद राम सिंह अहिरवार मानो इस अवधारणा के अपवाद है। उनका सादगी भरा जीवन चकाचौंध से कोसों दूर है । उनके वर्तमान हालात भी ऐसे ही हैं, आज भी साइकिल से चलते हैं, आधे कच्चे-पक्के मकान में ही रहते हैं , कुछ साल पहले तक बीडी बनाकर जीवन चलाते थे। इसके बाद कुछ समय से पेंशन मिलने लगी है, जिससे गुजारा चलता है। क्षेत्र में लोग आज भी उन्हें नेताजी नहीं बल्कि हमारे एम पी बाबू के नाम से बुलाते हैं ।लोकसभा सीट पर चुनाव में अपना कार्यकाल पूरा किया फिर उसके बाद ना ही उनका राजनीति से कोई सरोकार रहा न ही पार्टी ने उन्हें कभी तवज्जो दी। जब वे राजनीति में आये तब वे सागर विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे, साथ ही गुजर बसर करने के लिए बीड़ी बनाते थे राजनीति में भी थोड़ी बहुत रुचि थी, तो जनसंघ से जुड़े और अचानक चौथी लोकसभा के लिए उन्हें टिकट देकर उम्मीदवार बना दिया गया और वे जीत भी गए। लेकिन सांसद बनने के बाद भी उनकी जीवनशैली सादगी भरी रही आज की पीढ़ी उन्हें ज्यादा नहीं जानती। लेकिन पुराने पड़ोसी बताते हैं कि वे शुरू से ही व्यवहार कुशल रहे हैं, तब भी साइकिल चलाते थे आज भी साइकिल ही चलाते हैं। सब से मिलना जुलना हमेशा एक से रहा। कभी नेतागिरी नहीं दिखाई ना ही उनमें पद का घमंड नजर आया। 2005 के पहले उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती थी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन तब भी वे अपनी बीड़ी मजदूरी से ही परिवार को पालते रहे और उसी कमाई से अपने दोनों बच्चों का पालन पोषण किया परिवार में एक बेटा है जो अब शहर से बाहर नौकरी करता है और एक बेटी जिसकी शादी हो चुकी है राम सिंह आज भी अपने पुराने घर में पुराने तौर-तरीकों से ही जीते हैं कुछ साल पहले लकवा लगने की वजह से ढंग से बोल नहीं पाते हैं, लेकिन पार्टी ने उनकी पूछ परख नहीं कि इस बात से उनकी आंखों में नमी आ जाती है। उम्र 82 साल हो चुकी है, टीवी वगैरह नहीं देखते हैं, घर मे ही नहीं है। मोबाइल भी नहीं चलाते मनोरंजन के लिए आज भी दर्शनशास्त्र की किताब ही पढ़ते हैं ओशो के विचारों से प्रभावित है साइकिल से घूमने जाते हैं।

note- आदरणीय विकाश सर् के निर्देशानुसार स्टोरी की है, राम सिंह के दामाद की डेथ हो गयी जिससे वे घर पर नहीं थे इसलिए स्टोरी में देर हुई। स्टोरी से संबंधित कुछ शॉट्स और बाइट ftp में mp_sagar_ex mp special story_manish_4 april 19


Body:सागर। राजनीति में आमतौर पर सांसद या विधायक की कल्पना करें तो जहन में ग्लैमर चकाचौंध और वीआईपी छवि उभरने लगती है, और हो भी क्यों ना, वर्तमान परिवेश में कमोवेश सत्ता के किसी भी सोपान पर राज नेता ऐसे ही तो होते हैं , लेकिन सागर लोकसभा सीट पर चौथी लोकसभा में जनसंघ पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले पूर्व सांसद राम सिंह अहिरवार मानो इस अवधारणा के अपवाद है। उनका सादगी भरा जीवन चकाचौंध से कोसों दूर है । उनके वर्तमान हालात भी ऐसे ही हैं, आज भी साइकिल से चलते हैं, आधे कच्चे-पक्के मकान में ही रहते हैं , कुछ साल पहले तक बीडी बनाकर जीवन चलाते थे। इसके बाद कुछ समय से पेंशन मिलने लगी है, जिससे गुजारा चलता है। क्षेत्र में लोग आज भी उन्हें नेताजी नहीं बल्कि हमारे एम पी बाबू के नाम से बुलाते हैं ।लोकसभा सीट पर चुनाव में अपना कार्यकाल पूरा किया फिर उसके बाद ना ही उनका राजनीति से कोई सरोकार रहा न ही पार्टी ने उन्हें कभी तवज्जो दी। जब वे राजनीति में आये तब वे सागर विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे, साथ ही गुजर बसर करने के लिए बीड़ी बनाते थे राजनीति में भी थोड़ी बहुत रुचि थी, तो जनसंघ से जुड़े और अचानक चौथी लोकसभा के लिए उन्हें टिकट देकर उम्मीदवार बना दिया गया और वे जीत भी गए। लेकिन सांसद बनने के बाद भी उनकी जीवनशैली सादगी भरी रही आज की पीढ़ी उन्हें ज्यादा नहीं जानती। लेकिन पुराने पड़ोसी बताते हैं कि वे शुरू से ही व्यवहार कुशल रहे हैं, तब भी साइकिल चलाते थे आज भी साइकिल ही चलाते हैं। सब से मिलना जुलना हमेशा एक से रहा। कभी नेतागिरी नहीं दिखाई ना ही उनमें पद का घमंड नजर आया। 2005 के पहले उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती थी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन तब भी वे अपनी बीड़ी मजदूरी से ही परिवार को पालते रहे और उसी कमाई से अपने दोनों बच्चों का पालन पोषण किया परिवार में एक बेटा है जो अब शहर से बाहर नौकरी करता है और एक बेटी जिसकी शादी हो चुकी है राम सिंह आज भी अपने पुराने घर में पुराने तौर-तरीकों से ही जीते हैं कुछ साल पहले लकवा लगने की वजह से ढंग से बोल नहीं पाते हैं, लेकिन पार्टी ने उनकी पूछ परख नहीं कि इस बात से उनकी आंखों में नमी आ जाती है। उम्र 82 साल हो चुकी है, टीवी वगैरह नहीं देखते हैं, घर मे ही नहीं है। मोबाइल भी नहीं चलाते मनोरंजन के लिए आज भी दर्शनशास्त्र की किताब ही पढ़ते हैं ओशो के विचारों से प्रभावित है साइकिल से घूमने जाते हैं।

note- आदरणीय विकाश सर् के निर्देशानुसार स्टोरी की है, राम सिंह के दामाद की डेथ हो गयी जिससे वे घर पर नहीं थे इसलिए स्टोरी में देर हुई। स्टोरी से संबंधित कुछ शॉट्स और बाइट ftp में mp_sagar_ex mp special story_manish_4 april 19


Conclusion:
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