सागर। जब-जब राजनेताओं की बात होती है, तब-तब सभी के जहन में ग्लैमर के चकाचौंध और वीवीआईपी छवि वाले चेहरों की तस्वीर बनने लगती है. मौजूदा सियासत में देखा जाए तो कमोवेश रजानीति में ऐसे नेताओं की भरमार है. लेकिन भारतीय जनसंघ की टिकट पर सागर लोकसभा सीट से संसद पहुंचने वाले राम सिंह अहिरवार का ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं है. तस्वीरों में बीड़ी बनाते दिख रहे राम सिंह अहिरवार एक सामान्य जीवन जीते हैं.
सांसद रहते हुये राम सिंह अहिरवार ने अपना कार्यकाल पूरा किया लेकिन, बाद में राजनीति से वह दूर हो गये. कुछ साल पहले लकवा लगने की वजह से वह ठीक ढंग से बोल नहीं पाते हैं, बावजूद इसके पार्टी ने उनकी पूछ परख तक नहीं की. इस बात से उनकी आंखें नम हो जाती हैं. ईटीवी से खास बातचीत में उनका दर्द झलक गया. उनका कहना है कि बीजेपी ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया. हालांकि, सागर लोकसभा सीट से वर्तमान बीजेपी सांसद, रामसिंह अहिरवार के प्रति सहानुभूति का दावा करने से नहीं चूके.
एक छोटे से घर में रहने और साइकिल से चलने वाले राम सिंह, सागर के डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में थे, तभी उन्हें भारतीय जनसंघ से टिकट मिला और वह चुनाव जीत गये. बावजूद इसके रामसिंह की जीवन शैली सादगी भरी रही. पेंशन नहीं मिलने से कुछ साल पहले तक उन्होंने बीड़ी बनाकर परिवार का भरण पोषण किया. उनकी पत्नी बताती हैं कि गरीबी से मेहनत मजदूरी कर उन्होंने बच्चों को पढ़ाया. पड़ोसी बताते हैं कि शुरू से ही उनका स्वाभाव सादगी भरा रहा.
राम सिंह अहिवार की बेटी की शादी हो चुकी है, जबकि उनका बेटा शहर से बाहर पन्ना में नौकरी करता है. राम सिंह आज भी अपने पुराने घर में पुराने तौर-तरीकों से ही जीते हैं. उम्र 82 साल हो चुकी है, टीवी वगैरह नहीं देखते हैं, मनोरंजन के लिये वह मोबाइल भी नहीं रखते. ओशो से प्रभावित राम सिंह को दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ना अच्छा लगता है. रामसिंह अहिरवार उन नेताओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो राजनीतिक पद पाते ही उसका गलत उपयोग करते हैं.