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सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय की पहल! कोरोना महामारी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए गांवों को गोद लेगा यूनिवर्सिटी - villages economy damaged in mp

सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय ने उन्नत भारत अभियान के तहत 5 गांवों को गोद लिया है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों को समृद्ध करने के लिए प्रयास किए जाएंगे. इस अभियान का उद्देश्य हुनर को परखते हुए रोजगार देना और गांव को आत्मनिर्भर बनाना है. स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए विश्वविद्यालय कैंप लगाएगा और ग्रामीणों की जरूरी जांच कराएगा.

sagar university village adoption plan
सागर यूनिवर्सिटी ने पांच गांवों को गोद लिया
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Published : Jan 24, 2022, 6:45 PM IST

सागर। कोरोना महामारी ने लोगों से बहुत कुछ छीना है. कई लोगों का रोजगार छिना, तो कई लोग जो अपने गांव से दूर रोजी-रोटी के लिए मेहनत करते थे, वह वापस आ चुके हैं. वहीं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव के चलते कोरोना जैसी महामारी से मुकाबला करने में लोगों को दिक्कतें आई हैं. लोगों ने अपनों को खोया है, इन परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय, 5 गांव को गोद लेकर, उनको आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. इस अभियान के तहत लोगों को घर बैठे रोजगार से जोड़ने, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और उनके अधिकारों से अवगत कराया जाएगा.

सागर विश्वविद्यालय लेगा गांवों को गोद

गोद लिए गए 5 गांवों की कार्य योजना तैयार

ग्रामीण विकास को केंद्र में रखते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर द्वारा 5 गांव का चयन कर, उन्नत भारत अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को समृद्ध करने के लिए प्रयास किए जाएंगे. इसके लिए एक साल की कार्य योजना तैयार की गई है. खासकर शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, उद्यमिता, विधिक जागरूकता, ग्रामीण उद्योग, कृषि एवं जल प्रबंधन सुरक्षा के क्षेत्र में यूनिलर्सिटी काम करेगा. सागर विकासखंड के पथरिया जाट, सिरोंजा, बरारू, पटकुई और पथरिया हाट गांव को गोद लिया गया है जहां गांवों को आत्मनिर्भर बनाना जाएगा. यहां व्यवसाय, खेती, किसानी और संस्कृति से संबंधित जो महत्वपूर्ण खूबियां हैं, उनको आगे बढ़ाया जाना है.

हुनर को परखकर दिया जाएगा रोजगार

केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता कहती हैं कि, भारत की ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी के कारण कई संकट उत्पन्न हुए हैं. देश की GDP पर भी इसका असर पड़ा है. जो लोग गांव से बाहर जाकर काम करते थे, उनके रोजगार छिने हैं. जो गांव में ही काम करते थे, उनका धंधा कमजोर हो गया है. ऐसे लोगों को गांव में ही उनके हुनर को परखते हुए रोजगार देने की कोशिश की जाएगी.

इसके अलावा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक ना होने के कारण लोग कोरोना जैसी महामारी से मुकाबला नहीं कर सकते हैं. लोग नहीं जानते हैं कि उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति क्या-क्या सतर्कता बरतनी चाहिए, तो विश्वविद्यालय का हेल्थ सेंटर इन गांव में जाकर कैंप लगाएगा और ग्रामीणों की जरूरी जांच कराएगा. इसके लिए हमने पूरी एक साल की कार्य योजना तैयार की है और एक कोर कमेटी का गठन किया है. जो इन गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करेगी.

सागर। कोरोना महामारी ने लोगों से बहुत कुछ छीना है. कई लोगों का रोजगार छिना, तो कई लोग जो अपने गांव से दूर रोजी-रोटी के लिए मेहनत करते थे, वह वापस आ चुके हैं. वहीं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव के चलते कोरोना जैसी महामारी से मुकाबला करने में लोगों को दिक्कतें आई हैं. लोगों ने अपनों को खोया है, इन परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय, 5 गांव को गोद लेकर, उनको आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. इस अभियान के तहत लोगों को घर बैठे रोजगार से जोड़ने, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और उनके अधिकारों से अवगत कराया जाएगा.

सागर विश्वविद्यालय लेगा गांवों को गोद

गोद लिए गए 5 गांवों की कार्य योजना तैयार

ग्रामीण विकास को केंद्र में रखते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर द्वारा 5 गांव का चयन कर, उन्नत भारत अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को समृद्ध करने के लिए प्रयास किए जाएंगे. इसके लिए एक साल की कार्य योजना तैयार की गई है. खासकर शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, उद्यमिता, विधिक जागरूकता, ग्रामीण उद्योग, कृषि एवं जल प्रबंधन सुरक्षा के क्षेत्र में यूनिलर्सिटी काम करेगा. सागर विकासखंड के पथरिया जाट, सिरोंजा, बरारू, पटकुई और पथरिया हाट गांव को गोद लिया गया है जहां गांवों को आत्मनिर्भर बनाना जाएगा. यहां व्यवसाय, खेती, किसानी और संस्कृति से संबंधित जो महत्वपूर्ण खूबियां हैं, उनको आगे बढ़ाया जाना है.

हुनर को परखकर दिया जाएगा रोजगार

केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता कहती हैं कि, भारत की ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी के कारण कई संकट उत्पन्न हुए हैं. देश की GDP पर भी इसका असर पड़ा है. जो लोग गांव से बाहर जाकर काम करते थे, उनके रोजगार छिने हैं. जो गांव में ही काम करते थे, उनका धंधा कमजोर हो गया है. ऐसे लोगों को गांव में ही उनके हुनर को परखते हुए रोजगार देने की कोशिश की जाएगी.

इसके अलावा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक ना होने के कारण लोग कोरोना जैसी महामारी से मुकाबला नहीं कर सकते हैं. लोग नहीं जानते हैं कि उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति क्या-क्या सतर्कता बरतनी चाहिए, तो विश्वविद्यालय का हेल्थ सेंटर इन गांव में जाकर कैंप लगाएगा और ग्रामीणों की जरूरी जांच कराएगा. इसके लिए हमने पूरी एक साल की कार्य योजना तैयार की है और एक कोर कमेटी का गठन किया है. जो इन गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करेगी.

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