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Panna Tiger Reserve क्या मिट जाएगा पन्ना टाइगर रिजर्व का वजूद, फिर कहां बसेंगे मध्यप्रदेश की शान टाइगर - एमपी हिंदी न्यूज

मध्य प्रदेश के पन्ना में केन-बेतवा लिंक परियोजना के चलते पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के प्रमुख आवास का बड़ा हिस्सा पानी में डूब सकता है. इससे वाइल्ड लाइफ गंभीर रूप से प्रभावित होगी, वहीं पर्यावरणीय नुकसान की भी आशंका है. हालांकि वन विभाग ने एक योजना तैयार की है. इस योजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों के लिए 2 नए बसेरे तैयार किए जा रहे हैं. अभयारण्य नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. Panna Tiger Reserve, Ken Betwa link project, Panna Tiger Reserve will be submerged

Panna Tiger Reserve
केन बेतवा लिंक परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए खतरा
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Published : Sep 3, 2022, 2:25 PM IST

Updated : Sep 3, 2022, 2:34 PM IST

सागर। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाइगर रिजर्व की अहम भूमिका है. जब पन्ना बाघविहीन हो गया था, तो मध्यप्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा भी छिन गया था. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व ने मध्यप्रदेश को टाइगर रिजर्व का दर्जा फिर वापस दिलवाया. आज वन्यप्राणी प्रेमी पन्ना टाइगर रिजर्व के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, उन्हें चिंता सता रही है कि टाइगर रिजर्व का वजूद रह जाएगा या खत्म हो जाएगा. अगर पन्ना टाइगर रिजर्व का वजूद खत्म हो गया, तो टाइगर कहां जाएंगे.

केन बेतवा लिंक परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए खतरा

डूब में आएगा पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा: वन्यप्राणी प्रेमियों की चिंता की वजह भी वाजिब है. दरअसल केन बेतवा लिंक परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा इलाका डूब में आ रहा है. हालांकि परियोजना का काम अभी शुरू नहीं हुआ है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा बजट आवंटित किए जाने से तय हो गया है कि परियोजना जब मूर्त रूप लेगी, तो पन्ना टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा हिस्सा डूब में चला जाएगा. हालांकि वन विभाग ने बाघों को बसाने उनके नए बसेरे तैयार करना शुरू कर दिये हैं. पन्ना टाइगर रिजर्व जब केन बेतवा लिंक के कारण डूब में आ जाएगा तो यहां के बाघों के लिए दो नए टाइगर रिजर्व तैयार हो जाएंगे.

क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना: केन-बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य मप्र और उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में 10.62 लाख हेक्टेयर के लिए वार्षिक सिंचाई प्रदान करना,पेयजल आपूर्ति को बढ़ावा देना और 103 मेगावाट की पनबिजली उत्पन्न करना है. 1 फरवरी, 2022 को पेश हुए केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नदियों को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए बजट आवंटन की घोषणा की. इस परियोजना से 62 लाख लोगों को पेयजल, 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ करीब 9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने की उम्मीद है. परियोजना से 13 जिलों में फैले सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र को लाभ मिलेगा. आठ साल में इस परियोजना का काम पूरा होने की संभावना है. केन और बेतवा लिंक परियोजना से मप्र में छतरपुर, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा,शिवपुरी,रायसेन और पन्ना और उत्तर प्रदेश में झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर शामिल हैं.

पन्ना टाइगर रिजर्व पर क्या पड़ेगा असर: पन्ना टाइगर रिजर्व की बात करें तो यहां बाघों की संख्या 50 से ऊपर है. 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था. 2019 में विशेष प्रयासों के चलते ये संख्या 54 पहुंच गई थी. बाघों की बसाहट के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व देश भर में मशहूर है. केन-बेतवा लिंक परियोजना के कारण टाइगर रिजर्व में बाघों की बसाहट का 10% से ज्यादा हिस्सा पानी में डूबने की संभावना विभिन्न अध्ययनों में सामने आई हैं. संभावना जताई जा रही है कि परियोजना के चलते बाघों की बसाहट का करीब 100 वर्ग किमी का हिस्सा खतरे में है. बाघों के आवास के साथ उनकी आवाजाही के रास्ते पर असर पड़ेगा. हालांकि इस परियोजना से बुंदेलखंड को सूखे की समस्या से राहत मिलेगी. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा डूब जाएगा, जिसमें बाघों के आवास का प्रमुख इलाका भी है. वहां मौजूद जैव विविधता पर भी असर पड़ेगा. बाघों के अलावा सांभर, चीतल, चिंकारा और चौसिंघा जैसी प्रजातियों को खतरा है. विभिन्न अध्ययन में पता चला है कि बाघों और अन्य जीवों के अलावा करीब दो लाख पेड़ों को भी नुकसान होगा.

बाघों की नई बसाहट के लिए वन विभाग का यह है प्लान: केन बेतवा लिंक परियोजना को बजट आवंटित होने के बाद तय हो गया है कि परियोजना करीब 10 साल में पूरी हो जाएगी. परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए वन विभाग ने एक योजना तैयार की है. इस योजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों के लिए 2 नए बसेरे तैयार किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े जीव अभयारण्य नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. फिलहाल नौरादेही अभ्यारण्य में राष्ट्रीय बाघ परियोजना के अंतर्गत बाघों का कुनबा बढ़कर 10 तक पहुंच गया है. इसके अलावा उत्तरप्रदेश के चित्रकूट के नजदीक रानीपुर अभयारण्य में बाघों को बसाने की तैयारी चल रही है. नौरादेही अभ्यारण में टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की तैयारियां तेज कर दी गई हैं. फिलहाल की स्थिति में टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव शासन के पास लंबित है.

Panna Tiger Reserve: 70 से ज्यादा शावकों का पिता बनकर पीटीआर को गुलजार करने वाला पितामह बाघ टी-3 जी रहा गुमनामी की जिंदगी

क्या कहना है वन्य जीव प्रेमियों का: मध्यप्रदेश में वन एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था प्रयत्न के संयोजक अजय दुबे का कहना है कि ''मध्यप्रदेश के नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है, जो काफी समय से लंबित है. यह दुखद पहलू है कि वहां यहां वन एवं वन्य प्राणी संसाधन अतिक्रमण की चपेट में है. वहां की जैव विविधता भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई है. हमारी जानकारी के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व का केन बेतवा लिंक परियोजना के कारण 40% क्षेत्रफल डूब में आ रहा है. जिसकी क्षतिपूर्ति यूपी के रानीपुर और मध्य प्रदेश के नौरादेही अभ्यारण को टाइगर रिजर्व में बनाकर की जाएगी. लेकिन इसके पहले नौरादेही में बाघों का संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता से किया जाना चाहिए. केन बेतवा लिंक परियोजना शुरू होने में अभी समय है. उसके साथ शर्त है कि नौरादेही अभ्यारण को बेहतर बनाया जाए. जरूरत है कि सरकार मैदान में उतरे और नौरादेही के वन एवं वन्य प्राणी संसाधन को संरक्षित करें''.

क्या कहना है जिम्मेदार अधिकारियों का: सागर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक अमित दुबे का कहना है कि ''नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाईगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है, जो अभी उच्च स्तर पर विचाराधीन है. भविष्य में इसके बनने की संभावना है. दोनों अभयारण्य आपस में लगे हुए हैं, काफी अच्छा जंगल है. अभी यहां बाघों की तादाद को देखकर लगता है कि आगे चलकर नौरादेही मध्य प्रदेश के बेहतर टाईगर रिजर्व के रूप में जाना जाएगा''.
Panna Tiger Reserve, Ken Betwa link project, Panna Tiger Reserve will be submerged, 2 Habitats will Ready for Tigers

सागर। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाइगर रिजर्व की अहम भूमिका है. जब पन्ना बाघविहीन हो गया था, तो मध्यप्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा भी छिन गया था. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व ने मध्यप्रदेश को टाइगर रिजर्व का दर्जा फिर वापस दिलवाया. आज वन्यप्राणी प्रेमी पन्ना टाइगर रिजर्व के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, उन्हें चिंता सता रही है कि टाइगर रिजर्व का वजूद रह जाएगा या खत्म हो जाएगा. अगर पन्ना टाइगर रिजर्व का वजूद खत्म हो गया, तो टाइगर कहां जाएंगे.

केन बेतवा लिंक परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए खतरा

डूब में आएगा पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा: वन्यप्राणी प्रेमियों की चिंता की वजह भी वाजिब है. दरअसल केन बेतवा लिंक परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा इलाका डूब में आ रहा है. हालांकि परियोजना का काम अभी शुरू नहीं हुआ है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा बजट आवंटित किए जाने से तय हो गया है कि परियोजना जब मूर्त रूप लेगी, तो पन्ना टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा हिस्सा डूब में चला जाएगा. हालांकि वन विभाग ने बाघों को बसाने उनके नए बसेरे तैयार करना शुरू कर दिये हैं. पन्ना टाइगर रिजर्व जब केन बेतवा लिंक के कारण डूब में आ जाएगा तो यहां के बाघों के लिए दो नए टाइगर रिजर्व तैयार हो जाएंगे.

क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना: केन-बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य मप्र और उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में 10.62 लाख हेक्टेयर के लिए वार्षिक सिंचाई प्रदान करना,पेयजल आपूर्ति को बढ़ावा देना और 103 मेगावाट की पनबिजली उत्पन्न करना है. 1 फरवरी, 2022 को पेश हुए केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नदियों को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए बजट आवंटन की घोषणा की. इस परियोजना से 62 लाख लोगों को पेयजल, 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ करीब 9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने की उम्मीद है. परियोजना से 13 जिलों में फैले सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र को लाभ मिलेगा. आठ साल में इस परियोजना का काम पूरा होने की संभावना है. केन और बेतवा लिंक परियोजना से मप्र में छतरपुर, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा,शिवपुरी,रायसेन और पन्ना और उत्तर प्रदेश में झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर शामिल हैं.

पन्ना टाइगर रिजर्व पर क्या पड़ेगा असर: पन्ना टाइगर रिजर्व की बात करें तो यहां बाघों की संख्या 50 से ऊपर है. 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था. 2019 में विशेष प्रयासों के चलते ये संख्या 54 पहुंच गई थी. बाघों की बसाहट के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व देश भर में मशहूर है. केन-बेतवा लिंक परियोजना के कारण टाइगर रिजर्व में बाघों की बसाहट का 10% से ज्यादा हिस्सा पानी में डूबने की संभावना विभिन्न अध्ययनों में सामने आई हैं. संभावना जताई जा रही है कि परियोजना के चलते बाघों की बसाहट का करीब 100 वर्ग किमी का हिस्सा खतरे में है. बाघों के आवास के साथ उनकी आवाजाही के रास्ते पर असर पड़ेगा. हालांकि इस परियोजना से बुंदेलखंड को सूखे की समस्या से राहत मिलेगी. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा डूब जाएगा, जिसमें बाघों के आवास का प्रमुख इलाका भी है. वहां मौजूद जैव विविधता पर भी असर पड़ेगा. बाघों के अलावा सांभर, चीतल, चिंकारा और चौसिंघा जैसी प्रजातियों को खतरा है. विभिन्न अध्ययन में पता चला है कि बाघों और अन्य जीवों के अलावा करीब दो लाख पेड़ों को भी नुकसान होगा.

बाघों की नई बसाहट के लिए वन विभाग का यह है प्लान: केन बेतवा लिंक परियोजना को बजट आवंटित होने के बाद तय हो गया है कि परियोजना करीब 10 साल में पूरी हो जाएगी. परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए वन विभाग ने एक योजना तैयार की है. इस योजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों के लिए 2 नए बसेरे तैयार किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े जीव अभयारण्य नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. फिलहाल नौरादेही अभ्यारण्य में राष्ट्रीय बाघ परियोजना के अंतर्गत बाघों का कुनबा बढ़कर 10 तक पहुंच गया है. इसके अलावा उत्तरप्रदेश के चित्रकूट के नजदीक रानीपुर अभयारण्य में बाघों को बसाने की तैयारी चल रही है. नौरादेही अभ्यारण में टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की तैयारियां तेज कर दी गई हैं. फिलहाल की स्थिति में टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव शासन के पास लंबित है.

Panna Tiger Reserve: 70 से ज्यादा शावकों का पिता बनकर पीटीआर को गुलजार करने वाला पितामह बाघ टी-3 जी रहा गुमनामी की जिंदगी

क्या कहना है वन्य जीव प्रेमियों का: मध्यप्रदेश में वन एवं वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था प्रयत्न के संयोजक अजय दुबे का कहना है कि ''मध्यप्रदेश के नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है, जो काफी समय से लंबित है. यह दुखद पहलू है कि वहां यहां वन एवं वन्य प्राणी संसाधन अतिक्रमण की चपेट में है. वहां की जैव विविधता भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई है. हमारी जानकारी के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व का केन बेतवा लिंक परियोजना के कारण 40% क्षेत्रफल डूब में आ रहा है. जिसकी क्षतिपूर्ति यूपी के रानीपुर और मध्य प्रदेश के नौरादेही अभ्यारण को टाइगर रिजर्व में बनाकर की जाएगी. लेकिन इसके पहले नौरादेही में बाघों का संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता से किया जाना चाहिए. केन बेतवा लिंक परियोजना शुरू होने में अभी समय है. उसके साथ शर्त है कि नौरादेही अभ्यारण को बेहतर बनाया जाए. जरूरत है कि सरकार मैदान में उतरे और नौरादेही के वन एवं वन्य प्राणी संसाधन को संरक्षित करें''.

क्या कहना है जिम्मेदार अधिकारियों का: सागर वन वृत्त के मुख्य वन संरक्षक अमित दुबे का कहना है कि ''नौरादेही और रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाईगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव है, जो अभी उच्च स्तर पर विचाराधीन है. भविष्य में इसके बनने की संभावना है. दोनों अभयारण्य आपस में लगे हुए हैं, काफी अच्छा जंगल है. अभी यहां बाघों की तादाद को देखकर लगता है कि आगे चलकर नौरादेही मध्य प्रदेश के बेहतर टाईगर रिजर्व के रूप में जाना जाएगा''.
Panna Tiger Reserve, Ken Betwa link project, Panna Tiger Reserve will be submerged, 2 Habitats will Ready for Tigers

Last Updated : Sep 3, 2022, 2:34 PM IST
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