सागर। गोपालगंज में रहने वाले और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में वन पाल रहे भगवानदास की उम्र 66 साल है. खास बात है गोपाल का जज्बा जो 17 साल के किसी नौजवान जैसा है. जिस उम्र में लोग रिटायरमेंट के बाद घर में अपने नाती पोतों को खिलाते हैं, लेकिन इस उम्र में भगवानदास कश्यप को पावर लिफ्टिंग का शौक चढ़ा है. शौक भी ऐसा, जो जुनून बन गया और भगवानदास ने ना सिर्फ अपने शहर का मान बढ़ाया बल्कि पूरे देश में अपने प्रदेश का मान भी बढ़ाया. केरल में हाल ही में हुई मास्टर पावर लिफ्टिंग नेशनल चैंपियनशिप में भगवानदास ने पहला स्थान प्राप्त किया है. वे पिछले 10 सालों से पावर लिफ्टिंग कर रहे हैं. आज भी वे रोज घंटों जिम में पसीना बहाते हैं.(bhagwan das powerlifting)
कौन है भगवान दास कश्यप: वन विभाग के सेवानिवृत्त वनपाल भगवानदास कश्यप का जन्म 14 सितंबर 1956 को हुआ था. इन्हें बचपन से हॉकी का शौक था और वे हॉकी के बेहतर खिलाड़ी थे. इन्होंने वन विभाग में वनपाल पद पर काम करते हुए सिविल सर्विस स्पोर्ट्स कंप्टीशन में कई बार हॉकी में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. जब उनकी उम्र बढ़ने लगी, तो भगवानदास ने हॉकी खेलना कम कर दिया, लेकिन शौक के तौर पर उन्होंने 56 साल की उम्र में पावर लिफ्टिंग की शुरुआत की. वैसे तो ये शुरुआत उन्होंने खुद को फिट रखने के लिए की थी, लेकिन अब उनका यह शौक जुनून में बदल गया और ये मास्टर पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने लगे.(sagar 66 year old bhagwan das powerlifting)
कैसे बने नेशनल चैंपियन: केरल के अल्लपुझा शहर में 9 अप्रैल से 13 अप्रैल तक राष्ट्रीय पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप का आयोजन किया गया. इसमें मास्टर कैटेगरी में 60 साल से अधिक आयु के लोगों ने हिस्सा लिया. भगवान दास कश्यप ने मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए पावर लिफ्टिंग के स्क्वॉड इवेंट में स्वर्ण पदक जीता. वहीं डेड लिफ्ट इवेंट में रजत पदक और बेंच प्रेस इवेंट में कांस्य पदक भी हासिल किया. इन्होंने मास्टर केटेगरी और 60 प्लस आयु वर्ग में ऑल ओवर 322.5 किलोग्राम वजन लिफ्ट कर मास्टर खिताब जीत कर ऑल ओवर चैंपियनशिप में भी गोल्ड हासिल किया.
72 साल की उम्र में भी पावर लिफ्टिंग का शौक पूरा कर रहे...जज्बा देख नौजवान दांतों तले दबा लेते अंगुली
युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत: खेल के क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए भगवान दास कश्यप प्रेरणा स्रोत है. वे सुबह रोजाना खेल परिसर के जिम्नेजियम में पहुंच जाते हैं, और जमकर कसरत करने के बाद नियमित तौर पर पावर लिफ्टिंग का अभ्यास करते हैं. पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता जूनियर, सीनियर और मास्टर कैटेगरी में होती है. इसमें महिला, पुरुष सभी हिस्सा ले सकते हैं. अगर कोई नौजवान खिलाड़ी दो बार राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल करता है और इंटरनेशनल कंप्टीशन में हिस्सा लेता है, तो सरकार उसे विक्रम अवार्ड देती है. विक्रम अवार्ड हासिल करने के बाद आसानी से खेल कोटा के तहत उन्हें सरकारी नौकरी भी मिल जाती है. युवाओं को प्रेरणा देते हुए भगवान दास उन्हें खेलों से जुड़ने की प्रेरणा देते हैं.
युवाओं को खेल से जुड़ना चाहिए. खेल से जुड़कर आदमी सेहत भी बनाता है और आजकल सरकार उन्हें नौकरी भी देती है. युवा जमकर मेहनत करें और पावर लिफ्टिंग जैसी प्रतियोगिता में हिस्सा लें. वहीं सरकारी कर्मचारियों को सलाह देते हैं कि सरकारी कर्मचारियों को नौकरी के साथ-साथ अपने शरीर को फिट रखने के लिए किसी ना किसी खेल में जरूर हिस्सा लेना चाहिए. अगर वे किसी खेल में पदक जीतते हैं, तो उनको एक वेतन वृद्धि की जगह 2-2 वेतन वृद्धि मिलती हैं.
-भगवान दास कश्यप, नेशनल चैंपियन, पॉवर लिफ्टिंग