सागर। मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 4 अप्रैल से शुरू हो गई है लेकिन मौजूदा हालातों को देखा जाए तो लगता है कि सरकार किसानों से समर्थन मूल्य पर फसल खरीदना (Wheat procurement in Sagar) ही नहीं चाहती. सरकार ने हर साल के मुकाबले इस बार करीब 10 दिन बाद खरीदी शुरू की. हालात ये हैं कि सागर जिले में बनी 254 कृषि मंडियों में से कई में अभी तक गेहूं की खरीदी शुरु नहीं हुई. इतना ही नहीं किसान सरकार की ग्रेडिंग सिस्टम से भी नाराज हैं.
इसलिए खरीदी केंद्रों पर गेहूं नहीं बेच रहे किसान: एक तरफ सरकार बड़े जोर-शोर से रबी सीजन की फसल की खरीदी की शुरुआत होने की बात कर रही है. तो दूसरी तरफ खरीदी शुरू हो जाने के बाद भी किसान खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे हैं. सरकारी खरीदी केंद्रों की अपेक्षा निजी तौर पर व्यापारियों को फसल बेचने के लिए किसानों की भीड़ लगी है. किसानों का कहना है कि पिछले साल की अपेक्षा सरकार ने महज 40 रूपए समर्थन मूल्य बढ़ाया है और इस साल बोनस भी नहीं दे रहे हैं. जबकि खुले बाजार में बेचने पर फसल का मूल्य समर्थन मूल्य की अपेक्षा अच्छा मिल रहा है और तुरंत भुगतान भी हो रहा है. सरकारी प्रक्रिया में बेचने पर भुगतान में महीनों लग जाते हैं.
इस साल देरी से हुई खरीदी शुरु: हर साल रवि की फसल का उपार्जन 25 मार्च से शुरू होता था. ये समय ऐसा होता था जब किसान अपनी फसल काटना शुरु करते थे. लेकिन इस बार गर्मी ज्यादा होने के चलते फसल का नुकसान ना हो, इसलिए किसानों ने जल्दी फसल काट ली. सरकार ने फसल की खरीदी भी इस वर्ष देर से शुरु की. रुपयों की जरूरत के चलते किसानों ने खुले बाजार में फसल भेजना ज्यादा उचित समझा.
पंजीयन व्यवस्था में हुआ बदलाव: पिछले सालों तक किसानों के लिए केवल पंजीयन कराना होता था. एसएमएम के जरिए सूचना मिल जाती थी कि कब किसानों की फसल खरीदी जाएगी. लेकिन इस बार सरकार ने एसएमएस व्यवस्था को खत्म करके स्लॉट बुकिंग करने की प्रक्रिया शुरू की है. किसानों को पंजीयन के बाद खुद स्लॉट बुकिंग करना है. ऐसे में ज्यादातर किसान परेशान हो रहे हैं. यदि किसी बुजुर्ग किसान के नाम पर जमीन है और वह अपनी फसल बेचने के लिए स्लॉट बुकिंग कराना चाहता है,तो खुद उसे लोक सेवा केंद्र जाना होगा. अगर वह किसी दूसरे व्यक्ति को भेजता है, तो थंब इंप्रेशन ना होने के कारण उसका स्लाट बुकिंग नहीं हो पाएगा. ऐसी स्थिति में बुजुर्ग किसान जो चलने फिरने से लाचार हैं, उन्हें परेशानी हो रही है. उनके परिजन खुले बाजार में फसल बेचना ज्यादा उचित समझ रहे हैं.
ग्रेडिंग के नाम पर भारी कटौती: समर्थन मूल्य केंद्र पर अगर किसान अपनी फसल बेचने जाता है, तो उसे हम्माली और तुलावटी का पैसा पहले ही देना होता है. इस बार सरकार ने एक नई व्यवस्था और शुरू कर दी है. जिसके कारण किसानों का मोहभंग हो रहा है. इस बार ग्रेडिंग के नाम पर हर किसान से प्रति क्विंटल की दर से 20 रूपये लिए जा रहे हैं. किसान अगर खुद फसल साफ कर छान कर ला रहा है, तो उसके बाद भी उसे 20 रुपए देने पड़ रहे हैं. इसके साथ ही गेहूं बेचने के लिए इंतजार भी करना पड़ता है.
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