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फूलों की खेती से महकी किसानों की जिंदगी, पारंपरिक फसलों से हुआ मोहभंग

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Published : Jun 20, 2019, 7:18 AM IST

सागर के जैसीनगर विकासखंड के किसान अपने पारंपरिक फसलों को छोड़ फूलों की खेती में लग गये हैं. परंपरागत खेती में किसानों को लगातार नुकसान हो रहा था, लिहाजा जैसीनगर विकासखंड के दर्जनों गांव के छोटे-छोटे किसानों फूलों के खेती कर लाखों कमा रहे हैं.

फूलों की खेती

सागर। बुंदेलखंड में किसानों ने अब पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती की ओर रुख कर लिया है. पानी की किल्लत और पारंपरिक फसलों में नुकसान की वजह से अब बुंदेलखंड के किसान फूलों के जरिये अच्छी कमाई कर रहे हैं. वहीं फूलों की खेती में उद्यानिकी भी किसानों का भरसक मदद कर रहा है. लिहाजा गेहूं, चना, मसूर और सोयबीन की खेती करने वाले किसान अब फूलों के जरिये लाखों की कमाई कर रहे हैं.

फूलों की खेती से महकी किसानों की जिंदगी
सागर के जैसीनगर विकासखंड के किसान अपने पारंपरिक फसलों को छोड़ फूलों की खेती में लग गये हैं. परंपरागत खेती में किसानों को लगातार नुकसान हो रहा था लिहाजा जैसीनगर विकासखंड के दर्जनों गांव के छोटे-छोटे किसानों ने फूलों की खेती करना शुरु कर दिया है, आज इनके फूलों की मांग राजधानी तक है.


पहले यहां के किसान खरीफ और रवि की परंपरागत फसलों की खेती किया करते थे, जिनमें फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता था, लेकिन अब उद्यानिकी विभाग के सहयोग से उन्हें फूलों की खेती के बारे में जानकारी मिली और अब वे इसे सफलतापूर्वक कर रहे हैं. शुरुआती दौर में फूलों को भोपाल मंडी में बेचने जाना पड़ता था. लेकिन अब क्षेत्र में ही फूलों की अच्छी डिमांड होने से सागर में ही प्रतिदिन बड़ी मात्रा में फूलों की खपत हो जाती है. किसानों का कहना है कि जहां गेहूं, चना और अन्य फसलों के विक्रय के काफी दिनों बाद मंडी से पैसा आता था, वहीं अब किसानों को फूलों की बिक्री के बाद तत्काल ही नगद राशि प्राप्त हो जाती है. साथ ही शादियों और त्योहारों के समय फूलों की खपत और मुनाफा दोनों ही बड़ी मात्रा में होता है.

यहां के किसान बताते हैं कि उन्हें लगभग 1 एकड़ खेत में जहां अन्य फसलों से 25 से 30 हजार मुनाफा प्राप्त होता था. वही फूलों की खेती से 1 एकड़ से साल भर में करीब 5 से 6 लाख तक कमाई हो जाती है. यही वजह है कि अब यहां के किसान जो गरीबी के दिन गुजारते थे. अन्नदाता होने के बावजूद भी उनका जीवन स्तर बहुत निम्न था, वे अब लखपति बन रहे हैं. उद्यानिकी विभाग भी क्षेत्र के किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन कर रहा है. जिससे सागर का जैसीनगर क्षेत्र फूलों की खेती के लिए जिले भर में मशहूर हो चुका है.

सागर। बुंदेलखंड में किसानों ने अब पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की खेती की ओर रुख कर लिया है. पानी की किल्लत और पारंपरिक फसलों में नुकसान की वजह से अब बुंदेलखंड के किसान फूलों के जरिये अच्छी कमाई कर रहे हैं. वहीं फूलों की खेती में उद्यानिकी भी किसानों का भरसक मदद कर रहा है. लिहाजा गेहूं, चना, मसूर और सोयबीन की खेती करने वाले किसान अब फूलों के जरिये लाखों की कमाई कर रहे हैं.

फूलों की खेती से महकी किसानों की जिंदगी
सागर के जैसीनगर विकासखंड के किसान अपने पारंपरिक फसलों को छोड़ फूलों की खेती में लग गये हैं. परंपरागत खेती में किसानों को लगातार नुकसान हो रहा था लिहाजा जैसीनगर विकासखंड के दर्जनों गांव के छोटे-छोटे किसानों ने फूलों की खेती करना शुरु कर दिया है, आज इनके फूलों की मांग राजधानी तक है.


पहले यहां के किसान खरीफ और रवि की परंपरागत फसलों की खेती किया करते थे, जिनमें फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता था, लेकिन अब उद्यानिकी विभाग के सहयोग से उन्हें फूलों की खेती के बारे में जानकारी मिली और अब वे इसे सफलतापूर्वक कर रहे हैं. शुरुआती दौर में फूलों को भोपाल मंडी में बेचने जाना पड़ता था. लेकिन अब क्षेत्र में ही फूलों की अच्छी डिमांड होने से सागर में ही प्रतिदिन बड़ी मात्रा में फूलों की खपत हो जाती है. किसानों का कहना है कि जहां गेहूं, चना और अन्य फसलों के विक्रय के काफी दिनों बाद मंडी से पैसा आता था, वहीं अब किसानों को फूलों की बिक्री के बाद तत्काल ही नगद राशि प्राप्त हो जाती है. साथ ही शादियों और त्योहारों के समय फूलों की खपत और मुनाफा दोनों ही बड़ी मात्रा में होता है.

यहां के किसान बताते हैं कि उन्हें लगभग 1 एकड़ खेत में जहां अन्य फसलों से 25 से 30 हजार मुनाफा प्राप्त होता था. वही फूलों की खेती से 1 एकड़ से साल भर में करीब 5 से 6 लाख तक कमाई हो जाती है. यही वजह है कि अब यहां के किसान जो गरीबी के दिन गुजारते थे. अन्नदाता होने के बावजूद भी उनका जीवन स्तर बहुत निम्न था, वे अब लखपति बन रहे हैं. उद्यानिकी विभाग भी क्षेत्र के किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन कर रहा है. जिससे सागर का जैसीनगर क्षेत्र फूलों की खेती के लिए जिले भर में मशहूर हो चुका है.

Intro:बुंदेलखंड के किसानों को अब कृषि बना लाभ का धंधा परंपरागत खेती छोड़कर सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड के किसान अपना रहे फूलों की खेती ₹5 लाख प्रति एकड़ तक हो रही पैदावार सागर से भोपाल तक सप्लाई होते हैं फूल खेतों में लगे फूलों की फसलों से मनमोहक हुआ नजारा सागर । परंपरागत खेती किसानी में लगातार होते नुकसान से बुंदेलखंड का किसान बदहाली की ओर जा रहा था लेकिन अब इस नुकसान से उबरने के उपाय के रूप में यहां के किसान अब परंपरागत खेती से हटकर गैर परंपरागत कृषि कार्य की तरफ आकर्षित होने लगा है सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड के दर्जनों गांव के छोटे छोटे किसान परंपरागत खेती की फसलों जैसे गेहूं चना मसूर सोयाबीन से हटकर गैर परंपरागत खेती अपनाते हुए अब बड़ी मात्रा में फूलों की खेती कर रहे हैं यहां के किसान बताते हैं कि पहले वह खरीफ की और रवि की परंपरागत फसलों को बोते थे जिनमें फायदा बहुत कम और नुकसान ज्यादा होता था लेकिन अब उद्यानिकी विभाग के मार्फत उन्हें फूलों की खेती के बारे में जानकारी मिली और अबे इसे सफलतापूर्वक कर रहे हैं शुरुआती दौर में फूलों की खेती से उत्पादित फूलों को भोपाल मंडी विक्रय हेतु ले जाना पड़ता था लेकिन आप क्षेत्र में ही फूलों की अच्छी डिमांड होने से सागर में ही प्रतिदिन बड़ी मात्रा में फूलों की खपत हो जाती है और इस फसल का सबसे अच्छा फायदा यह है कि जहां गेहूं चना एवं अन्य फसलों के विक्रय के काफी दिनों बाद मंडी से बैंकों के माध्यम से पैसा आता था वही अब किसानों को फूलों की बिक्री के तत्काल ही नगद राशि प्राप्त हो जाती है त्योहारों के समय फूलों की खबर और मुनाफा दोनों ही बड़ी मात्रा में होता है यहां के किसान बताते हैं कि उन्हें लगभग 1 एकड़ खेत में जहां अन्य फसलों से 25 से 30 हजार मुनाफा प्राप्त होता था वही फूलों की खेती से 1 एकड़ से साल भर में करीब 5 से ₹600000 तक का लाभ कमा लेते हैं यही वजह है कि अब यहां के किसान जो गरीबी के दिन गुजारते थे अन्नदाता होने के बावजूद भी उनका जीवन स्तर बहुत नेम न था वे अब लखपति बन बन रहे हैं वहीं उद्यानिकी विभाग भी क्षेत्र के किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन कर रहा है जिससे सागर का जैसीनगर क्षेत्र फूलों की खेती के लिए जिले भर में मशहूर हो चुका है और अब बुंदेलखंड अंचल के अन्य किसान भी इस ओर बढ़ रहे हैं बाइट किसान बाइट किसान पीटीसी


Body:बुंदेलखंड के किसानों को अब कृषि बना लाभ का धंधा परंपरागत खेती छोड़कर सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड के किसान अपना रहे फूलों की खेती ₹5 लाख प्रति एकड़ तक हो रही पैदावार सागर से भोपाल तक सप्लाई होते हैं फूल खेतों में लगे फूलों की फसलों से मनमोहक हुआ नजारा सागर । परंपरागत खेती किसानी में लगातार होते नुकसान से बुंदेलखंड का किसान बदहाली की ओर जा रहा था लेकिन अब इस नुकसान से उबरने के उपाय के रूप में यहां के किसान अब परंपरागत खेती से हटकर गैर परंपरागत कृषि कार्य की तरफ आकर्षित होने लगा है सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड के दर्जनों गांव के छोटे छोटे किसान परंपरागत खेती की फसलों जैसे गेहूं चना मसूर सोयाबीन से हटकर गैर परंपरागत खेती अपनाते हुए अब बड़ी मात्रा में फूलों की खेती कर रहे हैं यहां के किसान बताते हैं कि पहले वह खरीफ की और रवि की परंपरागत फसलों को बोते थे जिनमें फायदा बहुत कम और नुकसान ज्यादा होता था लेकिन अब उद्यानिकी विभाग के मार्फत उन्हें फूलों की खेती के बारे में जानकारी मिली और अबे इसे सफलतापूर्वक कर रहे हैं शुरुआती दौर में फूलों की खेती से उत्पादित फूलों को भोपाल मंडी विक्रय हेतु ले जाना पड़ता था लेकिन आप क्षेत्र में ही फूलों की अच्छी डिमांड होने से सागर में ही प्रतिदिन बड़ी मात्रा में फूलों की खपत हो जाती है और इस फसल का सबसे अच्छा फायदा यह है कि जहां गेहूं चना एवं अन्य फसलों के विक्रय के काफी दिनों बाद मंडी से बैंकों के माध्यम से पैसा आता था वही अब किसानों को फूलों की बिक्री के तत्काल ही नगद राशि प्राप्त हो जाती है त्योहारों के समय फूलों की खबर और मुनाफा दोनों ही बड़ी मात्रा में होता है यहां के किसान बताते हैं कि उन्हें लगभग 1 एकड़ खेत में जहां अन्य फसलों से 25 से 30 हजार मुनाफा प्राप्त होता था वही फूलों की खेती से 1 एकड़ से साल भर में करीब 5 से ₹600000 तक का लाभ कमा लेते हैं यही वजह है कि अब यहां के किसान जो गरीबी के दिन गुजारते थे अन्नदाता होने के बावजूद भी उनका जीवन स्तर बहुत नेम न था वे अब लखपति बन बन रहे हैं वहीं उद्यानिकी विभाग भी क्षेत्र के किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन कर रहा है जिससे सागर का जैसीनगर क्षेत्र फूलों की खेती के लिए जिले भर में मशहूर हो चुका है और अब बुंदेलखंड अंचल के अन्य किसान भी इस ओर बढ़ रहे हैं बाइट किसान बाइट किसान पीटीसी


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