सागर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उनसे संबंधित महाविद्यालयों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा की घोषणा कर दी है. लेकिन प्रवेश परीक्षा आगामी सत्र से लागू होगी. इस फैसले की खास बात ये है कि नई व्यवस्था लागू होने से छात्रों को 12वीं परीक्षा की मेरिट से फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि उन्हें प्रवेश परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा. हालांकि आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को यह अनुमति दी है कि प्रवेश लेने वाले छात्रों के 12वीं परीक्षा के न्यूनतम अंक निर्धारित करें.
सागर में तैयारियां तेज: सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी आगामी सत्र से ये व्यवस्था लागू हो जाएगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश के बाद सागर विश्वविद्यालय ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए सहमति दे दी है और तैयारियां तेज कर दी हैं. आगामी सत्र में स्नातक पाठ्यक्रम की 2000 और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की 1000 सीटें प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भरी जाएंगी. (reservation for local student in sagar university) प्रवेश परीक्षा की घोषणा के बाद से स्थानीय छात्रों में नाराजगी है.
जल्द जारी होगा सिलेबस: सीआईडी में इंग्लिश के अलावा 12 मातृ भाषाओं को शामिल किया गया है. इनमें अलग से एक भाषा का पेपर होगा और छात्र 6 अलग-अलग विषयों में परीक्षा दे सकेंगे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर जल्द परीक्षाओं का सिलेबस जारी किया जाएगा और ये परीक्षा बहु विकल्प के आधार पर होगी. जय परीक्षा ऑनलाइन पद्धति से आयोजित की जाएगी और छात्रों को कंप्यूटर के माध्यम से आंसर शीट भरनी होगी.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की तर्ज पर आरक्षण की मांग: सागर की डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय को 2008 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था. तभी से यह मांग उठ रही थी कि यहां बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की तर्ज पर आरक्षण दिया जाए. इस मांग को कई बार आंदोलन तक हो चुके हैं. लेकिन विश्व विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अचानक से संयुक्त प्रवेश परीक्षा के फैसले के बाद छात्र संगठनों की मांग पर संकट के बादल घिरते हुए नजर आ रहे हैं.
सीमित संख्या में मिल रहा स्थानीय छात्रों को प्रवेश: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के श्रीराम रिछारिया कहते हैं कि जनहित में ये मांग लगातार उठाते आए हैं, लेकिन संयुक्त प्रवेश परीक्षा से छात्रों को फायदा होगा. उन्होंने कहा है कि हमारी मांग अभी भी वहीं है. वहीं युवा कांग्रेस के नेता अशरफ खान ने कहा है कि बुंदेलखंड के गरीब और पिछड़े लोगों को उच्च शिक्षा मिले इसलिए विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय बन जाने के बाद बहुत कम स्थानीय छात्रों को प्रवेश मिल रहा है.
(Students Disappointed from new education policy) (Demand for reservation in Sagar Central University)