सागर। मध्यप्रदेश में गौशाला में पिछले दिनों बड़े पैमाने पर गायों की मौत (death of cows in MP) के मामले सामने आए थे, जिससे खासा विवाद खड़ा हो गया था. जांच पड़ताल में एक बात और सामने आई थी कि पहले की अपेक्षा गौपालन में लोग अब कम रुचि ले रहे हैं. आमतौर पर लोग जगह की कमी के चलते जानवरों को खुले में छोड़ देते हैं. ऐसी स्थिति में गौशालाओं में गायों की भीड़ बढ़ रही है.
इन हालातों को देखते हुए गौ सेवा संरक्षण से जुड़े संगठनों ने मध्यप्रदेश सरकार के बजट में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर गौ धन न्याय योजना लागू करने की मांग की है. संगठनों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की तर्ज पर सरकार गायों का गोबर और गौ मूत्र खरीदना शुरू करे. इससे पशुपालकों की आय बढ़ेगी और लोग गोपालन में रूचि लेंगे.
क्या है छत्तीसगढ़ की गौधन न्याय योजना
गौधन न्याय योजना भूपेश सरकार की महत्त्वकांक्षी (Chhattisgarh Godhan Nyay Yojana) योजनाओं में शामिल है. मुख्यमंत्री बघेल ने पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के लिए गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई 2020 को की थी. जिसमें राज्य सरकार पशुपालकों से गायों का गोबर खरीदती है. इसका उपयोग वर्मी कंपोस्ट बनाने में किया जाता है. योजना के तहत 21 जुलाई 2020 से छत्तीसगढ़ में गायों का गोबर खरीदने की शुरुआत हो चुकी है. छत्तीसगढ़ सरकार गौपालकों से 2 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदती है. इसका सकारात्मक परिणाम भी दिख रहा है. गौपालकों ने जानवरों को खुले में छोड़ने के बजाये घर में बांधना शुरू कर दिया है. ताकि गोबर इकट्ठा कर बेंच सकें.
सड़कों पर बढ़ती गायों की संख्या
प्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा सरकारी स्तर पर गौशाला खोलने की शुरुआत की गई थी. सरकारी गौशाला खोलने का उद्देश्य था कि जो सड़कों पर गाय घूमती हैं. उन्हें गौशाला में रखकर भोजन पानी के अलावा इलाज की व्यवस्था की जाए. इन गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा वर्मी कंपोस्ट बनाने की यूनिट लगाने के अलावा, गोबर से गोकाष्ठ और उपले बनाने के साथ अनुदान भी गौ शालाओं को मुहैया कराने की व्यवस्था की गई थी. इसके उलट प्रदेश कि सरकारी गौशालाओं की दुर्दशा देखने लायक है. इन गौशालाओं में आवारा और असहाय पशुओं की संख्या काफी बढ़ गई और सरकार द्वारा पर्याप्त अनुदान हासिल नहीं होता. पशुपालक भी अपने मवेशियों को खुली सड़क पर छोड़ देते हैं. ट्रैफिक के चलते कई बार हादसों का शिकार भी होती हैं.
सरकारी अनुदान ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर
एमपी सरकार द्वारा सरकारी गौशाला में प्रति गाय के हिसाब से रोजाना 20 रुपए चारे के लिए दिया जाता है. एक गाय एक दिन में 10 से 15 किलो भूसा खाती है. भूसे की कीमत वर्तमान में 8 रुपए प्रति किलो के हिसाब से है. इस हिसाब से अगर एक गाय एक दिन में 10 किलो भूसा खाती है, तो 80 रुपये की जरूरत होती है. दूसरी बात यह है कि सरकारी अनुदान कभी समय पर नहीं मिलता. अनुदान आने में 5-5 महीने लग जाते हैं. जिससे गौशालाओं का संचालन करने में समस्याएं आती हैं.
सरकारी गौशाला में दान में समाज की रुचि नहीं
प्रदेश में आज गौशालाओं की जो हालत है, उसके लिए समाज भी जिम्मेदार है. आमतौर पर देखा गया है कि गौ सेवा के नाम पर समाजसेवी लोग काफी दान पुण्य करते हैं, लेकिन यह दान पुण्य निजी या धार्मिक ट्रस्ट की गौशालाओं में ज्यादा किया जाता है. सरकारी गौशाला में दान नहीं दिया जाता. कभी कभार ही सरकारी गौशालाओं को दान मिलता है.
गोबर और गौमूत्र खरीदे सरकार
गौ रक्षा कमांडो फोर्स की प्रदेश अध्यक्ष सूरज सोनी का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में कई गौशालाएं खोली थीं, लेकिन फंड की कमी और समय पर अनुदान न मिलने के कारण गौशाला में गायों की मौत के भी मामले सामने आ रहे हैं. गौ रक्षा कमांडो फोर्स और धर्म रक्षा संगठन की सरकार से मांग है कि छत्तीसगढ़ की गौधन न्याय योजना की तर्ज पर प्रदेश सरकार भी गाय का गोबर और गौमूत्र खरीदने की शुरुआत करे.
प्रदेश में लगातार हो रही गायों की मौत, कमलनाथ ने शिवराज सरकार से पूछे ये 12 सवाल
ताकि लोगों की गोपालन में रुचि बढ़े और गायों को घर पर रखना शुरू किया जाए. इससे पशुपालक भी समृद्ध होंगे. गोवंश कटने से भी बचेगा. इस योजना से सड़कों पर आवारा पशु भी दिखाई नहीं देंगे. गायों से आमदनी बढ़ेगी तो गौशालाओं में भी उनका संरक्षण बेहतर तरीके से हो सकेगा. (benefits of Godhan Nyay Yojana)