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अंग्रेजों के दमन, देशवासियों के जज्बे की कहानी वाला संग्रहालय, जहां है अंग्रेजों का हंटर, आजादी आंदोलन के बुंदेली शिल्पकारों के बर्तन

200 साल के संघर्ष के बाद मिली आजादी का जश्न मनाने के साथ हमें उन लोगों को भी याद करना होगा. जिन लोगों ने आजादी हासिल करने के लिए जीवन भर संघर्ष किया और अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए. यहां के सत्यम बुंदेली संग्रहालय में आजादी से जुड़े कई ऐतिहासिक समाचार पत्रों के अलावा अंग्रेजों के दमन, स्वदेशी आंदोलन में धातु, शिल्पकारों के योगदान और सागर में मनाए गए आजादी के जश्न से संबंधित दस्तावेज मौजूद हैं. दामोदर अग्निहोत्री द्वारा अपने जीवन की जमा पूंजी से तैयार किए गए संग्रहालय को देखकर आजादी का मूल्य समझ आता है. Indian Independence Day, Bundeli Musium Sagar, Changemakers

Azadi Ka Amrit Mahotsav
सागर संघर्ष का संग्रहालय
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Published : Aug 13, 2022, 9:46 PM IST

सागर। गुलाम भारत की पत्रकारिता और समाचार पत्रों का संग्रह आज भी इतिहास की ओर आकर्शित करता है. मध्यप्रदेश के सागर जिले में दामोदर अग्निहोत्री द्वारा अपने जीवन की जमा पूंजी से तैयार किए गए इस संग्रहालय को देखकर आजादी का मूल्य समझ में आता है. संग्रहालय में 1938 के एक समाचार पत्र में बताया गया है कि, अंग्रेजों की शिक्षा नीति किस तरह से भेदभाव पूर्ण थी. भारतीय बच्चों पर सिर्फ पौने नौ आना खर्च किए जाते थे. अंग्रेजी बच्चों पर 32 रुपए से ज्यादा खर्च किया जाता था. इस तरह की रिपोर्टिंग करना गुलाम भारत में काफी मुश्किल काम था. पत्रकारों और पत्रकारिता का दमन करने के लिए अंग्रेज कोई कसर नहीं छोड़ते थे. तरह-तरह की पाबंदियां लगाई जाती थी. पत्रकारों पर दबाव बनाए जाते थे. इसके बावजूद पत्रकारिता और पत्रकारों ने अपना धर्म निभाया. इसी बात से प्रभावित होकर दामोदर अग्निहोत्री ने अपने संग्रह में समाचार पत्रों को विशेष स्थान दिया. Indian Independence Day, Bundeli Musium Sagar, Changemakers

देशवासियों के जजबे की कहानी कहता संग्रहालय

गुलाम भारत की पत्रकारिता से प्रभावित: वैसे तो दामोदर अग्निहोत्री का संग्रहालय बुंदेली कला संस्कृति और जनजीवन के लिए समर्पित है, लेकिन इस संग्रहालय में गुलाम भारत और आजादी के संघर्ष की कहानी के कई दस्तावेज मौजूद हैं. दामोदर अग्निहोत्री गुलाम भारत की पत्रकारिता से खासे प्रभावित हैं. उन्होंने अपने संग्रहालय में 1936 से लेकर अब तक के करीब 1000 समाचार पत्रों का संग्रह किया है. इनका कहना है कि, गणेश शंकर विद्यार्थी और दूसरे महान पत्रकारों के बारे में जब मैंने पढ़ा, तो मैं काफी प्रभावित हुआ. कितनी विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने आजादी के लिए पत्रकारिता के माध्यम से अलख जगाई थी. Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
यहां मौजूद है अंग्रेजों का हंटर
bundeli musium Sagar
अंग्रेजों के दमन और देशवासियों के जजबे की कहानी कहता संग्रहालय

Azadi Ka Amrit Mahotsav सीएम शिवराज भोपाल में तो गृहमंत्री इंदौर में करेंगे ध्वजारोहण, जानें कौन कहां फहराएगा झंडा

ब्रिटिश कालीन हंटर से होती थी भारतीयों की पिटाई: इस संग्रहालय में एक ब्रिटिश कालीन हंटर भी है, जो चमड़े का बना हुआ है. सागर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिव शंकर केसरी और बाबूलाल जैन इस हंटर के बारे में बताते हैं कि इसी तरह के हंटर से अंग्रेज भारतीयों की पिटाई करते थे. अंग्रेजी सैनिक घोड़े पर सवार होकर हंटर लेकर चलते थे. वैसे तो यह अंतर घोड़े के लिए होता था, लेकिन इसका उपयोग घोड़ों पर कम और राह चलते उन भारतीयों पर होता था, जो आजादी के आंदोलन में योगदान देते थे. यह हंटर ब्रिटिश काल में अंग्रेजों की शोषण और आतंक की कहानी कहता है. Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
समाचार पत्रों का संग्रह

स्वदेशी आंदोलन में शिल्पकारों का योगदान: संग्रहालय के संस्थापक दामोदर अग्निहोत्री बताते हैं कि गांधी जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया और स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया था. इस अभियान में हमारे बुंदेलखंड के धातु शिल्प कारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और आजादी की अलख जगाने के लिए अपने बर्तनों पर एक से बढ़कर एक आकृतियां उकेरी थी. गांधीजी के स्वदेशी आंदोलन को सफल बनाने के लिए अभियान चलाया. उस समय धातु शिल्पकारों ने एक कांसे का गिलास बनाया था, इसमें वंदे मातरम लिखा हुआ था. साथ में उन्होंने एक ट्रे बनाई थी इसमें गांधी जी की तस्वीर उकेरी गई और जय भारत लिखा था.Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
स्वदेशी आंदोलन में शिल्पकारों का योगदान

Har Ghar Tiranga Campaign जुमेराती डाकघर पर CM Shivraj ने किया ध्वाजारोहण, जानिये क्यों आजादी के बाद भी गुलाम था भोपाल

36 तोपों की सलामी के साथ शुरू हुआ था आजादी का जश्न: संग्रहालय में 15 अगस्त 1947 के दिन सागर में मनाए गए जश्न का एक सूचना पत्र भी रखा हुआ है. इसमें 14 अगस्त की रात 12 बजे के बाद से 15 अगस्त को दिनभर आयोजित हुए कार्यक्रमों का ब्यौरा दिया गया है. इसमें बताया गया है कि 14 अगस्त की रात 12:01 पर सबसे पहले 36 तोपों की सलामी दी जाएगी फिर घंटी बजाई जाएगी ईश्वर की आराधना की जाएगी. इसके बाद 15 अगस्त की सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 12:00 बजे तक सागर में क्या-क्या जश्न मनाया गया था. इसका पूरा विवरण सूचना पत्र में रखा गया है.Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
समाचार पत्रों का संग्रह

ब्रिटिश काल और आजादी के बाद के डाक टिकटों, सिक्कों का संग्रह: इसके अलावा संग्रहालय में डाक टिकटों और सिक्कों का भी संग्रह है. आजाद भारत का पहला डाक टिकट 15 अगस्त 1947 को जय हिंद नाम से जारी किया गया था. इसके बाद 1948 में गांधीजी को लेकर एक डेढ़ आने का टिकट जारी हुआ था. आजादी के बाद देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और प्रमुख आंदोलनों को लेकर भी डाक टिकट जारी किए गए. इनका संग्रह इस संग्रहालय में किया गया है. Indian Independence Day, Bundeli Musium Sagar, Changemakers

सागर। गुलाम भारत की पत्रकारिता और समाचार पत्रों का संग्रह आज भी इतिहास की ओर आकर्शित करता है. मध्यप्रदेश के सागर जिले में दामोदर अग्निहोत्री द्वारा अपने जीवन की जमा पूंजी से तैयार किए गए इस संग्रहालय को देखकर आजादी का मूल्य समझ में आता है. संग्रहालय में 1938 के एक समाचार पत्र में बताया गया है कि, अंग्रेजों की शिक्षा नीति किस तरह से भेदभाव पूर्ण थी. भारतीय बच्चों पर सिर्फ पौने नौ आना खर्च किए जाते थे. अंग्रेजी बच्चों पर 32 रुपए से ज्यादा खर्च किया जाता था. इस तरह की रिपोर्टिंग करना गुलाम भारत में काफी मुश्किल काम था. पत्रकारों और पत्रकारिता का दमन करने के लिए अंग्रेज कोई कसर नहीं छोड़ते थे. तरह-तरह की पाबंदियां लगाई जाती थी. पत्रकारों पर दबाव बनाए जाते थे. इसके बावजूद पत्रकारिता और पत्रकारों ने अपना धर्म निभाया. इसी बात से प्रभावित होकर दामोदर अग्निहोत्री ने अपने संग्रह में समाचार पत्रों को विशेष स्थान दिया. Indian Independence Day, Bundeli Musium Sagar, Changemakers

देशवासियों के जजबे की कहानी कहता संग्रहालय

गुलाम भारत की पत्रकारिता से प्रभावित: वैसे तो दामोदर अग्निहोत्री का संग्रहालय बुंदेली कला संस्कृति और जनजीवन के लिए समर्पित है, लेकिन इस संग्रहालय में गुलाम भारत और आजादी के संघर्ष की कहानी के कई दस्तावेज मौजूद हैं. दामोदर अग्निहोत्री गुलाम भारत की पत्रकारिता से खासे प्रभावित हैं. उन्होंने अपने संग्रहालय में 1936 से लेकर अब तक के करीब 1000 समाचार पत्रों का संग्रह किया है. इनका कहना है कि, गणेश शंकर विद्यार्थी और दूसरे महान पत्रकारों के बारे में जब मैंने पढ़ा, तो मैं काफी प्रभावित हुआ. कितनी विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने आजादी के लिए पत्रकारिता के माध्यम से अलख जगाई थी. Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
यहां मौजूद है अंग्रेजों का हंटर
bundeli musium Sagar
अंग्रेजों के दमन और देशवासियों के जजबे की कहानी कहता संग्रहालय

Azadi Ka Amrit Mahotsav सीएम शिवराज भोपाल में तो गृहमंत्री इंदौर में करेंगे ध्वजारोहण, जानें कौन कहां फहराएगा झंडा

ब्रिटिश कालीन हंटर से होती थी भारतीयों की पिटाई: इस संग्रहालय में एक ब्रिटिश कालीन हंटर भी है, जो चमड़े का बना हुआ है. सागर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिव शंकर केसरी और बाबूलाल जैन इस हंटर के बारे में बताते हैं कि इसी तरह के हंटर से अंग्रेज भारतीयों की पिटाई करते थे. अंग्रेजी सैनिक घोड़े पर सवार होकर हंटर लेकर चलते थे. वैसे तो यह अंतर घोड़े के लिए होता था, लेकिन इसका उपयोग घोड़ों पर कम और राह चलते उन भारतीयों पर होता था, जो आजादी के आंदोलन में योगदान देते थे. यह हंटर ब्रिटिश काल में अंग्रेजों की शोषण और आतंक की कहानी कहता है. Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
समाचार पत्रों का संग्रह

स्वदेशी आंदोलन में शिल्पकारों का योगदान: संग्रहालय के संस्थापक दामोदर अग्निहोत्री बताते हैं कि गांधी जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया और स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया था. इस अभियान में हमारे बुंदेलखंड के धातु शिल्प कारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और आजादी की अलख जगाने के लिए अपने बर्तनों पर एक से बढ़कर एक आकृतियां उकेरी थी. गांधीजी के स्वदेशी आंदोलन को सफल बनाने के लिए अभियान चलाया. उस समय धातु शिल्पकारों ने एक कांसे का गिलास बनाया था, इसमें वंदे मातरम लिखा हुआ था. साथ में उन्होंने एक ट्रे बनाई थी इसमें गांधी जी की तस्वीर उकेरी गई और जय भारत लिखा था.Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
स्वदेशी आंदोलन में शिल्पकारों का योगदान

Har Ghar Tiranga Campaign जुमेराती डाकघर पर CM Shivraj ने किया ध्वाजारोहण, जानिये क्यों आजादी के बाद भी गुलाम था भोपाल

36 तोपों की सलामी के साथ शुरू हुआ था आजादी का जश्न: संग्रहालय में 15 अगस्त 1947 के दिन सागर में मनाए गए जश्न का एक सूचना पत्र भी रखा हुआ है. इसमें 14 अगस्त की रात 12 बजे के बाद से 15 अगस्त को दिनभर आयोजित हुए कार्यक्रमों का ब्यौरा दिया गया है. इसमें बताया गया है कि 14 अगस्त की रात 12:01 पर सबसे पहले 36 तोपों की सलामी दी जाएगी फिर घंटी बजाई जाएगी ईश्वर की आराधना की जाएगी. इसके बाद 15 अगस्त की सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 12:00 बजे तक सागर में क्या-क्या जश्न मनाया गया था. इसका पूरा विवरण सूचना पत्र में रखा गया है.Azadi Ka Amrit Mahotsav, Har Ghar Tiranga Bundeli Musium Sagar

bundeli musium Sagar
समाचार पत्रों का संग्रह

ब्रिटिश काल और आजादी के बाद के डाक टिकटों, सिक्कों का संग्रह: इसके अलावा संग्रहालय में डाक टिकटों और सिक्कों का भी संग्रह है. आजाद भारत का पहला डाक टिकट 15 अगस्त 1947 को जय हिंद नाम से जारी किया गया था. इसके बाद 1948 में गांधीजी को लेकर एक डेढ़ आने का टिकट जारी हुआ था. आजादी के बाद देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और प्रमुख आंदोलनों को लेकर भी डाक टिकट जारी किए गए. इनका संग्रह इस संग्रहालय में किया गया है. Indian Independence Day, Bundeli Musium Sagar, Changemakers

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