सागर। शादी-ब्याह के लिए अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना जाता है. किस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए कोई विशेष मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है. यही वजह है कि इस दिन बड़े पैमाने पर शादी विवाह होते हैं. इस साल में 3 मई को अक्षय तृतीया है. हर बार की तरह इस बार भी हजारों की संख्या में शादियां होंगी. लेकिन बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया की आड़ में बाल विवाह की कुरीति के मामले भी सामने आते हैं. इस सामाजिक कुरीति पर रोक लगाने के लिए प्रशासन, पुलिस महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस की किशोर इकाई चाइल्ड लाइन की मदद से काम करती है. पिछले कुछ सालों में सैकड़ों बाल विवाह रोकने में कामयाबी भी मिली है. लेकिन मौजूदा दौर में स्पेशल सेल का काम ठप पड़ा हुआ है. पिछले कुछ महीनों से लेकर आज की तारीख तक एक भी बाल विवाह जिले में नहीं रोका गया है, जबकि बुंदेलखंड में आज भी चोरी छिपे बाल विवाह किए जा रहे हैं. अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त पर सैकड़ों की संख्या में बाल विवाह होने की संभावना है, लेकिन बेपरवाह पुलिस और प्रशासन इस सामाजिक कुरीति को रोकने में कोई रुचि नहीं ले रहा है.
साल | रोके गए बाल विवाह |
2018 | 10 |
2019 | 44 |
2020 | 110 |
2021 | 71 |
इनके अलावा ग्रामीण इलाकों में चोरी छुपे बड़े पैमाने पर बाल विवाह किए जाते हैं जिसकी खबर पुलिस प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती.
कैसे रुकेंगे बाल विवाह: पिछले 4 साल में रोके गए बाल विवाह के आंकड़ों से साफ होता है कि बुंदेलखंड में बड़े पैमाने पर बाल विवाह होते हैं, लेकिन मौजूदा साल में एक भी बाल विवाह पुलिस और प्रशासन की स्पेशल सेल द्वारा नहीं रोका गया है. एक बार फिर अक्षय तृतीया करीब है जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि बुंदेलखंड में अक्षय तृतीया पर होने वाले बाल विवाह रोकने के लिए सूचना तंत्र मजबूत किया गया है और टीमें भी गठित कर दी गई हैं.
संयुक्त टीम रखेगी बाल विवाह पर नजर:
सागर एडिशनल एसपी विक्रम सिंह कुशवाह का कहना है कि अक्षय तृतीया के मौके पर बड़े पैमाने पर होने वाले बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम गठित की गई है। महिला बाल विकास विभाग और पुलिस की किशोर इकाई की स्पेशल सेल के अलावा चाइल्ड लाइन की टीम गठित की गई है। सूचना तंत्र को मजबूत किया गया है और तमाम थाना को ताकीद किया गया है कि कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिले, तो तत्काल उसकी जानकारी दें और मौके पर पहुंचकर कार्यवाही करें।
कानून ही नहीं जागरूकता भी जरूरी: सागर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के प्रो. दिवाकर सिंह कहते हैं कि बुंदेलखंड और अन्य पिछड़े इलाकों में शादी की उम्र 18 साल होने के बावजूद भी बाल विवाह के मामले सामने आते हैं. दिवाकर का मानना है कि
इसके लिए सामाजिक,आर्थिक और धार्मिक कारण भी जिम्मेदार होते हैं. हालांकि वे साफ करते हैं कि कम उम्र में लड़कियों की शादी कर देने से उनका शारीरिक- मानसिक तौर पर नुकसान होता ही है, उनको आगे बढ़ने के कम अवसर भी हासिल होते हैं. बाल विवाह रोकने के लिए कानून तो मौजूद है इसका पालन भी किया जाता है, लेकिन इसके साथ साथ सरकार की कल्याणकारी मंशा को लेकर लोगों को जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है. लोगों को बताया जाए कि मानसिक और शारीरिक रूप से कम उम्र की लड़कियां इस तरह की जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार नहीं होती हैं वही शादी के बाद उनके जीवन में अचानक परिवर्तन आने से वे अपने भविष्य को लेकर भी तनावग्रस्त हो जाती हैं.
दिवाकर सिंह , प्रोफेसर, समाजशास्त्र, सागर यूनिवर्सिटी
शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होती हैं बालिका वधू: बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की एसो. प्रोफेसर डॉ जागृति किरण नागर बताती हैं कि -
कम उम्र में बेटियों की शादी करना, उनको शारीरिक रूप से कई परेशानियों में धकेलना है। कम उम्र की बेटियां शादी के बाद बच्चों की जिम्मेदारी लेने में शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम नहीं होती हैं। उन्हें कई तरह की शारीरिक और मानसिक व्याधियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि जब बेटियां शारीरिक और मानसिक रूप से शादी के लिए तैयार हो, तभी उनकी शादी कराना चाहिए।
डॉ जागृति किरण नागर,एसो. प्रोफेसर, बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज
बाल विवाह करने के पीछे भले सामाजिक और आर्थिक वजहें गिनाई जाती हैं, लेकिन कानून की नजर में यह अपराध है. जानकार भी मानते हैं वधू के विकास के लिए शादी से पहले उसका उम्र और शारीरिक रूप से भी परिपक्व होना बेहत जरूरी है, बावजूद इसके बुंदेलखंड से यह सामाजिक खत्म नहीं हो पा रही है. मंगलवार को अक्षय तृतीया है एक बार फिर प्रशासन मुस्दैत होने का दावा कर रहा है. ऐसे में देखने लायक यह होगा कि ग्राउंड पर कहीं नजर नहीं आ रही प्रशासन की सक्रियता क्या इस बार अपने दावे के मुताबिक बाल विवाह होने से रोक पाती है.