रीवा। जिले में 21 प्रमुख मंदिरों में विशेष साफ-सफाई तथा सजावट करके महाकाल के महालोक लोकार्पण का उत्सव मनाया गया. सभी मंदिरों में आकर्षक सजावट के साथ दीपमालाएं सजाई गईं. सभी ग्राम पंचायतों में उज्जैन में आयोजित लोकार्पण समारोह के लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई. आमजनता ने उत्साह के साथ इसका आनंद लिया. रायपुर कर्चुलियान के ग्राम पटना के रामजानकी मंदिर तथा रायपुर कर्चुलियान के प्राचीन शिव मंदिर में विशेष साफ-सफाई एवं भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया. नगर परिषद गुढ़ में कष्टहरनाथ शिव मंदिर में इस अवसर पर विशेष साज-सज्जा करके दीपमालाएं सजाई गईं. नगर परिषद सिरमौर के रानीतालाब में स्थित विजय राघव बिहारी मंदिर में भजन कार्यक्रम आयोजित किया गया. हनुमान मंदिर चाकघाट, भैरवनाथ मंदिर त्योंथर, जानकी मंदिर घुरेहटा मऊगंज तथा अष्टभुजी माता मंदिर नईगढ़ी में भी महालोक के लोकार्पण का उत्सव आयोजित किया गया. (Rewa Devtalab Temple Decoration) (MP Mahakal lok)
दीपावली से पहले दीपोत्सव: कार्यक्रम में पूर्व मंत्री एवं विधायक रीवा राजेन्द्र शुक्ल, विधायक मऊगंज प्रदीप पटेल, पूर्व मंत्री महाराजा पुष्पराज सिंह, राम सिंह, पूर्व महापौर वीरेन्द्र गुप्ता, भाजपा अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने भगवान महामृत्युंजय की पूजा-अर्चना करके दीप प्रज्ज्वलित कर महालोक के लोकार्पण कार्यक्रम में अपनी भागीदारी निभाई. कार्यक्रम में कलेक्टर मनोज पुष्प, पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन, आयुक्त नगर निगम मृणाल मीणा, एसडीएम हुजूर अनुराग तिवारी तथा बड़ी संख्या में आमजनों ने भी सहभागिता निभाई. रीवा शहर में चिरहुला के हनुमान जी मंदिर, रानी तालाब मंदिर, लक्ष्मणबाग मंदिर परिसर तथा नृत्य राघव मंदिर को भी विशेष साफ-सफाई करके आकर्षक रूप में सजाया गया. महालोक के लोकार्पण ने जिले को दीपावली से पहले ही दीपोत्सव मनाने का सुअवसर प्रदान किया.
कार्यक्रम का लाइव प्रसारण: जिले के सुप्रसिद्ध शिव मंदिर देवतालाब में भी विशेष साफ-सफाई तथा सजावट की गई. मंदिर को पुष्पों से सजाकर दीपमालाएं लगाई गईं. खंधो मंदिर गोविंदगढ़, जगन्नाथ मंदिर हनुमान पार्क सेमरिया, सितलहा मंदिर जवा, हटेश्वर मंदिर हाटा हनुमना तथा रामजानकी मंदिर त्योंथर में भी महालोक के लोकार्पण पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए. इन सभी स्थानों में उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया गया.
भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में बनाया था मंदिर: शिव की नगरी देव तलाब में खुद भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में एक ही पत्थर की शिला से शिव मंदिर का निर्माण किया था. किदवंतियां हैं कि, रीवा जिले की शिव नगरी देवतालाब का नाम ही तालाबों से जुड़कर बना है. देवतालाब में भगवान भोलेनाथ की पारसनाथ रूप में शिवलिंग विराजमान है. कहते हैं कि शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय देवतालाब में शिव दर्शन के लिए आराधना मे लीन थे. जिसके बाद स्वयंभू ने महर्षि को दर्शन देने के लिए विश्वकर्मा को इसी जगह मंदिर बनाने के लिए आदेशित किया. जिसके बाद भगवान विश्वकर्मा ने यहां पर खुद से भव्य मंदिर का निर्माण किया. रातों रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई. जिसे पारसनाथ रूपी शिवलिंग कहते है. मंदिर निर्माण के दौरान भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर को ऐसा आकार दिया की मंदिर भवन में किसी भी तरह का कोइ जोड़ नही है. समूचा मंदिर ही एक विशाल चट्टान में तराशा हुआ है. इसके साथ ही चारों ओर तालाब बना दिए जिससे सदैव भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक हो सके और इन्हीं तालाबों के चलते इस नगरी को नाम दे दिया गया देवतालाब.
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शिवलिंग को खंडित करने की हुई थी कोशिश: लोग बताते हैं कि मुगल शासक औरंगजेब के शासन काल में उसके आदेश में सेना ने मंदिर में विराजित भगवान पारसनाथ रूपी शिवलिंग को खंडित करने की कोशिश की थी जिसके बाद ही उसका शर्वनाश हो गया. कहते हैं की इस शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया गया था. जिसके कारण शिवलिंग में तीन दरारे पड़ गई और इसे भगवान शिव की महिमा ही कहेंगे की एक दरार से खून तो दूशरे दरार से दूध और तीसरे दरार से गंगा की धारा निकल पडी. तब से ही यहां पर भगवान भोलेनाथ के पारसनाथ रूप के दर्शन करने को लेकर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगने लगा. इतिहास में यह भी दर्शाया गया है कि भगवान विश्वकर्मा ने जब भोलेनाथ की इस मंदिर को स्वयं से आकार दिया उसके वर्षो बाद रीवा रियासत के महाराजा ने मंदिर के चारो दिशाओं में चार अन्य देवी देवताओं का मंदिर बनवा दिया, और उस शिलिंग के अलावा चार अन्य शिलिंग की स्थापना कराई गई.
मंदिर के तहखाने में मौजूद है चमत्कारिक मणि: एक मान्यता यह भी है कि इस शिव मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है. जिसमे चमत्कारिक मणि मौजूद है. कई वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप और बिच्छुओं के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है. मंदिर के ठीक सामने एक गढ़ी (किले का छोटा स्वरूप) भी मौजूद थी. जिसका रास्ता जमीन के जमीन के नीचे से होते हुए मंदिर के नीचे पहुचता है. देवतालाब मंदिर में विराजमान पारसनाथ भगवान के दर्शन किए बगैर चारों धाम की यात्रा को भी सफल नहीं माना जाता क्योंकि यह भोलेनाथ के सभी रूपों में जेष्ठ रूप है.
महामृत्युंजय चाहेंगे तो किला में बनेगा कॉरिडोर: महामृत्युंजय मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि ''मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा शिव नगरी उज्जैन में जिस प्रकार से कोरिडोर का निर्माण हुआ है, उससे भगवान शिव के बारे में अधिक जानकारी लोगों को मिल सकेगी. लोग दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकेंगे''. उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिव नगरी उज्जैन के प्राचीन इतिहास को महाकाल लोग के कॉरिडोर में दर्शाया जाएगा जिससे लोग शिव महिमा के बारे में जान सकेंगे, जबतक धार्मिक स्थल नहीं चमकेंगे तब तक देश नहीं चमक सकेगा. इसलिए धार्मिक स्थलों को चमकाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए रीवा के तमाम धार्मिक स्थानों में निर्माण और सुधार कार्य कराए जा रहे हैं''. इसके साथ ही रीवा की महामृत्युंजय मंदिर में कॉरिडोर बनाए जाने को लेकर पूछे गए मीडिया के सवाल पर पूर्व मंत्री ने कहा कि ''बाबा महामृत्युंजय की कृपा होगी तो अवश्य रीवा में भी कॉरिडोर का निर्माण संभव होगा''. (Rewa Devtalab Temple Decoration) (Deepotsav Celebrated in 21 Temples in Rewa) (MP Mahakal lok)