मंदसौर। मध्य प्रदेश की जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे है. उनमें एक सीट मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट भी है. जो पूर्व विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे से खाली हुई है. सुवासरा विधानसभा सीट राजनीतिक लिहाज से काफी अहम मानी जाती है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस की तरफ से हरदीप सिंह डंग ने बीजेपी के राधेश्याम पाटीदार को शिकस्त दी थी. लेकिन कमलनाथ सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए डंग ने विधायकी से इस्तीफे देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया. जिससे सुवासरा में उपचुनाव की स्थिति बनी.
सुवासरा विधानसभा सीट पर पहली बार हो रहे उपचुनाव में बीजेपी की तरह से हरदीप सिंह डंग को प्रत्याशी बनाया है, तो वही कांग्रेस ने राकेश पाटीदार को मैदान में उतारा है. लिहाजा दो युवा प्रत्याशियों में मुकाबला की वजह से सुवासरा के उपचुनाव पर सबकी नजरें टिकी हैं.
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आरक्षित से सामान्य सीट हुई सुवासरा
सुवासरा विधानभा सीट के सियासी इतिहास की बात की जाए, तो यह सीट 2008 के परिसीमन से पहले तक सीतामऊ सीट के नाम से जानी जाती थी. जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी. लेकिन जैसे ही सीट आरक्षित से सामान्य हुई वैसे ही यहां के सियासी समीकरण बदल गए. 2008 के परिसमीन के बाद इस सीट पर अब तक तीन चुनाव हुए हैं, जिनमें दो बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी को जीत मिली है.
सुवासरा के जातिगत समीकरण
2008 तक आरक्षित रही सुवासरा विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण शून्य रहे. लेकिन जैसे ही यह सीट सामान्य हुई तो अब इस सीट पर तेजी से जातिगत समीकरण उभरने लगे हैं. सुवासरा में सबसे ज्यादा पाटीदार समाज के वोटर है. लिहाजा चुनाव में दोनों दलों की नजरें इसी वोटबैंक पर टिकी होती हैं. इसके अलावा राजस्थान की सीमाओं से सीट सुवासरा विधानसभा सीट पर राजपूत और जैन समाज के मतदाता प्रभावी भूमिका में नजर आते हैं. जो यहां होने वाले चुनावों को जातिगत बनाते हैं.
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सुवासरा के मतदाता
वही बात अगर सुवासरा विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो यहां कुल 2 लाख 60 हजार 251 मतदाता है. जिनमें 1 लाख 33 हजार 239 पुरुष मतदाता तो, 1 लाख 26 हजार 995 महिला मतदाता शामिल हैं. जो पहली उपचुनाव में वोटिंग करेंगे.
हरदीप सिंह डंग ने कमलनाथ पर लगाया उपेक्षा का आरोप
बीजेपी प्रत्याशी हरदीप सिंह डंग कहते है कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार के दौरान जितना काम नहीं हुआ, उतना काम 5 महीने में बीजेपी की सरकार ने किया हैं. कमलनाथ ने लगातार हमारी उपेक्षा की 15 महीने की बात करने वाले कमलनाथ से जब वह मिलने जाते थे तो कमलनाथ उन्हें 15 मिनट भी नहीं देते थे. लेकिन जनता विकास चाहती है. पांच साल बाद वह जब जनता के बीच जाते तो क्या जबाव देते. इसलिए उन्होंने जनता के विकास के लिए यह कदम उठाया और उन्हें भरोसा है कि जनता भी उन्हें फिर मौका देगी.
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कांग्रेस प्रत्याशी ने साधा बीजेपी पर निशाना
वही कांग्रेस प्रत्याशी राकेश पाटीदार कहते है कि सुवासरा की जनता के साथ धोखा हुआ है. इसलिए वे केवल इस धोखे के खिलाफ मैदान में हैं. जनता ने ही हरदीप डंग को विधानसभा भेजा था. लेकिन उन्होंने जनता के साथ धोखा किया. इसलिए अब उन्हें जनता दोबारा मौका नहीं देने वाली है. जो 15 साल में कुछ नहीं कर पाए वे 15 महीने का हिसाब मांगते हैं.
राजनीतिक जानकारों की राय
वही सुवासरा के सियासी समीकरणों पर राजनीतिक जानकार कहते है कि हरदीप सिंह डंग के समर्थन में बीजेपी के सभी दिग्गजों ने मोर्चा संभाल रखा है. जबकि कांग्रेस ने स्थानीय और युवा प्रत्याशी को मौका दिया है. हरदीप सिंह डंग सिख वर्ग से आते हैं. इन मतदाताओं की संख्या यहां न के बराबर है. जिससे यहां मुकाबला टक्कर का होने की उम्मीद है.
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पहली बार मंत्री बने हरदीप सिंह डंग
2008 से चुनावी मैदान में उतरे हरदीप सिंह डंग को पहली बार में हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन 2013 के चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज करते हुए विधानसभा में दस्तक दी , तो दूसरी बार 2018 के विधानसभा चुनाव में भी विजयश्री हासिल की. लेकिन हरदीप सिंह डंग ने तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए विधायकी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. जहां उन्हें शिवराज सरकार में मंत्री भी बनाया गया. लिहाजा मंत्री पर रहते हुए हरदीप सिंह डंगी चौथी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं.
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हरदीप सिंह डंग को विजयश्री दिलाने की जिम्मेदारी खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान के जिम्मे है. लिहाजा शिवराज यहां लगातार डंग के समर्थन में सभाएं कर रहे हैं, तो कैलाश विजयवर्गीय भी यहां हरदीप सिंह डंग के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं. जबकि कांग्रेस के राकेश पाटीदार को जिताने की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री जीतू पटवारी और प्रियव्रत सिंह के कंधों पर है. तो कमलनाथ भी यहां सभा कर चुके हैं. दोनों ही पार्टियां यहां पूरी ताकत के चुनावी मैदान में डटी हुई है. जिससे हरदीप सिंह डंग और राकेश पाटीदार में मुकाबला कड़ा होता नजर आ रहा है. हालांकि दोनों प्रत्याशियों में किस्मत किसकी चमकेगी इसका पता तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा.