जबलपुर। आम को फलों का राजा कहा जाता है. दुनिया भर में भारत के आमों का कोई जवाब नहीं है, लेकिन हम आपको दुनिया के सबसे महंगे आम के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जापान में पाए जाते हैं. इन आमों की कीमत दो लाख रुपये प्रति किलो है. ऐसा नहीं है कि इस आम का स्वाद लेने के लिए जापान जाना होगा. आपको यह जबलपुर के एक बगीचे में मिल जाएगा.
यह खास आम जापान में पाए जाते हैं, जिसे 'ताइऔ नो तमगौ' के नाम से जाना जाता है. इसे एग ऑफ द सन भी कहा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि जबलपुर में चरगवां रोड पर संकल्प परिहार और रानी परिहार का बगीचा है, यहां 14 अलग-अलग किस्म के आम हैं. इनमें से सबसे महंगे आम ताइऔ नो तमगौ के भी कुछ पेड़ हैं और बीते 4 सालों से इनमें लगातार फल आ रहे हैं.
शौकिया तौर पर उगाया यह आम
रानी परिहार कहती हैं कि इस आम को उगाना किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि इसमें बहुत कम फल आते हैं और भारत में इनका अच्छा दाम ही नहीं मिलता, लेकिन उन्होंने शौकिया तौर पर इस आम को उगाया था और वे सफल रहीं. जापान में इस आम को पॉली हाउस के भीतर उगाया जाता है, लेकिन भारत में इसे खुले वातावरण में भी उगाया जा सकता है.
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खुले वातावरण में जापानी आम
रानी परिहार का कहना है कि यह बहुत ही स्वादिष्ट आम है. इसमें बिल्कुल भी रेशे नहीं पाए जाते और स्वाद इतना लजीज होता है कि खाने वाला कभी भूलता नहीं है. जापानी वैरायटी के भी रानी परिहार के बगीचे में कई आम हैं. इनमें स्वर्ग बैगनी और पिंक आम भी हैं. इस बगीचे में मैंगो 2KG नाम का भी एक आम है, जिसका पकने पर कुल वजन 2 किलो के लगभग होता है. महत्वपूर्ण बात यह है कि आम की देसी और विदेशी सभी किस्म के फल खुले वातावरण में पैदा हो रहे हैं.
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महंगे आम पर चोरों की नजर
इन महंगे आमों की खेती करना किसी चुनौती से कम नहीं है. बगीचे पर चोरों की नजर होती है और वे महंगे आमों को चुरा कर ले जाते हैं और उन्हें कौड़ियों के दाम बेच देते हैं. संकल्प परिहार और रानी परिहार का कहना है कि यहां बगीचे में 24 घंटे नजर रखनी पड़ती है.
इस बगीचे में अलफांजो, नूरजहां, मल्लिका और दशहरी किस्म के आम भी लगे हुए हैं और सफलतापूर्वक हर साल इनका उत्पादन हो रहा है. संकल्प परिहार कहते हैं कि इस इलाके का वातावरण आम के उत्पादन के लिए बहुत अच्छा है, लेकिन सरकार के उद्यान विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है, इसलिए छोटे किसानों तक यह प्रयोग नहीं पहुंच पा रहा है. अगर आम के उत्पादन पर थोड़ी सी सरकारी मदद हो जाए तो इस इलाके के गरीब किसानों की हालत सुधर सकती है.