जबलपुर। नशे की लत से न सिर्फ इंसान का जीवन बर्बाद होता है बल्कि यह जानलेवा होती है. यह लत न सिर्फ नशा करने वाले व्यक्ति बल्कि उसके परिवार और समाज को भी प्रभावित करती है, इसलिए इसे सिर्फ एक आदत के रूप में ही नहीं बल्कि एक बीमारी के रूप में परिभाषित किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस हर साल 26 जून को मनाया जाता है. समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए सरकार कई तरह की अभियान चला रही है. इसी कड़ी में जबलपुर की ग्राम पंचायत देवरी नवीन में 12 साल से किसी भी शख्स ने नशे को हाथ भी नहीं लगाया है, और जो लगाता भी है उसे भारी-भरकम जुर्माना भरना पड़ता है. देखिए नशा मुक्ति अभियान में मिसाल बनी ग्राम पंचायत देवरी नवीन की कहानी. (Jabalpur Gram Panchayat Deori Naveen)
12 साल से ये गांव है नशा मुक्त: जबलपुर के बरगी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत देवरी नवीन की खास बात ये है कि यहां अपराध नहीं होता. ग्रामीणों के बीच विवाद नहीं होता. ग्रामीण महिलाएं हमेशा खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं, और इन सब के पीछे की सबसे बड़ी वजह है ये ग्राम पंचायत पूरी तरह से नशा मुक्त है. यहां के ग्रामीणों ने ये काम कर दिखाया है. 12 साल से ये ग्राम पंचायत पूरी तरह से नशा मुक्त है. 12 साल पहले इस ग्राम पंचायत के लगभग हर घर में शराब बनती थी, जिससे आए दिन ग्रामीणों के बीच विवाद तो होता ही था, साथ ही अपराधियों की संख्या भी बढ़ती जा रही थी. इस ग्राम पंचायत को नशा मुक्त बनाने का बीड़ा उठाया इस गांव की महिलाओं ने और फिर शुरू हुआ एक ऐसा अभियान जिसने पूरी ग्राम पंचायत की सूरत ही बदल दी. (Jabalpur liquor consumption fine of 10 thousand)
नियम का उल्लंघन करने पर लगता है 10 हजार रुपए का जुर्माना: ग्राम पंचायत को हमेशा नशा मुक्त रखने के लिए ग्रामीणों ने कुछ सख्त नियम बनाए हैं. इसका उल्लंघन करने पर भारी भरकम जुर्माना भरना पड़ता है. अगर कोई गांव में शराब पीकर आता है तो उससे बतौर जुर्माना 10 हजार रुपए वसूल किया जाता है, और यह राशि ग्राम पंचायत के विकास और गांव के आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों की युवतियों की शादी में इस्तेमाल किया जाता है. यानी नशा मुक्ति के साथ-साथ समाजसेवा भी इस गांव की प्राथमिकता में है.
गांव की पंचायत ने कई उदहारण किए पेश: गांव के पूर्व सरपंच रामकुमार सैयांम बताते हैं कि गांव का एक युवक रोज शराब पीकर अपने घर आता था. इस बात से परेशान होकर उसकी पत्नी ने इसकी शिकायत गांव की पंचायत से की. इसके बाद गांव की पंचायत ने अपना फैसला सुनाया और युवक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. ऐसा ही एक और मामला गांव की पंचायत में आया, जहां गांव के कुछ लोगों ने शिकायत करते हुए बताया कि एक युवा आए दिन बाहर से शराब लाकर गांव में बेच रहा हैं. इसके बाद पंचायत ने फैसला सुनाते हुए इस पर भी 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इसके बाद पंचायत ने इस जुर्माने की रकम का सदुपयोग पंचायत में होने वाले शुभ कार्यों के लिए बर्तन खरीदे गए. रामकुमार बताते हैं कि ऐसे दर्जनों उदहारण सामने आए हैं जिन्हें जुर्माना लगाकर हिदायत दी गई है. इसका नतीजा ये निकला की दो-तीन सालों से शराबखोरी का एक भी मामला सामने नहीं आया.
राष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस 2021 : नशा मुक्ति के लिए जागरुकता जरूरी
मेहनत की कमाई नहीं होती बर्बाद: शराबबंदी के लिए पूर्व में कलेक्टर, कमिश्नर और मुख्यमंत्री तक इसकी सराहना कर चुके हैं, लेकिन आदिवासी बाहुल्य होने के कारण इसका प्रचार-प्रसार नहीं किया गया. यही वजह है कि मिसाल बनने के बाद भी दूसरा गांव इससे सीख नहीं ले पा रहा है. गांव के लोग इस बात से खुश हैं कि उनके गांव में शराब बंद है, और उनकी मेहनत की कमाई फिजूल खर्च में बर्बाद नहीं होती.