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जबलपुरः महिला अपराधों में आरोपी की पहचान छिपाने को लेकर याचिका दायर, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

रेप पीड़ित की तरह अब आरोपी की पहचान आरोप सिद्ध ना होने की मांग की गई थी. जिसे लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है.

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Published : Feb 7, 2019, 3:10 PM IST

न्यायालय

जबलपुर। हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है, जिसमें रेप के मामलों में पीड़ित की तरह आरोपी की पहचान भी छिपाकर रखी जाने की बात कही गई है. जब तक अदालत द्वारा आरोप सिद्ध नहीं हो तब तक आरोपी का नाम सार्वजानिक नहीं किये जाने की मांग की गई है. छेड़छाड़ और रेप के झूठे केस में बढ़ोत्तरी के चलते कोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लिया है.

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याचिका जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पीजी नाजपांडे और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर एमए खान ने दायर की है. एनसीआरबी के आंकड़े सहित ऐसे तमाम देशों के उदाहरण दिए गए हैं. हाई कोर्ट ने अब मामले पर केंद्र और राज्य सरकार के विधि एवं विधायी विभाग को नोटिस जारी किया है और उनका जवाब मांगा है.


बता दें,याचिका में आईपीसी की धारा 228 A में हुए संशोधन को चुनौती दी गई है. जिसमें रेप और यौन प्रताड़ना या छेड़छाड़ की सिर्फ महिला पीड़ित का नाम सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई है.

जबलपुर। हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है, जिसमें रेप के मामलों में पीड़ित की तरह आरोपी की पहचान भी छिपाकर रखी जाने की बात कही गई है. जब तक अदालत द्वारा आरोप सिद्ध नहीं हो तब तक आरोपी का नाम सार्वजानिक नहीं किये जाने की मांग की गई है. छेड़छाड़ और रेप के झूठे केस में बढ़ोत्तरी के चलते कोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लिया है.

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याचिका जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पीजी नाजपांडे और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर एमए खान ने दायर की है. एनसीआरबी के आंकड़े सहित ऐसे तमाम देशों के उदाहरण दिए गए हैं. हाई कोर्ट ने अब मामले पर केंद्र और राज्य सरकार के विधि एवं विधायी विभाग को नोटिस जारी किया है और उनका जवाब मांगा है.


बता दें,याचिका में आईपीसी की धारा 228 A में हुए संशोधन को चुनौती दी गई है. जिसमें रेप और यौन प्रताड़ना या छेड़छाड़ की सिर्फ महिला पीड़ित का नाम सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई है.

Intro:जबलपुर
जबलपुर हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर कर मांग की गई है कि रेप पीड़ितों की तरह रेप मामलों के आरोपियों के भी नाम और उनकी पहचान सार्वजनिक ना की जाए।याचिका में मांग की गई है कि जब तक अदालतों में आरोप साबित नहीं होती तब तक रेप और यौन छेड़छाड़ से जुड़े आरोपियों के नाम मीडिया के सामने उजागर ना किए जाएं याचिका में रेप केसेस के झूठे साबित होने के बढ़ते आंखों का हवाला भी दिया गया है जिस पर हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है।


Body:जबलपुर हाईकोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है याचिका में आईपीसी की धारा धारा 228 a में हुए संशोधन को चुनौती दी गई है जिसमें रेप और यौन प्रताड़ना या छेड़छाड़ की सिर्फ महिला पीड़ित का नाम सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई है। इस संशोधन को समानता के अधिकार के खिलाफ और लैंगिक आधार पर भेदभाव बताया गया है याचिका में मी टू कैंपेन और फिल्म डायरेक्टर मधुर भंडारकर पर दर्ज हुए रेप केस और मीडिया ट्रायल का भी हवाला दिया गया है जिसके बाद में भंडारकर को हाई कोर्ट ने बरी कर दिया लेकिन उनकी सामाजिक प्रतिष्ठान नहीं लौटाई जा सकी।


Conclusion:हाईकोर्ट में यह याचिका जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर पीजी नाजपांडे और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की एक प्रोफ़ेसर एमए खान की ओर से दायर की गई है।याचिका में एनसीआरबी के आंकड़े सहित ऐसे तमाम देशों के उदाहरण दिए गए हैं इसमें रेप के मामलों में झूठा फंसाया जाने के बाद आरोपियों ने खुदकुशी कर ली।जबलपुर हाईकोर्ट ने याचिका पर आज हुई शुरुआती सुनवाई में ही इसे महत्वपूर्ण माना और याचिका को विधिवत सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया।हाई कोर्ट ने अब मामले पर केंद्र और राज्य सरकार के विधि एवं विधायी विभाग को नोटिस जारी किया है और उनका जवाब मांगा है।
बाईट.1-डॉ पीजी नाजपांडेय......याचिकाकर्ता
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