जबलपुर। हाईकोर्ट में एक अहम याचिका दायर की गई है, जिसमें रेप के मामलों में पीड़ित की तरह आरोपी की पहचान भी छिपाकर रखी जाने की बात कही गई है. जब तक अदालत द्वारा आरोप सिद्ध नहीं हो तब तक आरोपी का नाम सार्वजानिक नहीं किये जाने की मांग की गई है. छेड़छाड़ और रेप के झूठे केस में बढ़ोत्तरी के चलते कोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लिया है.
याचिका जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पीजी नाजपांडे और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर एमए खान ने दायर की है. एनसीआरबी के आंकड़े सहित ऐसे तमाम देशों के उदाहरण दिए गए हैं. हाई कोर्ट ने अब मामले पर केंद्र और राज्य सरकार के विधि एवं विधायी विभाग को नोटिस जारी किया है और उनका जवाब मांगा है.
बता दें,याचिका में आईपीसी की धारा 228 A में हुए संशोधन को चुनौती दी गई है. जिसमें रेप और यौन प्रताड़ना या छेड़छाड़ की सिर्फ महिला पीड़ित का नाम सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई है.