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इस जेल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने काटी थी सजा, अब बन रहा संग्रालय

जबलपुर केंद्रीय जेल में आज भी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की कई निशानियां मौजूद हैं. जिन्हे जेल में अब तक संजोय रखा गया है, नेताजी जिस जेल के बैरक में रहते थे, अब उसे संग्रहालय बनाया जाएगा, जिसकी घोषणा सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की है.

Jabalpur Central Jail
जबलपुर केंद्रीय जेल में कैद थे नेताजी
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Published : Aug 14, 2021, 10:08 PM IST

जबलपुर। देश की आजादी में मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर का भी एक अहम योगदान रहा है, जबलपुर के केंद्रीय जेल में अंग्रेजों के समय देश के महान सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजादी के लिए सजा काटी थी और इसी जेल में अंग्रेजों ने उन्हें तरह-तरह की यातनाएं भी दी थी, जिसे आज भी उनकी याद में संजो कर रखा गया है,जबलपुर केंद्रीय जेल जिसे आज नेताजी सुभाषचंद्र जेल के नाम से जाना जाता है यहां पर दो मर्तबा नेताजी बन्द हुए थे.

जबलपुर केंद्रीय जेल में कैद थे नेताजी

104 डिग्री बुखार के बावजूद अधिवेशन में हुए शामिल, जाना पड़ा जेल

नेताजी सुभाषचंद्र बोस को जबलपुर में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कैद किया गया था,जबलपुर में अधिवेशन होना था, जिसमें शामिल होने के लिए वो 104 डिग्री बुखार में जबलपुर आए, जहां उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर इसी जेल में कैद किया था.

नेताजी की शयनपट्टिका आज भी है मौजूद

जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था, सन 1933 और 34 में अंग्रेजों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को इसी जेल में लाकर बंद किया था, जहां वो एक बार 6 माह और दुबारा एक सप्ताह कैद रहे, देश के लिए अहम योगदान के लिए सन 13 जून 2007 को वर्तमान जेल डीआईजी गोपाल ताम्रकार के द्वारा इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस नाम दिया गया था. इस जेल में आज भी नेताजी की शयनपट्टिका के अलावा जिस जंजीर से उन्हें बांधा गया था, वो भी मौजूद है, इसके आलावा चक्की-हंटर और के साथ कई और सामान जेल प्रबंधन के पास आज भी मौजूद है.

Jabalpur Central Jail
नेताजी सुभाष चंद्र बोस लिखा पत्र
कैदी ही करते है नेताजी सुभाषचंद्र बोस बैरक की देख रेख

नेताजी सुभाषचंद्र बोस बैरक में आज भी उनके द्वारा हस्ताक्षर किया गया रजिस्टर, तत्कालीन अंग्रेज जेलर को लिखा गया पत्र मौजूद है, इसके अलावा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की हथकड़ी-उनके द्वारा चलाई गई चक्की-हंटर सहित कई चीजें आज भी हैं, जिसकी देखभाल कैदी करते है, करीब छह साल से जेल में सजा काट रहे सालोमन बताते है कि उन्हें गर्व है कि वो नेताजी सुभाषचंद्र बोस के बैरक की देखभाल और साफ सफाई करते हैं.

सीएम की घोषणा नेताजी का बैरक बनेगा संग्रहालय

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में 23 जनवरी 2021 को जब जबलपुर में नेताजी सुभाषचंद्र केंद्रीय जेल का दौरा किया था, तब घोषणा की थी कि नेताजी की बैरक को संग्रहालय बनाया जाएगा, जिसकी लिए शासन से जेल को बजट भी मिल गया है, संग्रहालय बन जाने के बाद आमजन नेताजी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकेगा.

Jabalpur Central Jail
जबलपुर केंद्रीय जेल

खून लेकर आजादी देने का वादा करने वाले महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन

नेताजी की फौज अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान जब मुसीबत बनने लगी, तब अंग्रेजों ने पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 22 दिसंबर 1931 को गिरफ्तार किया था और फिर 16 जुलाई 1932 तक इसी जेल में बंद रखा, 18 फरवरी 1933 को उन्हें एक बार फिर केंद्रीय जेल जबलपुर लाया गया, इस दौरान जब उनका स्वास्थ्य खराब हुआ तो 22 मार्च 1933 को यहां से तत्कालीन बम्बई और फिर यूरोप भेज दिया गया.

जबलपुर। देश की आजादी में मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर का भी एक अहम योगदान रहा है, जबलपुर के केंद्रीय जेल में अंग्रेजों के समय देश के महान सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजादी के लिए सजा काटी थी और इसी जेल में अंग्रेजों ने उन्हें तरह-तरह की यातनाएं भी दी थी, जिसे आज भी उनकी याद में संजो कर रखा गया है,जबलपुर केंद्रीय जेल जिसे आज नेताजी सुभाषचंद्र जेल के नाम से जाना जाता है यहां पर दो मर्तबा नेताजी बन्द हुए थे.

जबलपुर केंद्रीय जेल में कैद थे नेताजी

104 डिग्री बुखार के बावजूद अधिवेशन में हुए शामिल, जाना पड़ा जेल

नेताजी सुभाषचंद्र बोस को जबलपुर में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कैद किया गया था,जबलपुर में अधिवेशन होना था, जिसमें शामिल होने के लिए वो 104 डिग्री बुखार में जबलपुर आए, जहां उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर इसी जेल में कैद किया था.

नेताजी की शयनपट्टिका आज भी है मौजूद

जबलपुर केंद्रीय जेल का निर्माण अंग्रेजों ने सन 1874 में करवाया था, सन 1933 और 34 में अंग्रेजों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को इसी जेल में लाकर बंद किया था, जहां वो एक बार 6 माह और दुबारा एक सप्ताह कैद रहे, देश के लिए अहम योगदान के लिए सन 13 जून 2007 को वर्तमान जेल डीआईजी गोपाल ताम्रकार के द्वारा इस जेल का नाम केंद्रीय जेल जबलपुर से बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस नाम दिया गया था. इस जेल में आज भी नेताजी की शयनपट्टिका के अलावा जिस जंजीर से उन्हें बांधा गया था, वो भी मौजूद है, इसके आलावा चक्की-हंटर और के साथ कई और सामान जेल प्रबंधन के पास आज भी मौजूद है.

Jabalpur Central Jail
नेताजी सुभाष चंद्र बोस लिखा पत्र
कैदी ही करते है नेताजी सुभाषचंद्र बोस बैरक की देख रेख

नेताजी सुभाषचंद्र बोस बैरक में आज भी उनके द्वारा हस्ताक्षर किया गया रजिस्टर, तत्कालीन अंग्रेज जेलर को लिखा गया पत्र मौजूद है, इसके अलावा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की हथकड़ी-उनके द्वारा चलाई गई चक्की-हंटर सहित कई चीजें आज भी हैं, जिसकी देखभाल कैदी करते है, करीब छह साल से जेल में सजा काट रहे सालोमन बताते है कि उन्हें गर्व है कि वो नेताजी सुभाषचंद्र बोस के बैरक की देखभाल और साफ सफाई करते हैं.

सीएम की घोषणा नेताजी का बैरक बनेगा संग्रहालय

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में 23 जनवरी 2021 को जब जबलपुर में नेताजी सुभाषचंद्र केंद्रीय जेल का दौरा किया था, तब घोषणा की थी कि नेताजी की बैरक को संग्रहालय बनाया जाएगा, जिसकी लिए शासन से जेल को बजट भी मिल गया है, संग्रहालय बन जाने के बाद आमजन नेताजी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकेगा.

Jabalpur Central Jail
जबलपुर केंद्रीय जेल

खून लेकर आजादी देने का वादा करने वाले महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन

नेताजी की फौज अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान जब मुसीबत बनने लगी, तब अंग्रेजों ने पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 22 दिसंबर 1931 को गिरफ्तार किया था और फिर 16 जुलाई 1932 तक इसी जेल में बंद रखा, 18 फरवरी 1933 को उन्हें एक बार फिर केंद्रीय जेल जबलपुर लाया गया, इस दौरान जब उनका स्वास्थ्य खराब हुआ तो 22 मार्च 1933 को यहां से तत्कालीन बम्बई और फिर यूरोप भेज दिया गया.

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