ETV Bharat / city

दुष्कर्म और गर्भपात का मामला, DNA सैंपल के लिए रखे भ्रूण से छेड़छाड़ पर HC सख्त, दिए एडीजी,एसपी, सिविल सर्जन के ट्रांसफर के आदेश

हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमिटी को यह निर्देश दिए हैं की इसकी जांच की जाए. इसके अलावा हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी भी खारिज करते हुए मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों का तबादला कहीं और कर देने के निर्देश भी दिए हैं.

mp high court news
डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ पर हाई कोर्ट सख्त
author img

By

Published : May 4, 2022, 7:22 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश पुलिस में पदस्थ आरक्षक अजय साहू के डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमिटी को यह निर्देश दिए हैं की इसकी जांच की जाए. जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने रजिस्ट्रार से कहा है कि डीएनए से जुड़ी दो जांच रिपोर्ट के साथ इस आदेश की कॉपी मुख्य सचिव के माध्यम से कमेटी को भेजें. इसके अलावा हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी भी खारिज करते हुए मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों का तबादला कहीं और कर देने के निर्देश भी दिए हैं.

डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ पर हाई कोर्ट सख्त

यह है मामला: मध्य प्रदेश पुलिस में पदस्थ जबलपुर के रहने वाले आरक्षक अजय साहू वर्तमान में छिंदवाड़ा में पदस्थ हैं. उसके खिलाफ छिंदवाड़ा के आजाक (आदिम जाति कल्याण) थाने में दुष्कर्म और एससी- एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. आरोपी को 13 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था. आरोप है कि आरक्षक ने दुष्कर्म के बाद पीड़िता के गर्भवती होने पर उसका गर्भपात भी कराया था, लेकिन मामले की जांच में डीएनए सैंपल सुरक्षित नहीं रखा गया.

डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ पर हाई कोर्ट सख्त

HC की टिप्पणी, पुलिस कर रही है बचाने की कोशिश: इस पूरे मामले में जबलपुर रेंज के एडिशनल डीजीपी उमेश जोगा ने 20 अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट को देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि सिविल सर्जन शेखर सुराना ने हाईकोर्ट को गलत जानकारी दी थी. जिस पर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एडीजीपी ने बिना विचार किए रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि उसमें एक स्टाफ नर्स के बयान दर्ज ही नहीं थे. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी एक पुलिस आरक्षक है इसलिए इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि पुलिस के उच्च अधिकारियों ने उसे बचाने की कोशिश की है.हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने दुष्कर्म के आरोपी पुलिस आरक्षक को बचाने के लिए साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में एडीजीपी,पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल, सिविल सर्जन डॉ. शिखर सुराणा का ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए हैं.

सिविल सर्जन ने आरोपों से किया इनकार: छिंदवाड़ा में 13 नवंबर 2021 को एक आदिवासी युवती ने आरक्षक अजय साहू उर्फ पर बलात्कार और गर्भपात कराने के आरोप लगाए थे. इस दौरान पुलिस अभिरक्षा में गर्भपात से प्राप्त भ्रूण को जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने ठीक से प्रिजर्व नहीं किया था. इस मामले में सिविल सर्जन का कहना है कि यह गड़बड़ी फॉरेंसिक लैब, पुलिस विभाग और अस्पताल तीनों में से किसी भी एक जगह पर हो सकती है. इसलिए इसकी जांच की जानी चाहिए. कोर्ट में जो तथ्य रखे गए हैं उनमें भ्रूण को नॉरमल सलाइन के स्थान पर फॉर्मलीन में सुरक्षित कर दिया गया था. जिससे उनकी डीएनए जांच नहीं हो पाई और प्रकरण का सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गया.इस मामले में हाईकोर्ट ने माना है कि भ्रूण को जानबूझकर फॉर्मलीन में सुरक्षित किया गया, जबकि डॉक्टरों ने कोर्ट को बताया कि फॉर्मलीन में रखने के बाद डीएनए की जांच नहीं हो सकती. इस संबंध में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और सिविल सर्जन के बयान में भी काफी विसंगतियां पाई गई है. हाईकोर्ट के आदेश में मामले से संबंधित सभी लोगों को जिले से बाहर पदस्थापना किए जाने के आदेश जारी किए हैं ताकि वे जांच और साक्ष्य को प्रभावित ना कर सकें.

जबलपुर। मध्य प्रदेश पुलिस में पदस्थ आरक्षक अजय साहू के डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ करने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमिटी को यह निर्देश दिए हैं की इसकी जांच की जाए. जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने रजिस्ट्रार से कहा है कि डीएनए से जुड़ी दो जांच रिपोर्ट के साथ इस आदेश की कॉपी मुख्य सचिव के माध्यम से कमेटी को भेजें. इसके अलावा हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी भी खारिज करते हुए मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों का तबादला कहीं और कर देने के निर्देश भी दिए हैं.

डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ पर हाई कोर्ट सख्त

यह है मामला: मध्य प्रदेश पुलिस में पदस्थ जबलपुर के रहने वाले आरक्षक अजय साहू वर्तमान में छिंदवाड़ा में पदस्थ हैं. उसके खिलाफ छिंदवाड़ा के आजाक (आदिम जाति कल्याण) थाने में दुष्कर्म और एससी- एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. आरोपी को 13 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था. आरोप है कि आरक्षक ने दुष्कर्म के बाद पीड़िता के गर्भवती होने पर उसका गर्भपात भी कराया था, लेकिन मामले की जांच में डीएनए सैंपल सुरक्षित नहीं रखा गया.

डीएनए सैंपल से छेड़छाड़ पर हाई कोर्ट सख्त

HC की टिप्पणी, पुलिस कर रही है बचाने की कोशिश: इस पूरे मामले में जबलपुर रेंज के एडिशनल डीजीपी उमेश जोगा ने 20 अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट को देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि सिविल सर्जन शेखर सुराना ने हाईकोर्ट को गलत जानकारी दी थी. जिस पर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि एडीजीपी ने बिना विचार किए रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि उसमें एक स्टाफ नर्स के बयान दर्ज ही नहीं थे. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी एक पुलिस आरक्षक है इसलिए इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि पुलिस के उच्च अधिकारियों ने उसे बचाने की कोशिश की है.हाई कोर्ट की जबलपुर बेंच ने दुष्कर्म के आरोपी पुलिस आरक्षक को बचाने के लिए साक्ष्य नष्ट करने के आरोप में एडीजीपी,पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल, सिविल सर्जन डॉ. शिखर सुराणा का ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए हैं.

सिविल सर्जन ने आरोपों से किया इनकार: छिंदवाड़ा में 13 नवंबर 2021 को एक आदिवासी युवती ने आरक्षक अजय साहू उर्फ पर बलात्कार और गर्भपात कराने के आरोप लगाए थे. इस दौरान पुलिस अभिरक्षा में गर्भपात से प्राप्त भ्रूण को जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने ठीक से प्रिजर्व नहीं किया था. इस मामले में सिविल सर्जन का कहना है कि यह गड़बड़ी फॉरेंसिक लैब, पुलिस विभाग और अस्पताल तीनों में से किसी भी एक जगह पर हो सकती है. इसलिए इसकी जांच की जानी चाहिए. कोर्ट में जो तथ्य रखे गए हैं उनमें भ्रूण को नॉरमल सलाइन के स्थान पर फॉर्मलीन में सुरक्षित कर दिया गया था. जिससे उनकी डीएनए जांच नहीं हो पाई और प्रकरण का सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गया.इस मामले में हाईकोर्ट ने माना है कि भ्रूण को जानबूझकर फॉर्मलीन में सुरक्षित किया गया, जबकि डॉक्टरों ने कोर्ट को बताया कि फॉर्मलीन में रखने के बाद डीएनए की जांच नहीं हो सकती. इस संबंध में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और सिविल सर्जन के बयान में भी काफी विसंगतियां पाई गई है. हाईकोर्ट के आदेश में मामले से संबंधित सभी लोगों को जिले से बाहर पदस्थापना किए जाने के आदेश जारी किए हैं ताकि वे जांच और साक्ष्य को प्रभावित ना कर सकें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.