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कैदियों की अस्थाई जमानत के लाभ मामले में सरकार ने नहीं पेश की स्टेटस रिपोर्ट, 23 जून को अगली सुनवाई - कैदियों की अस्थाई जमानत पर कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने भी जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता तथा अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई व अस्थाई जमानत दिये जाने के संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिये थे.प्रदेश सरकार की तरफ से बताया गया था कि प्रिजनर्स एक्ट में संशोधन किये जाने की जानकारी प्रस्तुत की गयी है. संशोधन के अनुसार. कोरोना महामारी के मद्देनजर कैदियों को 60 दिनों की पैरोल पर रिहा किया जा रहा है.

Madhya Pradesh High Court
हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ
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Published : Jun 15, 2021, 1:58 AM IST

जबलपुर। कोरोना महामारी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार हाईकोर्ट ने सोमवार को संज्ञान याचिका की सुनवाई करते हुए सजायाफ्ता व अंडर ट्रायल कैदियों को अस्थाई जमानत का लाभ दिये जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला को बताया गया कि आदेश का परिपालन करते हुए हाई पाॅवर कमेटी के समक्ष संबंधित अधिवक्ताओं ने इस संबंध में सुझाव पेश किये हैं. प्रदेश सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं किये जाने पर युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 23 जून निर्धारित की है.

संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में जेल महानिदेशक ए कुमार की तरफ से बताया गया था कि 7 मई की स्थिति में प्रदेश की 131 जेल में 45,582 कैदी निरुद्ध हैं. प्रदेश के जेलों की कुल सक्षता 28,675 कैदियों की है. जेल में निरुद्ध 30,982 कैदी अंडर ट्रायल हैं और 14,600 कैदी सजायाफ्ता हैं. इसमें से 537 महिला कैदी हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने भी जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता तथा अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई व अस्थाई जमानत दिये जाने के संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिये थे.
प्रदेश सरकार की तरफ से बताया गया था कि प्रिजनर्स एक्ट में संशोधन किये जाने की जानकारी प्रस्तुत की गयी है. संशोधन के अनुसार. कोरोना महामारी के मद्देनजर कैदियों को 60 दिनों की पैरोल पर रिहा किया जा रहा है.

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कोर्ट मित्र-अधिवक्ताओं ने दिए थे सुझाव

कोर्ट मित्र तथा संबंधित अधिवक्ताओं ने सुझााव दिये थे कि सात साल से कम की सजा से दण्डित 60 साल से अधिक सजायाफ्ता पुरूष तथा 45 साल की सजायाफ्ता महिला कैदियों को 90 दिनों के लिए पैरोल दी जाये. गर्भवती सजायाफ्ता महिला कैदियों व जेल में बच्चों के साथ रहने वाले सजायाफ्ता कैदियों को भी 90 दिनों की पैरोल दी जाये.

हृद्य, एड्स व अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त सजायाफ्ता कैदियों को 90 दिन की पैरोल दी जाये. युगलपीठ ने इस संबंध में हाई पॉवर कमेटी को स्टेट लीगल सर्विस एथॉरिटी की चेयरमेन के साथ फिजिकल तथा वर्जुअल बैठक करने निर्णय लेने आदेश जारी किये हैं.

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कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि जेल में निरुद्ध कैदियों के आरटी-पीसीआर टेस्ट व वैक्सीनेशन के अलावा कोरोना पीड़ित कैदियों के उपचार के संबंध में आदेश जारी किये थे. पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि इसके बावजूद भी जेल में निरुद्ध कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक है. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र व संबंधित अधिवक्ताओं ने इस संबंध में सुझाव रखे थे.

युगलपीठ ने उक्त सुझाव हाई पाॅवर कमेटी के समक्ष पेश करने के निर्देश दिये थे. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान उक्त जानकारी पेश की गई। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये.

जबलपुर। कोरोना महामारी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार हाईकोर्ट ने सोमवार को संज्ञान याचिका की सुनवाई करते हुए सजायाफ्ता व अंडर ट्रायल कैदियों को अस्थाई जमानत का लाभ दिये जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला को बताया गया कि आदेश का परिपालन करते हुए हाई पाॅवर कमेटी के समक्ष संबंधित अधिवक्ताओं ने इस संबंध में सुझाव पेश किये हैं. प्रदेश सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं किये जाने पर युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 23 जून निर्धारित की है.

संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में जेल महानिदेशक ए कुमार की तरफ से बताया गया था कि 7 मई की स्थिति में प्रदेश की 131 जेल में 45,582 कैदी निरुद्ध हैं. प्रदेश के जेलों की कुल सक्षता 28,675 कैदियों की है. जेल में निरुद्ध 30,982 कैदी अंडर ट्रायल हैं और 14,600 कैदी सजायाफ्ता हैं. इसमें से 537 महिला कैदी हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने भी जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता तथा अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई व अस्थाई जमानत दिये जाने के संबंध में राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश दिये थे.
प्रदेश सरकार की तरफ से बताया गया था कि प्रिजनर्स एक्ट में संशोधन किये जाने की जानकारी प्रस्तुत की गयी है. संशोधन के अनुसार. कोरोना महामारी के मद्देनजर कैदियों को 60 दिनों की पैरोल पर रिहा किया जा रहा है.

नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलने की याचिका खारिज और याचिकाकर्ता पर इतना जुर्माना...

कोर्ट मित्र-अधिवक्ताओं ने दिए थे सुझाव

कोर्ट मित्र तथा संबंधित अधिवक्ताओं ने सुझााव दिये थे कि सात साल से कम की सजा से दण्डित 60 साल से अधिक सजायाफ्ता पुरूष तथा 45 साल की सजायाफ्ता महिला कैदियों को 90 दिनों के लिए पैरोल दी जाये. गर्भवती सजायाफ्ता महिला कैदियों व जेल में बच्चों के साथ रहने वाले सजायाफ्ता कैदियों को भी 90 दिनों की पैरोल दी जाये.

हृद्य, एड्स व अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त सजायाफ्ता कैदियों को 90 दिन की पैरोल दी जाये. युगलपीठ ने इस संबंध में हाई पॉवर कमेटी को स्टेट लीगल सर्विस एथॉरिटी की चेयरमेन के साथ फिजिकल तथा वर्जुअल बैठक करने निर्णय लेने आदेश जारी किये हैं.

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कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक

युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि जेल में निरुद्ध कैदियों के आरटी-पीसीआर टेस्ट व वैक्सीनेशन के अलावा कोरोना पीड़ित कैदियों के उपचार के संबंध में आदेश जारी किये थे. पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि इसके बावजूद भी जेल में निरुद्ध कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक है. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र व संबंधित अधिवक्ताओं ने इस संबंध में सुझाव रखे थे.

युगलपीठ ने उक्त सुझाव हाई पाॅवर कमेटी के समक्ष पेश करने के निर्देश दिये थे. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान उक्त जानकारी पेश की गई। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये.

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