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बिजली विभाग की सौभाग्य योजना में हुआ घोटाला, जांच में ही कंपनी के खर्च हो गए करोड़ों रुपए

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Published : Sep 23, 2020, 11:51 PM IST

जबलपुर मंडल में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना या सौभाग्य योजना के घोटाले को उजागर करने में ही कंपनी के करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन अभी जांच पूरी नहीं हुई है.

Scam in investigation of scam
घोटाले की जांच में घोटाल

जबलपुर। प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना या सौभाग्य योजना के घोटाले को उजागर करने में ही कंपनी के करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन अभी जांच पूरी नहीं हुई है. पिछले 4 माह से ज्यादा समय से सौभाग्य योजना के घोटाले की जांच पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करवा रही है, इसमें जिले के बाहर के अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. इनके वेतन, वाहन और खाने-पीने पर भारी खर्च आ रहा है. हालांकि कंपनी प्रबंधन से अभी तक खर्च का खुलासा नहीं हो पाया है.

घोटाले की जांच में ही कंपनी के खर्च हो गए करोड़ों रुपए

अधिकारियों के सैलरी में लाखों खर्च

मंडला, डिंडौरी, सीधी और सिंगरौली जिले में जांच हुई मंडला,डिंडोरी के लिए जबलपुर मुख्यालय से टीम गई. वही सीधी, सिंगरौली केलिए रीवा संभाग और स्थानीय अधिकारियों को जोड़ा गया. एक सैकड़ा से ज्यादा लोग इस काम में जुटे हुए रहे. सूत्रों की माने तो एक लाख से ज्यादा का मासिक वेतन लेने वाले आधा सैकड़ा से ज्यादा अफसर शामिल हैं. करीब तीन-चार माह जांच करते हुए बीत गया है इसके अलावा कई दफा दौड़ रहे वाहन और खाने के अलावा जांच के दस्तावेजों पर भी लाखों रुपए खर्च आया है. जिले में जांच करने वाले अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि 3 माह तक 40 सदस्य टीम ने एक एक कनेक्शन चेक किया है इसमें लाखों रुपए का खर्च आया है.

जांच की हकीकत

मंडला जिले में घोटाले की जांच पूरी हो चुकी है. वही डिंडोरी की जांच बाकी है. बड़ी जांच के कारण कई चरण में रिपोर्ट दी जा रही है. कंपनी स्तर पर 18 इंजीनियरों को आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.सिंगरौली के 44 पीओ शेष हैं, इनकी जांच हफ्ते भर में पूरी हो जाएगी. वहीं सीधी जिले 3054 पीओ हैं जिस कारण जांच में अभी लंबा वक्त लगेगा.मंडला और डिंडौरी जिले में जांच के साथ ही आरोप पत्र भी जारी किए जा चुके हैं. जांच पर खर्च को लेकर कोई आंकड़ा साफ नहीं है.

एक-एक घर का कनेक्शन चेक कर रही है कंपनी

सौभाग्य योजना में दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के घर बिजली पहुंचाने की योजना में फर्जी कनेक्शन और अधोसंरचना की शिकायत हुई थी, जिसकी जांच दिसंबर 2018 में प्रारंभ हुई जिसके बाद मामले को लेकर विधानसभा में सरकार को जवाब देना पड़ा था. ऊर्जा मंत्री ने 1 माह में जांच पूरी करवाने का भरोसा दिया था. व्यवस्था तौर पर जांच बड़ी होने के कारण समय सीमा बड़ी जांच करने के लिए टीम बनानी पड़ी.

जबलपुर। प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना या सौभाग्य योजना के घोटाले को उजागर करने में ही कंपनी के करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन अभी जांच पूरी नहीं हुई है. पिछले 4 माह से ज्यादा समय से सौभाग्य योजना के घोटाले की जांच पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करवा रही है, इसमें जिले के बाहर के अधिकारियों को नियुक्त किया गया है. इनके वेतन, वाहन और खाने-पीने पर भारी खर्च आ रहा है. हालांकि कंपनी प्रबंधन से अभी तक खर्च का खुलासा नहीं हो पाया है.

घोटाले की जांच में ही कंपनी के खर्च हो गए करोड़ों रुपए

अधिकारियों के सैलरी में लाखों खर्च

मंडला, डिंडौरी, सीधी और सिंगरौली जिले में जांच हुई मंडला,डिंडोरी के लिए जबलपुर मुख्यालय से टीम गई. वही सीधी, सिंगरौली केलिए रीवा संभाग और स्थानीय अधिकारियों को जोड़ा गया. एक सैकड़ा से ज्यादा लोग इस काम में जुटे हुए रहे. सूत्रों की माने तो एक लाख से ज्यादा का मासिक वेतन लेने वाले आधा सैकड़ा से ज्यादा अफसर शामिल हैं. करीब तीन-चार माह जांच करते हुए बीत गया है इसके अलावा कई दफा दौड़ रहे वाहन और खाने के अलावा जांच के दस्तावेजों पर भी लाखों रुपए खर्च आया है. जिले में जांच करने वाले अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि 3 माह तक 40 सदस्य टीम ने एक एक कनेक्शन चेक किया है इसमें लाखों रुपए का खर्च आया है.

जांच की हकीकत

मंडला जिले में घोटाले की जांच पूरी हो चुकी है. वही डिंडोरी की जांच बाकी है. बड़ी जांच के कारण कई चरण में रिपोर्ट दी जा रही है. कंपनी स्तर पर 18 इंजीनियरों को आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.सिंगरौली के 44 पीओ शेष हैं, इनकी जांच हफ्ते भर में पूरी हो जाएगी. वहीं सीधी जिले 3054 पीओ हैं जिस कारण जांच में अभी लंबा वक्त लगेगा.मंडला और डिंडौरी जिले में जांच के साथ ही आरोप पत्र भी जारी किए जा चुके हैं. जांच पर खर्च को लेकर कोई आंकड़ा साफ नहीं है.

एक-एक घर का कनेक्शन चेक कर रही है कंपनी

सौभाग्य योजना में दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के घर बिजली पहुंचाने की योजना में फर्जी कनेक्शन और अधोसंरचना की शिकायत हुई थी, जिसकी जांच दिसंबर 2018 में प्रारंभ हुई जिसके बाद मामले को लेकर विधानसभा में सरकार को जवाब देना पड़ा था. ऊर्जा मंत्री ने 1 माह में जांच पूरी करवाने का भरोसा दिया था. व्यवस्था तौर पर जांच बड़ी होने के कारण समय सीमा बड़ी जांच करने के लिए टीम बनानी पड़ी.

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