जबलपुर। प्रदेश में सोमवार को सभी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इस कड़ी में जबलपुर मेडिकल कॉलेज में डेढ़ सौ जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. इन लोगों का कहना है कि 6 मई को उन्होंने राज्य सरकार को इस बात के लिए आगाह करवाया था और राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने यह भरोसा दिलाया था कि जूनियर डॉक्टर्स को मिलने वाला मानदेय में 18 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन महीना पूरा बीत गया है और अब तक सरकार की ओर से इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है.
बीमार जनता को उठानी पड़ेगी मुसीबत
सरकार की इस लापरवाही का खामियाजा अब जबलपुर की और जबलपुर के आसपास के कई संभागों की बीमार जनता को उठाना पड़ रहा है. दरअसल जबलपुर मेडिकल कॉलेज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में जबलपुर के आसपास के कई संभागों के लोग इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. बेशक यहां बहुत अच्छा इलाज मिलता है, लेकिन इस इलाज की मुख्य वजह जूनियर डॉक्टर हैं और यदि जूनियर डॉक्टर काम पर नहीं आएंगे तो मेडिकल कॉलेज अस्पताल का काम लगभग ठप हो जाता है. सीनियर डॉक्टर्स केवल ओपीडी देखते हैं, जूनियर डॉक्टर्स के भरोसे अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करवा रहे मरीजों को इलाज मिलता है और यदि डेढ़ सौ डॉक्टर अस्पताल में नहीं हैं तो इन वार्ड की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है.
Doctors Strike : हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर तो सीनियर्स ने संभाला मोर्चा
दमोह से इलाज करवाने आए एक मरीज का कहना है कि उसे आए 3 घंटे हो गए हैं, लेकिन अब तक उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती नहीं किया जा सका है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन हड़ताल की वजह से अस्पताल की व्यवस्था बिगड़ जाने की बात स्वीकार नहीं करता है, लेकिन यहां मरीजों को भर्ती करना बंद कर देता है और भर्ती मरीजों की जल्दी छुट्टी करने लगता है इसकी वजह से लाचार मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है.
कोविड मरीजों का इलाज है जारी
फिलहाल जूनियर डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने केवल आकस्मिक चिकित्सा और वार्ड के भीतर ड्यूटी करने से मना किया है, अभी तक कोविड-19 मरीजों और पोस्ट कोविड मरीजों का इलाज जारी है, लेकिन यदि सरकार जल्द ही कोई फैसला नहीं लेती तो इन मरीजों का इलाज भी बंद कर दिया जाएगा और इसका खामियाजा जनता को उठाना पड़ेगा, इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.