जबलपुर। बहुत सी ऐसी माताएं होती हैं, जो बच्चे को डिलेवरी के बाद उसे ठीक तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पातीं है. इसकी वजह से बच्चों को वो पोषक तत्व नहीं मिल पाता, जो उसे मिलना चाहिए. ऐसे में कई बार बच्चे कमजोर हो जाते हैं. इसी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने मध्यप्रदेश के जबलपुर में मिल्क बैंक स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन सरकारी व्यस्तता की वजह से ये योजना अधर में अटक गई. नवजात बच्चों को "मिल्क बैंक" के मिल्क के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा.
अस्पताल की 6 नर्सों को विशेष प्रशिक्षण: जबलपुर संभाग में महिलाओं के सबसे बड़े रानी दुर्गावती चिकित्सालय में मदर मिल्क बैंक तैयार होने वाला था. इसके संचालन से पहले ही ये कार्य अधर में अटक गया है. ये जिले का पहला मदर मिल्क बैंक होगा. एनएचएम और यूनिसेफ की मदद से इसे स्थापित किया जा रहा है. 8 लाख रुपए का फंड भी स्वीकृत हो चुका है. इसके लिए दो कमरे की जरूरत पड़ेगी. अस्पताल की 6 नर्सों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. मदर मिल्क बैंक तैयार होने से नवजातों को डिब्बा बंद दूध की जगह मां का हेल्दी दूध मिल पाएगा.
![mother milk bank](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-04-mother-milk-bank-suneel-network-story-7202638_28052022194402_2805f_1653747242_886.jpg)
जाने क्यों खास है नवजातों के लिए 'मदर मिल्क बैंक': कुछ महीने पहले नेशनल हेल्थ मिशन की टीम ने रानी दुर्गावती अस्पताल का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान ये तय किया गया कि जल्द ही लेडी एल्गिन अस्पताल में मदर मिल्क बैंक बनेगा. ये मिल्क बैंक उन मां के बच्चों के लिए अमृत साबित होगा, जिन्हें दूध नहीं हो पाता है. इस मिल्क बैंक में वो मां अपना दूध दान भी कर सकती हैं, जिनको अधिक दूध निकलता है. मिल्क बैंक में दूध को प्रिजर्व करके रखा जाएगा और इस योजना का लाभ सभी लोग ले सकते हैं.
![jabalpur state first mother milk bank](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-04-mother-milk-bank-suneel-network-story-7202638_28052022194402_2805f_1653747242_938.jpg)
कोरोना काल में 'सुरक्षित मातृत्व आश्वासन' पर खरा उतर रहा यह अस्पताल
स्वास्थ्य विभाग के पास अभी कई बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिस पर वे काम कर रहे हैं. उनकी व्यस्तता की वजह से काम रुका हुआ है. मिल्क बैंक के लिए स्थान चिन्हित किया जा चुका है. वहीं मदर मिल्क बैंक के लिए हमारी पूरी तैयारी है. शासन की तरफ से तकरीबन 10 लाख रुपए का बजट भी मिल चुका है. हालांकि जब तक मदर मिल्क बैंक नहीं बन जाता तब तक लेडी एल्गिन अस्प्ताल में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. जब मिल्क बैंक बनकर तैयार हो जाएगा तो बड़ी तादाद में दूध रखा जा सकता है, जो नवजात शिशुओं के लिए लाभदायक होगा.
- डॉ.सजंय मिश्रा, ज्वॉइंट डायरेक्टर, स्वास्थ्य विभाग
जबलपुर के रानी दुर्गावती हॉस्पिटल संभाग का सबसे बड़ा अस्प्ताल है. यहां रोजना 50 से ज्यादा गर्भवती भर्ती होती हैं, और रोज 30 से ज्यादा डिलेवरी होती है. मदर मिल्क बैंक प्रोजेक्ट में मां के दूध को प्रिजर्व कर रखा जाएगा, और उसके बाद फिर जरूरतमंद नवजात शिशु को दिया जाएगा. कहा जा सकता है कि मिल्क बैंक का ये प्रोजेक्ट अगर सफल हो गया तो मां और बच्चों के लिए मील का पत्थर साबित होगा.- डॉ गीता गुप्ता, शिशु रोग विशेषज्ञ