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Jabalpur High Court: नर्मदा के 300 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण पर रिपोर्ट पेश, जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा?

जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने नर्मदा नदी पर हुए अवैध निर्माण की सुनवाई को दो सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दिया गया है. ये मामला 2008 से चल रहा है. (date of hearing extended on illegal construction in Narmada)

date of hearing extended on illegal construction in Narmada
नर्मदा में अवैध निर्माण पर सुनवाई की तारीख बढ़ी
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Published : Jul 26, 2022, 6:29 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में हुए अवैध निर्माण संबंधी मामले में सोमवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष शासन की तरफ से जवाब पेश किया गया. इसके बाद युगलपीठ ने पक्षकारों को केस से जुड़ी कॉपी प्रदान करने के निर्देश देते हुए सुनवाई दो सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दिया गया है.(Jabalpur High Court)

नर्मदा नदी पर अवैध निर्माण: दयोदय सेवा केंद्र द्वारा नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में अवैध रूप से निर्माण कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए नर्मदा मिशन की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. वहीं पूर्व मंत्री और भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे द्वारा डिण्डौरी में बिना अनुमति नर्मदा नदी के लगभग पचास मीटर के दायरे में बहुमंजिला मकान बनाये जाने को भी चुनौती दी गयी थी. इसके अलावा एक अवमानना याचिका सहित तीन अन्य संबंधित मामले को लेकर याचिकाएं दायर की गई थी. (date of hearing extended on illegal construction in Narmada)

2008 से चल रहा है मामला: मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि जबलपुर में साल 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीस सौ मीटर दायरे में तिलवाराघाट, ग्वारीघाट, जिलहेरीघाट, रामनगरा, गोपालपुर, दलपतपुर, भेड़ाघाट में कुल 75 अतिक्रमण पाये गये हैं. इसमें से 41 निजी भूमि, 31 शासकीय भूमि और 3 आबादी भूमि में पाए गए हैं. हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे हुए निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे.

HC का फैसला: नर्मदा के 300 मीटर के दायरे में हुए निर्माण कार्यों को हटाने के आदेश

अवैध निर्माण हटाने का पेश करें वीडियो: युगलपीठ ने अवैध निर्माण के हटाने की वीडियोग्राफी करने के आदेश जारी करते हुए कार्रवाई के लिए अधिवक्ता मनोज शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने न्यायालय को बताया कि व्यक्तिगत सर्वे कर तैयार की गई रिपोर्ट हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करा दी गई है. इसके बाद युगलपीठ ने सभी पक्षकारों को उसकी कॉपी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये थे. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सौरभ कुमार तिवारी पक्ष रख रहे हैं.

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में हुए अवैध निर्माण संबंधी मामले में सोमवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष शासन की तरफ से जवाब पेश किया गया. इसके बाद युगलपीठ ने पक्षकारों को केस से जुड़ी कॉपी प्रदान करने के निर्देश देते हुए सुनवाई दो सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दिया गया है.(Jabalpur High Court)

नर्मदा नदी पर अवैध निर्माण: दयोदय सेवा केंद्र द्वारा नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में अवैध रूप से निर्माण कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए नर्मदा मिशन की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. वहीं पूर्व मंत्री और भाजपा नेता ओमप्रकाश धुर्वे द्वारा डिण्डौरी में बिना अनुमति नर्मदा नदी के लगभग पचास मीटर के दायरे में बहुमंजिला मकान बनाये जाने को भी चुनौती दी गयी थी. इसके अलावा एक अवमानना याचिका सहित तीन अन्य संबंधित मामले को लेकर याचिकाएं दायर की गई थी. (date of hearing extended on illegal construction in Narmada)

2008 से चल रहा है मामला: मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान नगर निगम की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि जबलपुर में साल 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीस सौ मीटर दायरे में तिलवाराघाट, ग्वारीघाट, जिलहेरीघाट, रामनगरा, गोपालपुर, दलपतपुर, भेड़ाघाट में कुल 75 अतिक्रमण पाये गये हैं. इसमें से 41 निजी भूमि, 31 शासकीय भूमि और 3 आबादी भूमि में पाए गए हैं. हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे हुए निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे.

HC का फैसला: नर्मदा के 300 मीटर के दायरे में हुए निर्माण कार्यों को हटाने के आदेश

अवैध निर्माण हटाने का पेश करें वीडियो: युगलपीठ ने अवैध निर्माण के हटाने की वीडियोग्राफी करने के आदेश जारी करते हुए कार्रवाई के लिए अधिवक्ता मनोज शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने न्यायालय को बताया कि व्यक्तिगत सर्वे कर तैयार की गई रिपोर्ट हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करा दी गई है. इसके बाद युगलपीठ ने सभी पक्षकारों को उसकी कॉपी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये थे. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सौरभ कुमार तिवारी पक्ष रख रहे हैं.

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