जबलपुर। मध्य प्रदेश (MP) में ओबीसी वर्ग (OBC Category) को 27% आरक्षण (Reservation) देने के मामले पर लगी रोक बरकरार रहेगी. इस मामले में गुरूवार को अंतिम सुनवाई होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन कोर्ट ने अगली सुनवाई 7 अक्टूबर तक टाल दी है. इससे पहले 20 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान भी OBC आरक्षण को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे. अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी.
यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश
कोर्ट (Court) ने सरकार से रिजर्वेशन को लेकर फिलहाल आगे नहीं बढ़ने के लिए कहा है. ऐसे में अब 27% आरक्षण का नियम लागू करने पर रोक बरकरार रहेगी. जब तक कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता, इस पर सरकार को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने इससे पहले 20 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान भी ऐसे ही आदेश दिए थे.
अगर 27% आरक्षण की मंजूरी मिल जायेगी तो कितना हो जायेगा आरक्षण ?
मध्यप्रदेश में वर्तमान में ओबीसी वर्ग को 14% आरक्षण की मंजूरी है, और बाकी जातियों (SC/ST) को 36 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है. ऐसे में कुल 50 प्रतिशत आरक्षण लागू है. अब अगर हाईकोर्ट OBC को 27% आरक्षण देने का फैसला देती है तो राज्य में कुल आरक्षण 63% हो जायेगा.
कोर्ट में रखे गए ये पक्ष
कोर्ट में सुनवाई को दौरान सरकार की ओर से भी समर्थन में तर्क रखे गए. सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता के अभिमत की रोशनी में तर्क रखे गए. याचिकाकर्ता यूथ फार इक्वेलिटी की ओर से अधिवक्ता सुयश ठाकुर ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दो सितंबर, 2021 को ओबीसी आरक्षण के सबंध में जारी नया आदेश चुनौती के योग्य है. उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि आरक्षण मामला कोर्ट में लंबित होने के बावजूद मनमाने तरीके से जारी किया गया है.
MP में 50 फीसदी ओबीसी आबादी
मध्य प्रदेश की कुल आबादी में से 50 फीसदी से अधिक हैं ओबीसी. आरक्षण का मामला कोर्ट में है और दोनों ही पार्टियां इसका क्रेडिट लेने की कोशिश कर रही है. हालांकि बीजेपी इस मामले में कांग्रेस से आगे निकलती दिखाई दे रही है यही वजह है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के बीच खींचतान की स्थिति बनी हुई है.ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 14 से 27 फ़ीसदी करने का फैसला भले ही कांग्रेस सरकार में हुआ हो, लेकिन इससे पहले कि यह लागू हो पाता इसे हाई कोर्ट में चुनौती दे दी गई. अब इस मामले में जल्द ही फैसला आने की उम्मीद है.प्रदेश की बीजेपी सरकार भी इस मामले में कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखने की तैयारी कर चुकी है. ऐसे में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ अगर बीजेपी की सरकार में मिलता है तो सरकार को भी प्रदेश में होने वाले उपचुनाव, 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इसका लाभ मिलने की पूरी उम्मीद है.
OBC के जरिए बीजेपी की लोकसभा की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल के मुताबिक बीजेपी ओबीसी के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव तैयारी कर रही है. इसके लिए वो अभी से पिछड़े वर्ग की राजनीति को केंद्र में रख रही है. यही वजह है कि आरक्षण पर संविधान संशोधन से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में ओबीसी नेताओं को ज्यादा जगह दी गई. मध्यप्रदेश में बीजेपी का चेहरा सीएम शिवराज सिंह चौहान हैं वे पिछड़े वर्ग से आते हैं. यही वजह है कि राज्य और केंद्र में भी पार्टी ओबीसी आरक्षण को लेकर गंभीर हैं.
खुल रही है कांग्रेस की नींद
बीजेपी की बढ़त को देखते हुए कांग्रेस की भीतर भी ओबीसी नेताओं को ज्यादा जिम्मेदारी दिए जाने की योजना बनाई जा रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय यादव कहते हैं कि संगठन में ओबीसी को मिलेगी और जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव कहते हैं कि कमलनाथ सरकार ने ही मध्य प्रदेश में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण लागू किया था. आने वाले समय में कांग्रेस संगठन में भी ओबीसी के नेताओं को और अधिक जिम्मेदारी दी जाएगी. यादव कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से पिछड़ा वर्ग के हितों के लिए काम किया है. वे बताते हैं कि कांग्रेस सरकार में 8 मंत्री ओबीसी वर्ग से थे, पार्टी के बड़े ओबीसी नेताओं में सुभाष यादव उप मुख्यमंत्री और उनके पुत्र अरुण यादव पीसीसी चीफ रह चुके हैं. इसलिए यह कहना है कि कांग्रेस ने कभी पिछड़ा वर्ग की राजनीति नहीं की है.
पन्ना में जमीन लीज पर देने के मामले में भी हुई सुनवाई
पन्ना के अमानगंज में सेना के हक की जमीन सीमेंट फैक्ट्री को लीज पर देने के मामले में लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में हाईकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार से संबंधित अधिकारियों और पन्ना कलेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दर्शल महाराज मार्तंड सिंह ने सन 1949 को भारत सरकार के जरिए पन्ना और उसके आसपास के करीब 20 गांव की जमीन भारतीय सेना को दान कर दी थी, इसके सबूत यह भी है कि आज भी पन्ना का पुलिस अधीक्षक कार्यालय, जिला शिक्षा कार्यालय सहित कई सरकारी बिल्डिंग रक्षा मंत्रालय को उसका वार्षिक कराया चुका रही है.