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प्रोफेसर्स की भर्तियों पर HC की रोक, कहा- एक पद पर नहीं दिया जा सकता आरक्षण का लाभ - विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया

जीवाजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर्स की भर्ती प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है, कोर्ट का कहना है कि एक पद के लिए आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

HC ban on recruitment of professors
प्रोफेसर्स की भर्तियों पर HC की रोक
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Published : Jul 9, 2021, 7:22 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय में निकाली गई प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है, हाई कोर्ट का कहना है कि विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया को फिलहाल आंशिक रूप से निरस्त किया गया है.

HC ban on recruitment of professors
प्रोफेसर्स की भर्तियों पर HC की रोक

इन पदों पर निकली थी भर्तियां

4 फरवरी 2021 को जीवाजी विश्वविद्यालय में अपने यहां कुछ प्रोफेसर्स की भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की थी, इसमें अलग-अलग विभागों के प्रोफेसर पद के लिए 14 एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए 22 और असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए 29 आवेदन मांगे गए थे.

आरक्षण के खिलाफ HC में लगाई गई थी याचिका

इस विज्ञापन को आरक्षण के नियमों का हवाला देते हुए राजेश तोमर सत्येंद्र सिकरवार और प्रदुमन जैन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, उनका कहना था कि जिन विभागों में सिर्फ एक ही पोस्ट है, वहां आरक्षण की प्रक्रिया लागू नहीं की जा सकती, अन्यथा 100 फीसदी आरक्षण हो जाएगा,

क्या है आरक्षण का नियम ?

नियम के मुताबिक 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होना चाहिए, इसलिए एक पद वाले नियुक्ति को आरक्षण से मुक्त रखा जाए, हालांकि जीवाजी विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया था कि विश्वविद्यालय को केंद्रीय अधिनियम के अंतर्गत स्थापित नहीं किया गया है.

प्रोफेसर भर्ती मामले की जांच अधुरी, डीजीपी को हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस

विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय भी घोषित नहीं किया है, इस कारण से जीवाजी विश्वविद्यालय को एक यूनिट मानकर आरक्षण का निर्धारित निर्धारण नहीं किया जा सकता, कोर्ट ने फिलहाल इस भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया है, जीव विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के पद भू-विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर राजनीति विज्ञान में एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए जारी विज्ञापन को निरस्त किया गया है.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय में निकाली गई प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है, हाई कोर्ट का कहना है कि विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया को फिलहाल आंशिक रूप से निरस्त किया गया है.

HC ban on recruitment of professors
प्रोफेसर्स की भर्तियों पर HC की रोक

इन पदों पर निकली थी भर्तियां

4 फरवरी 2021 को जीवाजी विश्वविद्यालय में अपने यहां कुछ प्रोफेसर्स की भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की थी, इसमें अलग-अलग विभागों के प्रोफेसर पद के लिए 14 एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए 22 और असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए 29 आवेदन मांगे गए थे.

आरक्षण के खिलाफ HC में लगाई गई थी याचिका

इस विज्ञापन को आरक्षण के नियमों का हवाला देते हुए राजेश तोमर सत्येंद्र सिकरवार और प्रदुमन जैन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, उनका कहना था कि जिन विभागों में सिर्फ एक ही पोस्ट है, वहां आरक्षण की प्रक्रिया लागू नहीं की जा सकती, अन्यथा 100 फीसदी आरक्षण हो जाएगा,

क्या है आरक्षण का नियम ?

नियम के मुताबिक 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं होना चाहिए, इसलिए एक पद वाले नियुक्ति को आरक्षण से मुक्त रखा जाए, हालांकि जीवाजी विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया था कि विश्वविद्यालय को केंद्रीय अधिनियम के अंतर्गत स्थापित नहीं किया गया है.

प्रोफेसर भर्ती मामले की जांच अधुरी, डीजीपी को हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस

विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय भी घोषित नहीं किया है, इस कारण से जीवाजी विश्वविद्यालय को एक यूनिट मानकर आरक्षण का निर्धारित निर्धारण नहीं किया जा सकता, कोर्ट ने फिलहाल इस भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया है, जीव विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के पद भू-विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर राजनीति विज्ञान में एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए जारी विज्ञापन को निरस्त किया गया है.

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