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सल्फास खाने के बाद भी आखिर कैसे बच गई युवक की जान, देखें यह बड़ी खबर - mp doctors saved man life ate sulfas

कोई जानलेवा सल्फास खा ले और उसका 3 दिन तक हार्ट काम न करे, फिर भी वह जीवित बच जाए सुनकर आपको आश्चर्य जरूर होगा. पर यह मुमकिन हुआ है जबलपुर में. चिकित्सकों ने ना सिर्फ युवक की जान बचाई है बल्कि यह साबित कर दिया है कि देश की बड़ी सिटी जैसा इलाज महाकौशल में भी सम्भव है. (jabalpur heart hospital) (jabalpur doctor acmo machine)

jabalpur hospital heart doctor acmo machine
जान बचाने के लिए लगाई एक्मो मशीन
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Published : Apr 14, 2022, 12:38 PM IST

Updated : Apr 14, 2022, 12:54 PM IST

जबलपुर। नरसिंहपुर के गाडरवारा में रहने वाले 20 साल के युवक ने जानलेवा सल्फास खा लिया. गम्भीर हालत में युवक को जबलपुर के बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल (Badaria Metro Prime Hospital Jabalpur) में भर्ती करया गया. युवक की हालत को देखकर बचना मुश्किल लग रहा था. लेकिन चिकित्सकों ने ना सिर्फ युवक की जान बचाई है बल्कि यह संदेश भी दिया कि मैट्रो शहरों की तरह जबलपुर में भी इलाज किया जा सकता है. युवक के शरीर में सल्फास का जहर फैल रहा था. अंदरूनी अंग धीरे-धीरे काम करना बन्द कर रहे थे. खून में ऑक्सीजन लेवल भी कम हो गया था. मरीज को ACMO मशीन लगाई गई. बचने की कोई आस नहीं दिख रही थी. मशीन लगाने पर मरीज का हार्ट 3 दिन तक सिर्फ 5 से 10% तक ही काम कर रहा था. आखिर में डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और 6 दिन के भीतर 45% तक हार्ट काम करने लगा.

जबलपुर के डॉक्टर्स का कमाल

क्या है एक्मो मशीन : एक्मो मशीन वेंटिलेटर से एडवांस स्तर की होती है. लंग्स के साथ-साथ हार्ट को भी सपोर्ट करती है. इसमें ऑक्सिनेशन प्रक्रिया होती है. बाहर से हार्ट को पंपिंग कर सपोर्ट करती है. ऑक्सीजन भी देती है. इसके जरिए फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है. इस मशीन की खासियत यह है कि, यह शरीर को उस वक्त ऑक्सीजन सप्लाई करती है. जब मरीज के फेफड़े काम नहीं करते.

सल्फास से हार्ट पूरी तरह हो जाता है डैमेज : मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र सिंह राजपूत के मुताबिक सल्फास कार्डिएक पॉइजन है. यह हार्ट को पूरी तरह डैमेज कर देता है. युवक को जब अस्पताल लाया गया था. उस दौरान उसका हार्ट पूरी तरह से डैमेज हो गया था. मरीज को जब इको लगाया गया तब 5 से 10% ही हार्ट काम कर रहा था. ऐसे में डॉक्टरों ने मरीज को एक्मो मशीन लगाने का निर्णय लिया.

Jabalpur doctors saved young man life
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जान बचाने के लिए लगाई एक्मो मशीन : कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर दिलीप तिवारी (Cardiologist Dr Dilip Tiwari) के मुताबिक एक्मो मशीन लगाने से पहले यह सोचा जा रहा था कि कैसे युवक की जान बचाई जाए. उस दौरान मरीज का हार्ट महज 5 से 10% ही काम कर रहा था. मरीज का जिंदा रहना मुश्किल हो गया था. डॉक्टरों ने जैसे ही एक्मो मशीन लगाई वह सरवाइव करने लगा. मशीन से हार्ट और लंग्स को बाईपास कर दिया गया. यह कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त शुद्ध ऑक्सीजन पंप कर रही थी. धीरे-धीरे मरीज का हार्ट काम करना शुरू कर दिया. 6 दिन में उसका हार्ट 45% तक काम करने लगा. शरीर के बाकी अंग भी काम करने लगे. मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर में है और दवा का सेवन कर रहा है.

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ऐसे लोगों को नहीं लगाई जा सकती एक्मो मशीन: मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र सिंह राजपूत के मुताबिक यह मशीन हार्ट बंद होने के समय जीवनदायिनी का काम करती है. स्मोकिंग करने से जिनका लंग्स खराब हो जाता है उन लोगों को मशीन नहीं लगाई जा सकती है.

जबलपुर। नरसिंहपुर के गाडरवारा में रहने वाले 20 साल के युवक ने जानलेवा सल्फास खा लिया. गम्भीर हालत में युवक को जबलपुर के बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल (Badaria Metro Prime Hospital Jabalpur) में भर्ती करया गया. युवक की हालत को देखकर बचना मुश्किल लग रहा था. लेकिन चिकित्सकों ने ना सिर्फ युवक की जान बचाई है बल्कि यह संदेश भी दिया कि मैट्रो शहरों की तरह जबलपुर में भी इलाज किया जा सकता है. युवक के शरीर में सल्फास का जहर फैल रहा था. अंदरूनी अंग धीरे-धीरे काम करना बन्द कर रहे थे. खून में ऑक्सीजन लेवल भी कम हो गया था. मरीज को ACMO मशीन लगाई गई. बचने की कोई आस नहीं दिख रही थी. मशीन लगाने पर मरीज का हार्ट 3 दिन तक सिर्फ 5 से 10% तक ही काम कर रहा था. आखिर में डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और 6 दिन के भीतर 45% तक हार्ट काम करने लगा.

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क्या है एक्मो मशीन : एक्मो मशीन वेंटिलेटर से एडवांस स्तर की होती है. लंग्स के साथ-साथ हार्ट को भी सपोर्ट करती है. इसमें ऑक्सिनेशन प्रक्रिया होती है. बाहर से हार्ट को पंपिंग कर सपोर्ट करती है. ऑक्सीजन भी देती है. इसके जरिए फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है. इस मशीन की खासियत यह है कि, यह शरीर को उस वक्त ऑक्सीजन सप्लाई करती है. जब मरीज के फेफड़े काम नहीं करते.

सल्फास से हार्ट पूरी तरह हो जाता है डैमेज : मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर शैलेंद्र सिंह राजपूत के मुताबिक सल्फास कार्डिएक पॉइजन है. यह हार्ट को पूरी तरह डैमेज कर देता है. युवक को जब अस्पताल लाया गया था. उस दौरान उसका हार्ट पूरी तरह से डैमेज हो गया था. मरीज को जब इको लगाया गया तब 5 से 10% ही हार्ट काम कर रहा था. ऐसे में डॉक्टरों ने मरीज को एक्मो मशीन लगाने का निर्णय लिया.

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जान बचाने के लिए लगाई एक्मो मशीन : कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर दिलीप तिवारी (Cardiologist Dr Dilip Tiwari) के मुताबिक एक्मो मशीन लगाने से पहले यह सोचा जा रहा था कि कैसे युवक की जान बचाई जाए. उस दौरान मरीज का हार्ट महज 5 से 10% ही काम कर रहा था. मरीज का जिंदा रहना मुश्किल हो गया था. डॉक्टरों ने जैसे ही एक्मो मशीन लगाई वह सरवाइव करने लगा. मशीन से हार्ट और लंग्स को बाईपास कर दिया गया. यह कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त शुद्ध ऑक्सीजन पंप कर रही थी. धीरे-धीरे मरीज का हार्ट काम करना शुरू कर दिया. 6 दिन में उसका हार्ट 45% तक काम करने लगा. शरीर के बाकी अंग भी काम करने लगे. मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर में है और दवा का सेवन कर रहा है.

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Last Updated : Apr 14, 2022, 12:54 PM IST
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