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Jabalpur ATM robbery case: वारदात का खुलासा करने वाले शूरवीरों का हुआ सम्मान, नौसिखिए अपराधियों ने पुलिस को छकाया

जबलपुर में एटीएम लूट और हत्याकांड (Jabalpur ATM robbery case) मामले का खुलासा करने वाले 159 पुलिस जवानों का एसपी ने सम्मान किया. वारदात के 12 दिन बाद पुलिस के हाथ आरोपियों के गिरेबान तक पहुंचे.

Police personnel honored in jabalpur
जबलपुर पुलिस का सम्मान
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Published : Mar 3, 2022, 2:34 PM IST

जबलपुर। बीते 11 फरवरी को गोराबाजार थाना के बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एटीएम में हुई लूट और हत्या मामले का खुलासा करने वाले 159 पुलिस जवानों का एसपी ने सम्मान किया. इस सनसनीखेज वारदात में शामिल दो अपराधियों ने 12 दिनों तक पुलिस को छकाया. हत्याकाड और लूट मामले में पुलिस को सफलता जरूर मिली है लेकिन कई खामियों को भी उजागर किया. हालांकि पुलिस ने जनता के बीच भरोसा भी जगाया है कि टीम के रूप में आगे भी इसी तरह काम करते हुए अन्य अनसुलझे केसों के खुलासे किये जाएंगे.

क्या था मामला
11 फरवरी की दोपहर में गोरा बाजार थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एटीएम में कैश जमा करने गई टीम के साथ फायरिंग कर लूटपाट हुई थी. आरोपी कैश से भरी पेटी लेकर फरार हो गए थे, जिसमें 33 लाख रूपए रखे थे. घटना में सुरक्षा गार्ड राम बहादुर की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दो कैशियर राजबहादुर सिंह और श्रेयांश ताम्रकार घायल हो गये थे. इनमें एक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. पिछले 20 सालों में आरोपियों के दुस्साहस की यह सबसे बड़ी घटना थी.

थाना पुलिस फिसड्डी, IG-DIG ने संभाला मोर्चा

इस घटना ने जबलपुर को दहलाकर रख दिया था. इस मामले में जहां बैंकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है तो वही जबलपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी कई तरह के सवाल उठने लगे. घटना के शुरुआती 24 घंटे तक पुलिस सुस्त बनी रही, अधिकतर समय घटनाक्रम को लेकर जबलपुर पुलिस सीसीटीवी और साइबर टीम पर ही निर्भर रही. घटना के वक्त एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा अवकाश पर थे, हालांकि सूचना मिलते ही वह छुट्टी रद्द कर दूसरे दिन लौट आए. उनकी गैर मौजूदगी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश जोगा और डीआईजी आर.आर सिंह परिहार ने मोर्चा संभाला. 24 घंटे में ही बदमाशों पर 30 हजार का इनाम घोषित हो गया. पुलिस के पास सुराग के तौर पर बदमाशों का सीसीटीवी फुटेज ही था पर वह भी नाकाफी. क्योंकि फरार आरोपियों की कोई लोकेशन नही थी, हत्यारों के फरार होने के बाद घेराबंदी भी कराई गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ,

12 दिन बाद यूपी से पकड़े गए हत्यारे

इनाम घोषित करने के बाद भी पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पा रही थी. आरोपियों को पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती बन गया था. 23 फरवरी को पुलिस ने मामले का खुलासा किया. गंगापुर रोहनिया, वाराणसी निवासी सगे भाई मनोज कुमार पाल और उसके छोटे भाई सुनील पाल ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. दोनों को आर्मीमैन चाचा ने गोद लेकर जबलपुर में पढ़ाया-लिखाया था, रिटायरमेंट के बाद चाचा ने दूसरी शादी कर ली और दोनों को बेघर कर दिया. जिसके बाद वे गुजरात गए और जल्द अमीर बनने के लिए सोशल मीडिया पर अपलोड वीडियो देखकर एटीएम कैश वाहन लूटने का प्लान तैयार किया था. दोनों ने ढाई महीने से रेकी की और उसके बाद वारदात को अंजाम देने में सफल हुए थे.

आरोपियों की तलाशी में जुटे 150 से ज्यादा पुलिस अधिकारी-कर्मचारी

आरोपियों को पकड़ने के लिए आईजी, डीआईजी व एसपी के अलावा एक ट्रेनी आईपीएस, 3 एएसपी, 11 सीएसपी-डीएसपी, 13 टीआई, 9 एसआई, 25 एएसआई, 28 प्रधान आरक्षक और 68 आरक्षक को 12 लगाया गया. दोनों आरोपी कैंट क्षेत्र में महावीर कंपाउंड में रहने वाले जेल अधिकारी के घर कमरा लेकर रुके थे. पर उन्होंने दोनों का सत्यापन नहीं कराया था. आईजी का अनुभव और उनकी साइबर टीम के साथ पूरा अमला लगा, पुलिस की 15 से ज्यादा टीम बनी, वारदात स्थल को केंद्र बिंदु बनाकर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और सायबर सेल की मदद से एक्टिव मोबाइल को खंगालना शुरू किया तो आरोपियों की चूक पकड़ में आ गई. चोरी की बाइक का नंबर बदल कर शहर में घूमना और वाहन की लगातार रेकी ने पुलिस को उन तक पहुंचा दिया.

भोपाल में हाई प्रोफाइल रेव पार्टी, नशे की हालात में मिले 50 से ज्यादा स्टूडेंट, पुलिस ने लिया एक्शन

अपराधी नौसिखिया निकले
वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी बाईपास गए, वहां झाड़ियों में पेटी छुपाई. एक अपार्टमेंट में बाइक खड़ी की और ऑटो से रूम पर आ गए, सैलून में बाल कटवा कर हुलिया चेंज किया. अगले दिन ऑटो से जाकर बाइक उठाई फिर कैश पेटी लेकर कमरे पर पहुंचे और पैसे व सामान समेटकर बाइक से ही अपने पैतृक घर यूपी भाग गए. दोनों भाईयों ने 2018 में ओमती में एक बाइक चुराई थी, इसके अलावा उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला. जिसका मतलब यह समझा जा सकता है कि दोनों ही भी नौसिखिए थे. वारदात को अंजाम देने के बाद 24 घंटे तक दोनों शहर में ही रहे. वहीं पुलिस नाकाबंदी में जुटी रही, अगले दिन दोनों बाइक से निकले और पुलिस की घेराबंदी को धता बता उत्तरप्रदेश भाग गए.

आईजी ने वाराणसी आईजी की ली मदद
आरोपियों के खिलाफ जबलपुर पुलिस को कुछ सबू​त मिले. जिसके बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश जोगा ने अपने बैचमेट एसओजी की मदद ली और दोनों आरोपियों को उनके घर से दबोच लिया. साथ में लूटी गई रकम के 32 लाख 98 हजार बरामद कर लिये. उनकी निशानदेही पर बाइक, पिस्टल, पेटी आदि भी जब्त कर ली गई. आईजी उमेश जोगा के अनुसार, इस वारदात को सनसनीखेज मामले में चिन्हित किया गया है, इसकी अधिकारियों मॉनीटरिंग में विवेचना की जाएगी. साथ ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल की कोशिश की जाएगी ताकि आरोपी भाईयों को सख्त सजा दिलाई जा सके.

(ATM Cash Van Loot in Jabalpur) (Police personnel honored in jabalpur)

जबलपुर। बीते 11 फरवरी को गोराबाजार थाना के बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एटीएम में हुई लूट और हत्या मामले का खुलासा करने वाले 159 पुलिस जवानों का एसपी ने सम्मान किया. इस सनसनीखेज वारदात में शामिल दो अपराधियों ने 12 दिनों तक पुलिस को छकाया. हत्याकाड और लूट मामले में पुलिस को सफलता जरूर मिली है लेकिन कई खामियों को भी उजागर किया. हालांकि पुलिस ने जनता के बीच भरोसा भी जगाया है कि टीम के रूप में आगे भी इसी तरह काम करते हुए अन्य अनसुलझे केसों के खुलासे किये जाएंगे.

क्या था मामला
11 फरवरी की दोपहर में गोरा बाजार थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एटीएम में कैश जमा करने गई टीम के साथ फायरिंग कर लूटपाट हुई थी. आरोपी कैश से भरी पेटी लेकर फरार हो गए थे, जिसमें 33 लाख रूपए रखे थे. घटना में सुरक्षा गार्ड राम बहादुर की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दो कैशियर राजबहादुर सिंह और श्रेयांश ताम्रकार घायल हो गये थे. इनमें एक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. पिछले 20 सालों में आरोपियों के दुस्साहस की यह सबसे बड़ी घटना थी.

थाना पुलिस फिसड्डी, IG-DIG ने संभाला मोर्चा

इस घटना ने जबलपुर को दहलाकर रख दिया था. इस मामले में जहां बैंकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है तो वही जबलपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी कई तरह के सवाल उठने लगे. घटना के शुरुआती 24 घंटे तक पुलिस सुस्त बनी रही, अधिकतर समय घटनाक्रम को लेकर जबलपुर पुलिस सीसीटीवी और साइबर टीम पर ही निर्भर रही. घटना के वक्त एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा अवकाश पर थे, हालांकि सूचना मिलते ही वह छुट्टी रद्द कर दूसरे दिन लौट आए. उनकी गैर मौजूदगी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश जोगा और डीआईजी आर.आर सिंह परिहार ने मोर्चा संभाला. 24 घंटे में ही बदमाशों पर 30 हजार का इनाम घोषित हो गया. पुलिस के पास सुराग के तौर पर बदमाशों का सीसीटीवी फुटेज ही था पर वह भी नाकाफी. क्योंकि फरार आरोपियों की कोई लोकेशन नही थी, हत्यारों के फरार होने के बाद घेराबंदी भी कराई गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ,

12 दिन बाद यूपी से पकड़े गए हत्यारे

इनाम घोषित करने के बाद भी पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पा रही थी. आरोपियों को पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती बन गया था. 23 फरवरी को पुलिस ने मामले का खुलासा किया. गंगापुर रोहनिया, वाराणसी निवासी सगे भाई मनोज कुमार पाल और उसके छोटे भाई सुनील पाल ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. दोनों को आर्मीमैन चाचा ने गोद लेकर जबलपुर में पढ़ाया-लिखाया था, रिटायरमेंट के बाद चाचा ने दूसरी शादी कर ली और दोनों को बेघर कर दिया. जिसके बाद वे गुजरात गए और जल्द अमीर बनने के लिए सोशल मीडिया पर अपलोड वीडियो देखकर एटीएम कैश वाहन लूटने का प्लान तैयार किया था. दोनों ने ढाई महीने से रेकी की और उसके बाद वारदात को अंजाम देने में सफल हुए थे.

आरोपियों की तलाशी में जुटे 150 से ज्यादा पुलिस अधिकारी-कर्मचारी

आरोपियों को पकड़ने के लिए आईजी, डीआईजी व एसपी के अलावा एक ट्रेनी आईपीएस, 3 एएसपी, 11 सीएसपी-डीएसपी, 13 टीआई, 9 एसआई, 25 एएसआई, 28 प्रधान आरक्षक और 68 आरक्षक को 12 लगाया गया. दोनों आरोपी कैंट क्षेत्र में महावीर कंपाउंड में रहने वाले जेल अधिकारी के घर कमरा लेकर रुके थे. पर उन्होंने दोनों का सत्यापन नहीं कराया था. आईजी का अनुभव और उनकी साइबर टीम के साथ पूरा अमला लगा, पुलिस की 15 से ज्यादा टीम बनी, वारदात स्थल को केंद्र बिंदु बनाकर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और सायबर सेल की मदद से एक्टिव मोबाइल को खंगालना शुरू किया तो आरोपियों की चूक पकड़ में आ गई. चोरी की बाइक का नंबर बदल कर शहर में घूमना और वाहन की लगातार रेकी ने पुलिस को उन तक पहुंचा दिया.

भोपाल में हाई प्रोफाइल रेव पार्टी, नशे की हालात में मिले 50 से ज्यादा स्टूडेंट, पुलिस ने लिया एक्शन

अपराधी नौसिखिया निकले
वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी बाईपास गए, वहां झाड़ियों में पेटी छुपाई. एक अपार्टमेंट में बाइक खड़ी की और ऑटो से रूम पर आ गए, सैलून में बाल कटवा कर हुलिया चेंज किया. अगले दिन ऑटो से जाकर बाइक उठाई फिर कैश पेटी लेकर कमरे पर पहुंचे और पैसे व सामान समेटकर बाइक से ही अपने पैतृक घर यूपी भाग गए. दोनों भाईयों ने 2018 में ओमती में एक बाइक चुराई थी, इसके अलावा उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला. जिसका मतलब यह समझा जा सकता है कि दोनों ही भी नौसिखिए थे. वारदात को अंजाम देने के बाद 24 घंटे तक दोनों शहर में ही रहे. वहीं पुलिस नाकाबंदी में जुटी रही, अगले दिन दोनों बाइक से निकले और पुलिस की घेराबंदी को धता बता उत्तरप्रदेश भाग गए.

आईजी ने वाराणसी आईजी की ली मदद
आरोपियों के खिलाफ जबलपुर पुलिस को कुछ सबू​त मिले. जिसके बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उमेश जोगा ने अपने बैचमेट एसओजी की मदद ली और दोनों आरोपियों को उनके घर से दबोच लिया. साथ में लूटी गई रकम के 32 लाख 98 हजार बरामद कर लिये. उनकी निशानदेही पर बाइक, पिस्टल, पेटी आदि भी जब्त कर ली गई. आईजी उमेश जोगा के अनुसार, इस वारदात को सनसनीखेज मामले में चिन्हित किया गया है, इसकी अधिकारियों मॉनीटरिंग में विवेचना की जाएगी. साथ ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल की कोशिश की जाएगी ताकि आरोपी भाईयों को सख्त सजा दिलाई जा सके.

(ATM Cash Van Loot in Jabalpur) (Police personnel honored in jabalpur)

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