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पर्यावरण की रक्षा के लिए की अनोखी पहल, देखें वीडियो - जबलपुर

जबलपुर के पनागर में रहने वाले एक परिवार ने एक पेड़ के चारों तरफ अपने घर का निर्माण किया है. ताकि पेड़ को न काटना पड़े परिवार की इस पहल की तारीफ हर तरफ हो रही है.

पेड़ के बीचो-बीच बनाया घर
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Published : Jun 7, 2019, 10:53 PM IST

जबलपुर। जिले के पनागर नगर में एक परिवार ने पेड़ों को बचाए जाने के लिए अनोखी उदाहरण पेश किया है. यहा रहने वाले परिवार ने उनके घर के बीचों- बीच लगे एक पेड़ को बचाने के लिए घर का निर्माण पेड़ के इर्द-गिर्द कराया है, ताकि पेड़ को काटना न पड़े. घर के बीचों-बीच लगा पीपल पेड़ इतना बड़ा है कि उसकी शाखाएं पूरे घर के छत पर फैली रहती हैं.

पर्यावरण की रक्षा के लिए की अनोखी पहल

केशरवानी परिवार के बताया कि यह पेड़ वर्षो पुराना है, जो धीरे-धीरे बढ़कर एक विशाल वृक्ष बन चुका है. लेकिन जब घर बनना शुरु हुआ तो उन्होंने इस पेड़ न काटने का फैसला लेते हुए एक अच्छा उदाहरण पेश किया. केशरवानी परिवार के लोगों का कहना है कि पेड़ भी हमारे बढ़े-बूढ़ों की तरह हमारे बुजुर्ग है. इसलिए इसे बचाए रखने का फैसला लिया गया है.

इस परिवार की तीसरी पीढ़ी आ गई है और यहां के लोग गर्व से कहते है कि उन्होंने पीपल के इस वृक्ष को बचाने के लिए अपने घर का नक्शा ही बदल दिया. इस प्रयोग को देखने के लिए न सिर्फ आसपास के लोग, बल्कि इस सड़क से गुजरने वाले कई विदेशी पर्यटक भी रुक जाते हैं. क्योंकि पेड़ इतना बड़ा है कि उसकी टहनियां पूरे छत पर फैली रहती हैं. जिसे देखकर लोग इस उलझन में पड़ जाते है कि इतना बड़ा मकान एक पेड़ के ईर्द-गिर्द कैसे बना हुआ है. केशरवानी परिवार के इस प्रयोग से पेड़ों की बचाए रखने का एक अच्छा संदेश जाता है.

जबलपुर। जिले के पनागर नगर में एक परिवार ने पेड़ों को बचाए जाने के लिए अनोखी उदाहरण पेश किया है. यहा रहने वाले परिवार ने उनके घर के बीचों- बीच लगे एक पेड़ को बचाने के लिए घर का निर्माण पेड़ के इर्द-गिर्द कराया है, ताकि पेड़ को काटना न पड़े. घर के बीचों-बीच लगा पीपल पेड़ इतना बड़ा है कि उसकी शाखाएं पूरे घर के छत पर फैली रहती हैं.

पर्यावरण की रक्षा के लिए की अनोखी पहल

केशरवानी परिवार के बताया कि यह पेड़ वर्षो पुराना है, जो धीरे-धीरे बढ़कर एक विशाल वृक्ष बन चुका है. लेकिन जब घर बनना शुरु हुआ तो उन्होंने इस पेड़ न काटने का फैसला लेते हुए एक अच्छा उदाहरण पेश किया. केशरवानी परिवार के लोगों का कहना है कि पेड़ भी हमारे बढ़े-बूढ़ों की तरह हमारे बुजुर्ग है. इसलिए इसे बचाए रखने का फैसला लिया गया है.

इस परिवार की तीसरी पीढ़ी आ गई है और यहां के लोग गर्व से कहते है कि उन्होंने पीपल के इस वृक्ष को बचाने के लिए अपने घर का नक्शा ही बदल दिया. इस प्रयोग को देखने के लिए न सिर्फ आसपास के लोग, बल्कि इस सड़क से गुजरने वाले कई विदेशी पर्यटक भी रुक जाते हैं. क्योंकि पेड़ इतना बड़ा है कि उसकी टहनियां पूरे छत पर फैली रहती हैं. जिसे देखकर लोग इस उलझन में पड़ जाते है कि इतना बड़ा मकान एक पेड़ के ईर्द-गिर्द कैसे बना हुआ है. केशरवानी परिवार के इस प्रयोग से पेड़ों की बचाए रखने का एक अच्छा संदेश जाता है.

Intro:पेड़ों के संरक्षण का अद्भुत नमूना जबलपुर के पनागर का पीपल के पेड़ वाला मकान पेड़ को काटे बिना पेड़ के साथ-साथ बनाया चार मंजिला मकान


Body:जबलपुर विकास के पैरोकार हमेशा एक दोहाई देते नजर आते हैं विकास के लिए पर्यावरण से समझौता करना होगा और विकास के नाम पर बड़ी तादाद में पेड़ पौधे काट दिए गए लेकिन जबलपुर के पास एक कस्बाई इलाके पनागर के केसरवानी परिवार में एक ऐसा उदाहरण पेश किया जो अद्भुत है

जबलपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर पनागर नाम का कस्बा है इस कस्बे में मुख्य सड़क से गुजरते हुए जैसे ही आप की नजर एक इमारत पर जाती है जिस इमारत की दूसरी मंजिल से पीपल के वृक्ष की मोटी मोटी शाखाएं ऊपर की ओर उठ रही होती है तो सहसा देखने वाला रुक जाता है कि आखिर पीपल कितनी मोटी शाखाएं किसी इमारत के बीच से कैसे निकल सकती हैं पास में जाने पर पता लगता है दरअसल में 4 मंजिला इमारत का निर्माण इस पीपल के वृक्ष के इर्द-गिर्द किया गया है सैकड़ों साल पुराना पीपल का वृक्ष सड़क किनारे लगा रहा होगा धीरे धीरे वसाहट बड़ी केसरवानी परिवार के सदस्य बताते हैं घर बड़ा करने की जरूरत पड़ी तो और जो वृक्ष का आंगन में हुआ करता था उसे घर के भीतर लेना पड़ा यह निर्माण कार्य लगभग 30 साल पहले किया गया और इमारतें से बनाई गई कि जिस में पीपल के वृक्ष को ज़रा भी नुकसान ना पहुंचे पीपल का वृक्ष बढ़ता रहा और केसरवानी परिवार इस वृक्ष को अपने परिवार का बुजुर्ग मानते हुए इसकी छाया में फलता फूलता रहा अब तो इस परिवार की तीसरी पीढ़ी आ गई है और परिवार के लोग गर्व से कहते हैं उन्होंने वृक्ष को बचाने के लिए अपने घर का नक्शा ही बदल लिया केसरवानी परिवार के इस प्रयोग को देखने के लिए ना सिर्फ पर आसपास के लोग बल्कि इस सड़क से गुजरने वाले कई विदेशी पर्यटक दी जिनके गाइट्स को इस वृक्ष की जानकारी है वे यहां रुकते हैं फोटोग्राफ्स खींचते हैं और केसरवानी परिवार की सराहना करते हैं


Conclusion:दरअसल मनुष्य की एक आदत है कि वह प्रकृति के अनुसार नहीं जीता बल्कि प्रकृति को अपने अनुसार करने की कोशिश करता है इसी आदत के चलते हमने हमारी प्रकृति नष्ट कर ली हम सबको चाहिए कि सदियों तक जिंदा रहने वाले बड़े वृक्षों को अपने आसपास के इलाकों में लगाएं वरना वह दिन दूर नहीं जब कंक्रीट के जंगल को हमें छोड़कर भागना होगा क्योंकि ना यह साफ हवा होगी ना पानी होगा और गर्मी इतनी अधिक होगी कि आदमी इसमें जी नहीं सकेगा
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