जबलपुर। शहरी नगरीय निकाय क्षेत्र में शामिल गांव के कोटवारों को जमीन का मालिकाना हक नहीं दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण करने के आदेश जारी किये हैं.
जमीन के मालिकाना हक के लिए याचिका
याचिकाकर्ता कोटवार वेलफेयर सोसायटी संघ के अध्यक्ष लोचन प्रसाद चढार की (High Court News Update)तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था, कि साल 2007 में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि प्रात्रता के आधार पर कोटवारों को उनकी कोटवारी जमीन का मालिकाना हक दिया जायेगा. इसके बावजूद राजस्व सचिव ने साल 2017 में नगरीय शहरी क्षेत्र की शासकीय जमीन को नजूल भूमि घोषित करने के आदेश जारी कर दिये थे. जिसके खिलाफ लगभग दो सौ कोटवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. ये याचिकाएं लंबित हैं और हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किये हैं. इसके बावजूद भी बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने अगस्त 2021 में नगरीय शहरों की शासकीय जमीन का सीमांकन कर रिकॉर्ड में दर्ज करने के आदेश जारी किये हैं. युगलपीठ ने इस संबंध में याचिकाकर्ता को अभ्यावेदन पेश करने और सरकार को उसका निराकरण करने के निर्देश दिये हैं.
मैहर मंदिर पहाड़ में वाहनों को उपयोग के खिलाफ याचिका
प्रतिबंध के बावजूद भी मैहर मंदिर पहाड़ में वाहनों को उपयोग किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता विजय कुमार श्रीवास्तव की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था देवी प्रसाद पांडे अवैध रूप से मैहर मंदिर के पुजारी पद पर बैठ गया है. पुजारी बनने के बाद उसने मंदिर परिसर में अवैध कब्जे शुरू कर दिये. इसके अलावा श्रद्धालुओं से दान की राशि लेकर खुद रख लेते हैं. मैहर मंदिर पहाड़ में वाहनों का आवागमन पूर्णत प्रतिबंधित है. मैहर में जाने के लिए रोप-वे तथा सीढ़ियों का प्रयोग किया जाता है. इसके बावजूद भी कथित पुजारी और उनके परिजनों द्वारा मंदिर में पहुंचने के लिए वाहनों का प्रयोग किया जाता है.
हमीदिया अग्निकांड के दोषियों पर कार्रवाई की मांग
भोपाल के हमीदिया अस्पताल सहित प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत और उनके जख्मी होने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. याचिका में मांग की गयी है कि अग्नि हादसे के लिए दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाये. याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस शील नागू और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गयी है.