जबलपुर। मदन महल पहाड़ी से विस्थापित सैकड़ों परिवार मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं. नारकीय जीवन जी रहे लोगों को तिलरही के पास बसाया गया है, लेकिन उनकी जरूरतों को सरकार ने भुला दिया. जिसके चलते बच्चों की तालीम पर ब्रेक लग गया है, जबकि कुछ दिनों में परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं, ऐसे में उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी शहर के एक युवा ग्रुप ने उठाई है.
दरअसल, हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मदन महल पहाड़ी पर बसे सैकड़ों परिवारों को तिलरही के पास बसाया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया. जिसके बाद से उनका कोई पुरसाने हाल नहीं है. ऐसे में पढ़ने वाले बच्चों को परेशानियों को सामना करना पड़ा रहा है. जिसके बाद अब 'हम हैं न फॉउंडेशन' ग्रुप के नौजवानों ने इन बच्चों को तालीम देने का जिम्मा उठाया है.
अतिक्रमण का दंश झेल रहे सैकड़ों बच्चे आज पढ़ाई से अलग हो गए हैं. वजह है कि यहां स्कूल नहीं है. ऐसे में कई बच्चे वो हैं जिनकी परीक्षा का समय नजदीक है पर पढ़ नहीं पा रहे हैं. लिहाजा इस संस्था के लोग इन्हें तालीम देने के साथ ही कॉपी और किताब का भी इंतजाम कर रहे हैं.
कहने को तो ये युवाओं का एक ग्रुप है, लेकिन ये जो आज कर रहे हैं वो जिला प्रशासन और नगर निगम के मुंह पर तमाचा है. अपना साल बचाने के लिए ये बच्चे मोमबत्ती के सहारे बिना शिक्षक के पढ़ रहे हैं, जिनकी मदद के लिए दिन में युवाओं का ग्रुप मौजूद रहता है.
आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली मुस्कान ने बताया कि उसका घर अतिक्रमण में टूट गया है, जिसके बाद उन्हें यहां पर बसाया गया है, लेकिन न तो यहां पर स्कूल है और न ही रात में बिजली का इंतजाम है. मुस्कान जैसी सैकड़ों छात्र-छात्राएं हैं जोकि पढ़ाई के लिए मुश्किलों का सामना कर रही हैं.