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'आओ उड़ान भरते हैं, टूटे हुए हौसलों में जान फूंकते हैं' - एमपी न्यूज

हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मदन महल पहाड़ी पर बसे सैकड़ों परिवारों को तिलहरी के पास बसाया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया. लिहाजा 'हम हैं न फॉउंडेशन' ग्रुप के सदस्यों ने बच्चों का भविष्य मुकम्मल करने का जिम्मा उठाया है.

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Published : Feb 10, 2019, 1:44 PM IST

जबलपुर। मदन महल पहाड़ी से विस्थापित सैकड़ों परिवार मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं. नारकीय जीवन जी रहे लोगों को तिलरही के पास बसाया गया है, लेकिन उनकी जरूरतों को सरकार ने भुला दिया. जिसके चलते बच्चों की तालीम पर ब्रेक लग गया है, जबकि कुछ दिनों में परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं, ऐसे में उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी शहर के एक युवा ग्रुप ने उठाई है.

दरअसल, हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मदन महल पहाड़ी पर बसे सैकड़ों परिवारों को तिलरही के पास बसाया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया. जिसके बाद से उनका कोई पुरसाने हाल नहीं है. ऐसे में पढ़ने वाले बच्चों को परेशानियों को सामना करना पड़ा रहा है. जिसके बाद अब 'हम हैं न फॉउंडेशन' ग्रुप के नौजवानों ने इन बच्चों को तालीम देने का जिम्मा उठाया है.

स्टोरी पैकेज
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अतिक्रमण का दंश झेल रहे सैकड़ों बच्चे आज पढ़ाई से अलग हो गए हैं. वजह है कि यहां स्कूल नहीं है. ऐसे में कई बच्चे वो हैं जिनकी परीक्षा का समय नजदीक है पर पढ़ नहीं पा रहे हैं. लिहाजा इस संस्था के लोग इन्हें तालीम देने के साथ ही कॉपी और किताब का भी इंतजाम कर रहे हैं.

कहने को तो ये युवाओं का एक ग्रुप है, लेकिन ये जो आज कर रहे हैं वो जिला प्रशासन और नगर निगम के मुंह पर तमाचा है. अपना साल बचाने के लिए ये बच्चे मोमबत्ती के सहारे बिना शिक्षक के पढ़ रहे हैं, जिनकी मदद के लिए दिन में युवाओं का ग्रुप मौजूद रहता है.

आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली मुस्कान ने बताया कि उसका घर अतिक्रमण में टूट गया है, जिसके बाद उन्हें यहां पर बसाया गया है, लेकिन न तो यहां पर स्कूल है और न ही रात में बिजली का इंतजाम है. मुस्कान जैसी सैकड़ों छात्र-छात्राएं हैं जोकि पढ़ाई के लिए मुश्किलों का सामना कर रही हैं.

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जबलपुर। मदन महल पहाड़ी से विस्थापित सैकड़ों परिवार मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं. नारकीय जीवन जी रहे लोगों को तिलरही के पास बसाया गया है, लेकिन उनकी जरूरतों को सरकार ने भुला दिया. जिसके चलते बच्चों की तालीम पर ब्रेक लग गया है, जबकि कुछ दिनों में परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं, ऐसे में उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी शहर के एक युवा ग्रुप ने उठाई है.

दरअसल, हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मदन महल पहाड़ी पर बसे सैकड़ों परिवारों को तिलरही के पास बसाया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया. जिसके बाद से उनका कोई पुरसाने हाल नहीं है. ऐसे में पढ़ने वाले बच्चों को परेशानियों को सामना करना पड़ा रहा है. जिसके बाद अब 'हम हैं न फॉउंडेशन' ग्रुप के नौजवानों ने इन बच्चों को तालीम देने का जिम्मा उठाया है.

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अतिक्रमण का दंश झेल रहे सैकड़ों बच्चे आज पढ़ाई से अलग हो गए हैं. वजह है कि यहां स्कूल नहीं है. ऐसे में कई बच्चे वो हैं जिनकी परीक्षा का समय नजदीक है पर पढ़ नहीं पा रहे हैं. लिहाजा इस संस्था के लोग इन्हें तालीम देने के साथ ही कॉपी और किताब का भी इंतजाम कर रहे हैं.

कहने को तो ये युवाओं का एक ग्रुप है, लेकिन ये जो आज कर रहे हैं वो जिला प्रशासन और नगर निगम के मुंह पर तमाचा है. अपना साल बचाने के लिए ये बच्चे मोमबत्ती के सहारे बिना शिक्षक के पढ़ रहे हैं, जिनकी मदद के लिए दिन में युवाओं का ग्रुप मौजूद रहता है.

आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली मुस्कान ने बताया कि उसका घर अतिक्रमण में टूट गया है, जिसके बाद उन्हें यहां पर बसाया गया है, लेकिन न तो यहां पर स्कूल है और न ही रात में बिजली का इंतजाम है. मुस्कान जैसी सैकड़ों छात्र-छात्राएं हैं जोकि पढ़ाई के लिए मुश्किलों का सामना कर रही हैं.

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Intro:जबलपुर
"आओ उड़ान भरते हैं टूटे हुए हौसलों में जान पड़ते हैं"हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन और नगर निगम ने मदन महल पहाड़ी में बसे सेकड़ो परिवारों को तिलहरी के पास बसाया।पर उनकी मूल भूत सुविधा को लेकर छोड़ दिया उन्हें उनके ही सहारे।सबसे ज्यादा अगर इस कार्यवाही से प्रभावित कोई हुआ है तो वो बच्चे जो की शिक्षा से पूरी तरह से बेदखल हो गए है।ऐसे में उनका सहारा बना है शहर का एक युवा ग्रुप जो कि इन बच्चो की पढ़ाई का जिम्मा उठा रहा है।


Body:"हम हैं न फॉउंडेशन"जी हाँ इस ग्रुप के नोजवान और युवाओं ने वीणा उठाया है इन बच्चो को तालीम देने की।जिला प्रशासन ने मदन महल पहाड़ी में बसे सैकड़ों परिवारों को आनन फानन में यहाँ से हटाकर तिलहरी के पास बसा तो दिया पर हर सुविद्या से ये यहाँ आकर महरूम है।खाना इन्हें दिन में एक बार मिले चल जाएगा पर शिक्षा न मिले तो क्या होगा।अतिक्रमण का दंश झेल रहे सैकड़ो बच्चे आज आज पढ़ाई से अलग हो गए है वजह है कि यहाँ स्कूल नही है।ऐसे में कई बच्चे वो है जिनकी परीक्षा का समय नजदीक है पर वो पढ़ नही पा रहे है।"हम हैं न फॉउंडेशन"शहर के युवाओं का ग्रुप अब इन बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है जो कि न सिर्फ इन बच्चो को तालीम दे रहा है बल्कि इनके लिए किताब कॉपी की व्यवस्था भी कर रहा है।
बाईट.1-दीक्षा........सदस्य,हम हैं न फॉउंडेशन


Conclusion:"हम है न फॉउंडेशन"कहने को तो ये युवाओ का एक ग्रुप है पर ये जो आज कर रहे है वो जिला प्रशासन और नगर निगम के मुँह में एक तमाचा है।अपना साल बचाने के लिए ये बच्चे रात में मोमबत्ती के सहारे बिना शिक्षक के पढ रहे है।और दिन में मदद करता है युवाओ का ये ग्रुप।आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली मुस्कान बताती है कि उसका घर अतिक्रमण में टूट गया है जिसके बाद उन्हें यहां पर बसाया गया है पर ना तो यहां पर स्कूल है और ना ही रात को बिजली की व्यवस्था मजबूरी में मोमबत्ती की रोशनी में उसे पढ़ना पढ़ रहा है नतीजा अगले माह होने वाली परीक्षा में उसे सफलता मिलती है या नहीं यह तो समय ही जानता है मुस्कान जैसी यहां पर सैकड़ों छात्र-छात्राएं हैं जो की अपनी व्यवस्था कर पढ़ाई कर रही है।ऐसे में "हम हैं फॉउंडेशन"ग्रुप का साथ उनके लिए भगवान बनकर आया है।
बाईट.2-मुस्कान......पीड़ित छात्रा
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