जबलपुर। प्रदेश में हिंदू आस्था की प्रतीक मां नर्मदा में को लेकर की जा रही व्यवस्थाओं को लेकर लगातार सवाल उठते है. जनता के बीच भक्ति का माहौल बनाने के लिए राजनेता नर्मदा का नाम तो लेते हैं लेकिन व्यवस्था में किसी तरह का कोई सुधार नहीं दिखाई देता है. यही वजह है कि सरकार एक बार फिर सवालों के कटघरे में है. नर्मदा के किनारे 8 किलोमीटर का कॉरिडोर बनाने का ख्वाब जनता को दिखाया गया था. इसे नर्मदा समृद्वि कॉरिडोर नाम भी दिया गया था. पर्यटन को बढ़ाने और व्यावसायिक रूप से राजस्व अर्जित करने के लिए कॉरिडोर बनाना था, अब जेडीए ने इस ना बनाने का फैसला लिया है.
![Narmada Samridhi Corridor was to be built on the banks of the river](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-03-narmada-coridoor-suneel-7202638_12032022163104_1203f_1647082864_1031.jpg)
शासन से नहीं मिला बजट
2017-18 में स्मार्ट सिटी जबलपुर ने नर्मदा कॉरिडोर की योजना बनाई थी. बाद में स्मार्ट सिटी ने इस प्रोजेक्ट को जबलपुर विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दिया. बीते 4 सालों से कॉरिडोर की फाइल दफ्तर में इधर-उधर घूम रही है. कॉरिडोर की लागत 260 करोड़ रुपये आंकी गई थी. अब इसके निर्माण पर खर्च होने वाली रकम बड़ी होने की वजह से जबलपुर विकास प्राधिकरण ने प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है. ऐसे में जनता को दिखाया गया सपना सिर्फ सपना ही बनने जा रहा है. जबलपुर विकास प्राधिकरण ने आर्थिक संकट का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि इतनी बड़ी राशि का इंतजाम करना उनके बस की बात नहीं है. अगर राज्य सरकार से मदद मिलती है तो कॉरिडोर जमीन पर नज़र आएगा.
![Narmada Samridhi Corridor was to be built on the banks of the river](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-jab-03-narmada-coridoor-suneel-7202638_12032022163104_1203f_1647082864_228.jpg)
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ऐसे बनना था नर्मदा के किनारे कॉरिडोर
इस कॉरिडोर का निर्माण लगभग 2386 एकड़ की जमीन में होने वाला था. जिसमें 655 एकड़ सरकारी जमीन का अधिग्रहण किया जाना था. मौजूदा समय में 421 एकड़ विकसित क्षेत्र है. नर्मदा नदी के किनारे से 300 मीटर तक चौड़ाई में आरक्षित हरित क्षेत्र लगभग 610 एकड़ तक है. जो कॉरिडोर के अंदर आएगा.
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कैसी होनी थी व्यवस्था
कॉरिडोर का जब मैप बनाया गया था तो उसमे 8.5 किलोमीटर लंबाई का 20 मीटर चौड़ा मार्ग बनाए जाने की बात कही गई थी. पैदल यात्रियों के लिए पाथवे बनाया जाना था. दिव्यांग और वृद्धों के लिए ई-रिक्शा साईकिल ट्रैक मार्ग के बीच में बैठक व्यवस्था, नर्मदा दर्शन के लिए व्यू पाईंट, खान-पान के लिए स्टॉल, आराम करने के लिए आरामदायक चेयर, कॉरिडोर के किनारे गार्डन, हरियाली जैसी अनेक व्यवस्था की जानी थीं, लेकिन अब जेडीए ने इस योजना पर होने वाले खर्च को देखकर इसके औचित्य पर सवाल उठा दिया है.