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कोरोना के बढ़ते मामले: रिजर्व बेड पड़ सकते कम

जबलपुर में अस्पतालों में बेड की उपलब्धता का मुद्दा लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकता है. जबलपुर संभाग के सबसे बड़े नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना के लिए आरक्षित बेड्स की संख्या 100 से कम पहुंच गई थी.

cases of Corona can increase the problems of the residents of Jabalpur
कोरोना के बढ़ते मामले
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Published : Mar 20, 2021, 12:43 PM IST

जबलपुर। कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद सरकारी अस्पतालों ने कोविड डेडिकेटेड बेड्स की संख्या को घटा दिया था. लेकिन अब अस्पतालों में बेड की उपलब्धता का मुद्दा लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकता है. जबलपुर संभाग के सबसे बड़े नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना के लिए आरक्षित बेड्स की संख्या 100 से कम पहुंच गई थी. बीते 2 सप्ताह से कोरोना मरीजों का अचानक बढ़ना आम लोगों पर परेशानी का सबब भी बन सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी अस्पतालों ने कोरोना बेड की संख्या में कटौती कर दी है और आम लोगों की इलाज के लिए निर्भरता निजी अस्पतालों पर बढ़ सकती है जो कोरोना इलाज के नाम पर लाखों रुपए वसूल रहे हैं.

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अनियमित तरीके से कोविड-19 के इलाज के नाम पर वसूले जा रहे हैं मनमाने रेट

इस गंभीर मसले पर जिले के स्वास्थ्य अधिकारी कुछ मामूली बेड बढ़ाने की बात को कह रहे है कि कोरोना बेशक शहर की दहलीज पर खड़ा है. जब ठीक 1 साल पहले मध्य प्रदेश में कोरोना मरीजों की दस्तक हुई थी और प्रदेश के पहले तीन मरीज जबलपुर में ही पाए गए थे. वह ऐसा वक्त था जब पूरा शहर मानो थम गया था और कोरोना का इलाज किस तरीके से होगा. इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं था. बेशक वर्तमान में हालात बदल गए हैं. अब इलाज की उपलब्धता भी है. तो वही वैक्सीनेशन का काम भी जारी है लेकिन अगर कुछ नहीं बदला है तो वह है निजी अस्पतालों की लूट. आज भी अनियमित तरीके से मनमाने रेट कोविड-19 के इलाज के नाम पर वसूले जा रहे हैं. जिस पर सरकार लगाम नहीं लगा पाई है.

जबलपुर। कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद सरकारी अस्पतालों ने कोविड डेडिकेटेड बेड्स की संख्या को घटा दिया था. लेकिन अब अस्पतालों में बेड की उपलब्धता का मुद्दा लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकता है. जबलपुर संभाग के सबसे बड़े नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना के लिए आरक्षित बेड्स की संख्या 100 से कम पहुंच गई थी. बीते 2 सप्ताह से कोरोना मरीजों का अचानक बढ़ना आम लोगों पर परेशानी का सबब भी बन सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी अस्पतालों ने कोरोना बेड की संख्या में कटौती कर दी है और आम लोगों की इलाज के लिए निर्भरता निजी अस्पतालों पर बढ़ सकती है जो कोरोना इलाज के नाम पर लाखों रुपए वसूल रहे हैं.

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