जबलपुर। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. बात मध्य प्रदेश की करें तो इस मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब मध्य प्रदेश से चार सांसद मंत्रिमंडल में शामिल है. लेकिन जबलपुर संसदीय क्षेत्र एक बार फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल से अछूता रह गया. इस बार उम्मीद थी कि जबलपुर सांसद राकेश सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, लेकिन यह इंतजार और लंबा हो गया है. इस बात का गम न केवल शहरवासियों को है, बल्कि शहर के जनप्रतिनिधियों को भी है. शहर के जनप्रतिनिधि खुलकर इस बात को कह भी रहे है, फिर चाहे वह सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता हो या फिर कांग्रेस के.
- राजनीतिक पृष्ठभूमि पर पिछड़ा जबलपुर
केंद्रीय मंत्री ना मिल पाने का गम इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि जबलपुर संसदीय क्षेत्र के इतिहास में आज तक किसी भी सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. इसी वजह से जनप्रतिनिधियों का कहना है कि देश की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर जबलपुर आज भी पिछड़ा हुआ है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में जबलपुर सांसद को जगह ना मिल पाने का गम बीजेपी के नेताओं को भी है.
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- केंद्र में जगह ना मिलना जबलपुर की जनता का अपमान- कांग्रेस
कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार के नक्शे में जबलपुर कहीं आता ही नहीं है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार ने भी जबलपुर को कुछ नहीं दिया. वहीं केंद्र सरकार ने भी खाली हाथ रखा. पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने तंज कसते हुए कहा कि जबलपुर सांसद कोई निष्क्रिय सांसद नहीं है, बल्कि सक्रिय सांसद है. ऐसे में उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल ना करना जबलपुर जनता का अपमान है.
- मंत्रिमंडल में जबलपुर को जगह न मिलने का दुख- बीजेपी
जबलपुर कैंट से आने वाले बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी का कहना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जबलपुर को जगह न मिल पाने का जहां दुख है वहीं इस बात की खुशी भी है कि मध्य प्रदेश से नेतृत्व केंद्रीय मंत्रिमंडल में बढ़ा है. हालांकि जबलपुर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद आने वाले भविष्य में जरूर है.