जबलपुर। मुंबई में मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकरों की आवाज को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जैसे दलों ने आपत्ति जताई थी, इस बीच अब मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल ने भी अजान के लिए लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की है. हजारों फिल्मी गाने और भजन गीत गाने वाली अनुराधा पौडवाल ने कहा कि भारत में इस तरह से अजान किए जाने की जरूरत नहीं है, उन्होंने कहा कि जो तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजते हैं उसे सोच समझकर वॉल्यूम कम करना चाहिए. उनका कहना है कि साल में कुछ ही दिन वाले त्योहार में तो यह ठीक है पर रोज-रोज नहीं. (Anuradha Paudwal jabalpur visit) (ban azaan on loudspeaker)
हर धर्म की करती हूं इज्जत: हनुमान जयंती के उपलक्ष्य पर जबलपुर में कार्यक्रम में शामिल होने आई गायिका अनुराधा पौडवाल ने कहा कि गणपति त्यौहार 10 दिन तक चलता है और विसर्जन के दौरान ही लाउडस्पीकर बजता है. मैं सनातन धर्म को मानने वाली हूं और धर्म का मतलब होता है कर्तव्य, मेरा कर्तव्य सबसे पहले यह है कि मेरी वजह से किसी को तकलीफ ना हो. ऐसे में मेरे कहने का यह अर्थ था कि अगर एक व्यक्ति ऐसा करता है तो फिर दूसरा करेगा, और दूसरे को देखकर तीसरा, हम मेले या तेज शोर-शराबे के बीच तो रह नहीं रहे हैं कि हर रोज शोर हो. उन्होंने कहा कि इस बात को बोलने को लेकर कतई मेरा यह उद्देश्य नहीं है कि मैं कोई राजनीतिक बोल बोल रही हूं, मेरे दिल में हर धर्म के लिए इज्जत है.
12 साल से बंद हैं जगराते: प्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल ने कहा कि हमारी देश की जनता को किसी तरह की तकलीफ ना हो, मेरा यह सोचना था इसलिए मैंने वह बात कही थी. उन्होंने कहा कि बीते 12 सालों से जगराते बंद कर दिए गए हैं, 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर पर भी बैन कर दिया गया है. मैंने बीते 12 सालों से जगराते नहीं किए हैं क्योकि जगराते और गरबा को रात 10:00 बजे के बाद बंद कर दिया गया है. पौडवाल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मुंबई जैसे शहर में लोगों को अपने ऑफिस से घर आते-आते 9:00 बज जाता है उसके बाद अगर 10 बजे वह जगराता और गरबा जाता है तो पता चलता है कि रात 10 बजे के बाद बंद लाउड स्पीकर बजाने की अनुमति नहीं है.
सभी के लिए हो एक कानून: भजन गायिका अनुराधा पौडवाल ने कहा कि जगराता और गरबा हमारी देश की संस्कृति है, हजारों सालों से हमारे देश में जगराता और गरबा का कल्चर चला रहा है. नवरात्रि में माता खुद गरबा खेलती है, यह भी एक मान्यता है और यह सभी चीजें हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है. नवरात्रि के समय हमारा गरबा सिर्फ 10 दिन के लिए होता है इस और भी ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि जगराते से हजारों लोगों का गुजर-बसर चलता है, अंत में उन्होंने कहा कि अगर कानून हो तो सभी के लिए हो.