इंदौर। जहां एक ओर दो साल से देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है वहीं, बढ़ती महंगाई को देखते हुए आर्थिक मंदी झेल रहे प्रदेश के उद्योग अब केंद्रीय बजट में राहत की उम्मीद कर रहे हैं. यही वजह है कि उद्योग प्रतिनिधियों से लेकर विशेषज्ञ भी टैक्स की दरों में राहत का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही इनकम टैक्स स्लैब को बढ़ाए जाने की भी उम्मीद कर रहे हैं. जिससे कि प्रदेश में नए रोजगार स्थापित होने के साथ ही विकास की रफ्तार भी बढ़ सके. इन सब की वजह से करों का बोझ भी कुछ कम होगा. (Income tax slab increased)
बढ़ती महंगाई के बीच उद्योगों की मांग
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को आम बजट (union budget 2022) पेश करेंगी. जिसको देखते हुए इस बार उद्योगों को बजट से काफी उम्मीदें हैं. इंपोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी को लेकर उद्योगों की मांग है कि बेसिक जरूरी चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी कम होना चाहिए, इसके अलावा लग्जरी आइटम पर इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाए जाने से स्थानीय उद्योगों को मदद मिलेगी. उनका कहना है कि चीन से इंपोर्ट होने वाले उत्पादों के कारण देश के स्वदेशी उत्पादों को सीधी चुनौती का सामना करना पड़ता है. इसलिए लग्जरी आइटम पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाना सही रहेगा.
एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना है कि टैक्स में राहत देने के साथ ही केंद्र सरकार को इनकम टैक्स स्लैब में भी राहत देना चाहिए. ढाई लाख रुपए टैक्स की अधिकतम दरों के स्थान पर न्यूनतम पांच लाख तक टैक्स से मुक्ति मिलना जरूरी है. इससे देश में न केवल आयकर दाता बढ़ेंगे बल्कि रोजगार के क्षेत्र में भी फायदा होगा.
फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा
मध्यप्रदेश के कुल आबादी में एक बड़ा हिस्सा गरीबों का है. ऐसी स्थिति में यदि मध्यम और स्माल स्केल इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलता है, तो ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. इसके अलावा मध्यप्रदेश में सात प्रकार के क्लाइमेट जोन हैं. जहां क्लाइमेट के अनुसार ही फसलों की पैदावार होती है. यदि संबंधित जोन में फसलों या उत्पादन (production) के आधार पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए केंद्रीय बजट के स्तर पर पहल की जाए, इससे मध्य प्रदेश में एक बड़े वर्ग को न केवल रोजगार उपलब्ध होगा बल्कि एक्सपोर्ट इंपोर्ट की भी संभावनाएं बढ़ेंगी.
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रेल प्रोजेक्ट पर ध्यान देने की मांग
आम बजट में रेल बजट को शामिल करने के बाद अब इसके कई छोटे प्रोजेक्ट पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि मानते हैं कि मध्यप्रदेश में कई ऐसे बड़े रेल प्रोजेक्ट हैं, जिसमें रेल मंत्रालय के स्तर पर फंड की स्वीकृति नहीं हो पाई है. इंदौर, मुंबई, गुजरात के अलावा धार मनमाड छोटा उदयपुर आदि प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनमें फंड की कमी के कारण रेल प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो सका है. ऐसे में केंद्रीय बजट में इस तरह के तमाम रेल प्रोजेक्ट पर ध्यान देते हुए इन्हें पूरा करने के लिए फंड देना चाहिए.